हफ्ते भर में युद्ध न रुका तो वैश्विक मंदी के आसार
रूस-यूक्रेन युद्ध का भारत और वैश्विक अर्थव्यवस्था पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा, इस तरह की आशंका व्यक्त की जा रही है। यदि एक सप्ताह के भीतर रूस यूक्रेन संघर्ष का समाधान नहीं हो पाया तो निश्चित रूप से दुनिया आर्थिक मंदी की ओर बढ़ जाएगी। कोरोना से पहले ही त्रस्त विश्व के लिए दूसरा बड़ा आघात साबित हो सकता है। एस्टोनिया के पूर्व रक्षा मंत्री का तो यहां तक कहना है कि यदि युद्ध दस दिनों तक और चलता है, तो रूस दिवालिया हो जाएगा, क्योंकि युद्ध में रूस को हर दिन लगभग 1.12 लाख करोड़ रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं। यह एक बड़ी राशि है जिसकी कीमत रूस की जनता के अलावा दुनिया के अन्य देशों के नागरिकों को लंबे समय तक चुकानी पड़ सकती है। यूक्रेन और रूस को माल भेजने वाले लघु और मध्यम दर्जे के निर्यातकों के लिए तो यह बहुत बुरा समय है। दोनों देशों को संयुक्त रूप से होने वाला निर्यात, भारत के कुल निर्यात का 1% - 1.5% है।
होम टैक्स्टाइल एक्सपोर्टर्स वैलफेयर एसोशिएशन तथा स्काइर एक्सपोर्ट एंड इम्पोर्ट प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक, विकास सिंह चौहान कहते हैं कि यूक्रेन अकेला नहीं है, और भी देश उसके साथ हैं। सभी नाटो राष्ट्र, कनाडा, अमेरिका और प्रमुख यूरोपीय अर्थव्यवस्थाएं भी यूक्रेन का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन कर रही हैं। जो ग्लोबल इकोनॉमी कोविड के बाद उठना शुरू ही हुई थी, लेकिन अब हम पर इस संकट का भी असर पड़ेगा। वैश्विक व्यापार प्रभावित होगा। जो मांग अभी बननी शुरू हुई थी वो प्रभावित होगी। भारत के व्यापार पर पहले ही असर पड़ना शुरू हो गया है। युद्ध से खरीदारों की भावना पर असर पड़ा रहा है। भुगतान सुरक्षा पर असर पड़ा है। यह सब निर्यातकों पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा। एक्सपोर्ट क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (ईसीजीसी), जो निर्यातकों को भुगतान जोखिमों के खिलाफ बीमा सुरक्षा प्रदान करता है, उसने नोटिस दिया है कि केवल 25 फरवरी से पहले रूस को भेजे गए सामान पर ही बीमा कवरेज प्रदान किया जाएगा। उसके बाद रूस के लिए कोई बीमा कवरेज नहीं होगा। ऐसे में एक्सपोर्टर तो न घर का बचा न घाट का।
अमेरिका और यूरोप ने स्विफ्ट भुगतान प्रणाली पर प्रतिबंध लगा दिया है। यानी यूरो और यूएसडी में भुगतान नहीं हो पाएगा। एक तो पेमेंट फंस गया, दसरे शिपिंग लाइन्स ने पहले ही रूस जाने वाले कंटेनरों को वापस मंगाने के लिए अधिसूचना जारी कर दी थी। जो माल तैयार हो चुका है उसे भी नहीं भेज सकते। ऐसे में एक्सपोर्टर पर दोहरी मार पड़ गई। व्यापारियों की सरकार से अपील है कि निर्यातकों के लिए ईसीजीसी बीमा कवरेज नहीं हटाया जाना चाहिए। जीएसटी रिफंड और अन्य सुविधाओं में देरी नहीं होनी चाहिए। रूसी युद्ध के प्रभाव को सहन करने के लिए कोई अन्य राहत योजना लानी चाहिए। और सरकार को पीड़ित निर्यातकों को वित्तीय सहायता प्रदान करनी चाहिए। रूस उर्वरकों का बड़े पैमाने पर उत्पादन करता है और भारत अपने विशाल कृषि क्षेत्र की जरूरतें पूरी करने के लिए यूरिया व अन्य मृदा पोषक तत्वों का एक शीर्ष आयातक है। भारत का कृषि क्षेत्र देश के लगभग 60% कामगारों को रोजगार देता है और 2.7 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का 15% हिस्सा है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार व कॉलमिस्ट हैं)