शोध प्रविधि कार्यशाला में क्रिटिकल थिंकिंग विकसित करने औऱ शोध संसाधनों को साझा करने पर बल दिया

रोहतक, गिरीश सैनी। गुणवत्तापरक शोध के लिए शोधार्थी विषय की गहरी समझ और व्यावहारिक कौशल विकसित करें। शोध के जरिए नवाचार को बढ़ावा दें। ये उद्गार एमडीयू के डीन, एकेडमिक अफेयर्स प्रो. ए.एस. मान ने फैकल्टी ऑफ फार्मास्यूटिकल साइंसेज, फैकल्टी ऑफ लाइफ साइंसेज तथा फैकल्टी ऑफ इंजीनियरिंग (ईवीएस एंड बायोटेक्नोलॉजी) के नव प्रवेश प्राप्त शोधार्थियों के लिए आयोजित शोध प्रविधि कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में बतौर मुख्यातिथि व्यक्त किए।
प्रो. मान ने अपने संबोधन में सहयोगात्मक शोध करने पर जोर देते हुए कहा कि आज समय की जरूरत है कि शोधार्थी, विशेषज्ञ और संगठन एक साथ मिलकर शोध कार्य करें। उन्होंने शोध में क्रिटिकल थिंकिंग विकसित करने और शोध संसाधनों को साझा करने पर बल दिया।
विशिष्ट अतिथि कुलसचिव डॉ. कृष्णकांत ने कहा कि शोध नए ज्ञान की खोज की प्रक्रिया है। उन्होंने कहा कि शोध कार्य कैसे करना है यह जानना जरूरी है। उन्होंने कहा कि एक अच्छा शोध कार्य योजनाबद्ध, तार्किक और प्रमाण आधारित होना चाहिए। कार्यशाला के कन्वीनर और डीन, आर एंड डी प्रो. हरीश दुरेजा ने प्रारंभ में स्वागत भाषण दिया और कार्यशाला की रूपरेखा पर प्रकाश डाला। डीन, फैकल्टी ऑफ लाइफ साइंसेज प्रो. राजेश धनखड़ ने फैकल्टी ऑफ लाइफ साइंसेज बारे जानकारी दी। कार्यशाला समन्वयिका डॉ. रितु गिल ने मंच संचालन किया। उद्घाटन सत्र के बाद जामिया हमदर्द, नई दिल्ली के प्रो. सैयद अहमद, आईआईटी दिल्ली की प्रो. अनुश्री मलिक तथा आईआईटी दिल्ली के प्रो. एच.के. मलिक ने विशेष व्याख्यान दिए।