हरियाणवी लोक संगीत को बढावा न मिलने का दुख: रवींद्र नागर
-कमलेश भारतीय
हरियाणवी लोकसंगीत को बढ़ावा न मिलने का बहुत दुख है मुझे । इसके विपरीत पाश्चात्य संगीत को अपनाये जा रहे हैं । इसलिए मैं संगीत का प्रोफेसर बनने का सपना लिए हूं और साथ साथ परफाॅर्मर भी रहूंगा । यह कहना है रवींद्र नागर का जो कल डाॅ संध्या शर्मा के साथ गुरु जम्भेश्वर विश्विद्यालय के तीज उत्सव आया सावन झूम के में सहगायक व हारमोनियम पर दिखे । मूल रूप से सिवानी बोलान गांव निवासी रवींद्र ने ग्रेजुएशन मंडी आदमपुर के फिरोज गांधी मेमोरियल काॅलेज से की तो एम ए और एम फिल कुरुक्षेत्र विश्विद्यालय से । आजकल महर्षि दयानंद विश्विद्यालय से डाॅ हुकुम चंद मेहता के निर्देशन में पीएचडी कर रहे हैं ।
-काॅलेज में क्या क्या करते रहे मंच पर ?
-गीत , गज़ल, हरियाणवी गीत और भजन गायन करता रहा ।
-क्या पुरस्कार /सम्मान मिला ?
-काॅलेज का दो वर्ष कलर और तीसरे वर्ष काॅलेज कलर मिला ।
-विश्वविद्यालय में कहां तक पहुंचे ?
-राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचा लोक शानदार में जो तिरुपति बालाजी में हुआ था ।
-और क्या उपलब्धि ?
-कुरुक्षेत्र विश्विद्यालय के रत्नावली उत्सव की रागिनी, लोकवाद्य आदि विधाओं का निर्देशन सन् 2012 से 2018 तक किया ।
- कोई जाॅब ?
-सन् 2013 से डी ए वी स्कूल , इस्माइलाबाद में 2018 तक पीजीटी टीचर रहा । गुजवि में भी सन् 2018 व 2019 को युवा महोत्सव में लोक संस्कृति की विधाओं में सहयोग दिया ।
-आकाशवाणी में आए ?
-जी । ऑल इंडिया रेडियो, रोहतक में गीत गज़ल व हारमोनियम प्लेयर हूं ।
-प्रेरणा स्त्रोत कौन?
-मेरे पिता स्वर्गीय सीताराम व बड़े भाई सुंदर सिंह जो हिसार के पीआरओ विभाग में कार्यरत हैं तथा रमेश बड़ोपल व डाॅ महेंद्र मेरे प्रेरणा स्त्रोत हैं ।
-कोरोना के चलते क्या हालात रहे कलाकारों के ?
-सबसे खराब हालत रहे कलाकारों के ।
-क्या लक्ष्य ?
-पीएचडी कर प्रोफैसर बनना और परफाॅर्मर बने रहना ।
हमारी शुभकामनाएं रवींद्र नागर को ।