समाचार विश्लेषण/हरियाणवी फिल्मों के निर्माण में क्रांति
-*कमलेश भारतीय
इधर के लगभग तीन वर्षों में हरियाणवी फिल्मों के निर्माण में क्रांति सी आ गयी है । वैसे भी हरियाणा से मिले कंटेंट पर बनी फिल्मों 'दंगल' व ' 'सुल्तान' ने धूम मचा दी थी । इससे पहले प्रवीण मुखीजा के हरियाणवी संवाद हिट रहे थे । बिग बी अभिताभ बच्चन तक ने हरियाणवी संवाद बोले हैं ।
इधर पहले संदीप शर्मा की 'सतरंगी' , फिर राजीव भाटिया की 'पगड़ी-द ऑनर' के बाद इस वर्ष यशपाल शर्मा द्वारा निर्देशित ' दादा लखमी' फिल्मों को राष्ट्रीय पुरस्कार मिलने से हरियाणवी फिल्मों को 'चंद्रावल' के बाद एक बूस्ट मिला है । रंगकर्मियों में भी जोश आया है । इसी प्रकार सतीश कौशिक द्वारा निर्मित व राजेश अमरलाल बब्बर द्वारा निर्देशित फिल्म 'छोरियां छोरों से कम नहीं ' ने भी हरियाणवी फिल्म निर्माण को बल प्रदान किया और यह फिल्म भी पुरस्कृत हुई ।
अब हरियाणा में 'स्टेज एप' बनने से एक और नयी क्रांति हूई है । इसके माध्यम से 'गौरव की स्वीटी' प्रेमी जोड़े के लिए 'सेफ हाउस' और 'घूंघट' जैसी अनेक फिल्मों का निर्माण करवाया गया जो एप पर सफलतापूर्वक चल रही हैं । अब इसी स्टेज एप की ओर से राजेश अमरलाल बब्बर के निर्देशन में 'आश्रम' की तरह वैब सीरीज 'काॅलेज कांड' का हरियाणवी मे निर्माण करवाया गया जिसके छह एपीसोड एक साथ दिखाये जा रहे हैं जिनकी ऑफिशियल स्क्रीनिंग कल गुरुग्राम मे रखी गयी । इस अवसर पर हरियाणा भर से रंगकर्मी जुटे जो एक प्रमाण है कि 'जय हरियाणा व जय हरियाणवी' की क्रांति घट चुकी है ।
हरियाणवी फिल्म संगठन के प्रदेशाध्यक्ष जनार्दन शर्मा व उपाध्यक्ष यशपाल शर्मा दोनों मौजूद थे और इन्होंने भी सभी कलाकारों को एकजुट होकर हरियाणवी फिल्मों के लिए काम करने का आह्वान किया । राजेश अमरलाल बब्बर तो थोड़े भावुक होकर कहने लगे कि लगभग तीन दशक पहले सिरसा से मुम्बई गया था और सोचता था कि हरियाणा व हरियाणवी के लिए कुछ काम कर पाऊं और अब जाकर यह माहौल मिला है । मैं इस वैब सीरीज की निर्मात्री और पत्नी संगीता से कहता रहता हूं कि अब सामान पैक कर ले । सिरसा जाकर ही हरियाणवी फिल्मों के लिए काम करेंगे ! यह सोचना बहुत बड़ी बात है । खुद यशपाल शर्मा ने भी बड़ी लगन से 'दादा लखमी ' का निर्माण किया है । इसे रिलीज से पहले ही राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल गया । वहीं गुरुग्राम में घोषणा की कि नवम्बर मे हरियाणा दिवस के आसपास इसे रिलीज किया जायेगा । राजीव भाटिया ने भी 'बूमरंग' एक शाॅर्ट फिल्म बनाई है जिसकी शूटिंग भी पगड़ी द ऑनर की तरह हिसार मे ही की गयी । इसे भी पुरस्कार/सम्मान मिल रहे हैं ।
इस तरह स्टेज एप की कोशिश और यशपाल शर्मा का सभी रंगकर्मियों को एकजुट करना , हिसार , यमुनानगर , कुरूक्षेत्र आदि शहरों में फिल्म फेस्टिवल के आयोजन आज रंग ला रहे है और सचमुच हरियाणवी फिल्मों के निर्माण में क्रांति की शुरुआत हो चुकी है ।
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।