समाचार विश्लेषण/संसद में हंगामा है क्यों बरपा?
-*कमलेश भारतीय
वैसे तो यह बहुत मशहूर शेर है:
हंगामा है क्यों बरपा
थोड़ी सी जो पी है ...
फिर भी इसका संसद से कोई लेना देना नहीं । मॉनसून सत्र शुरू हुआ और हंगामे के साथ इसीलिये ये शेर याद आ गया । थोड़ी सी महंगाई की चर्चा ही तो की है और यही कहा है कि महंगाई बढ़ाना बंद करो और तानाशाही बाद करो और इतने पर ही राहुल गांधी पर निशाना शुरू । कहा जा रहा है कि ये जो गतिरोध है यह राहुल गांधी की देन है , इसी का पैदा किया हुआ है । विपक्ष का काम सवाल उठाना ही तो है और सवाल ही तो उठाया है -बढ़ती महंगाई को लेकर । छोटी छोटी चीज़ों पर जीएसटी लगाने पर और जनता की परेशानी व आम आदमी के गड़बड़ाते बजट पर । अब स्मृति ईरानी को तो राहुलमेनिया है , वे फट से प्रतिक्रिया देने आईं और कहा कि ज्यादा से ज्यादा चालीस प्रतिशत हाजिरी है इनकी संसद में और सिवाय गतिरोध पैदा करने के कोई योगदान नहीं । वैसे विपक्ष का काम है क्या ? यह तो बताइए स्मृति जी ? सिर्फ पांच रुपये रसोई गैस की कीमत बढ़ी थी तब आप सिलेंडर लेकर सड़क पर धरना देकर बैठ गयी थीं और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को चूडिय़ां भेजी थीं । अब क्या रसोई गैस की कीमत बतानी पड़ेगी आपको ? एक हजार पार हो गयी है और एकसाथ पचास रुपये बढ़ा दिये गये हैं । कहां है वे चूड़ियां और गैस सिलेंडर जिसे लेकर आपने धरना दिया था तो क्या जनता की आवाज न उठाई जाये संसद में ? ओम बिरला जी कह रहे हैं कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कोरोना से संक्रमित हैं और जवाब उनको देना है , जैसे ही वे ठीक होकर आ जायेंगीं , वे सदन को जबाव देंगीं । वैसे कोरोना संक्रमित तो कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी भी रहीं लेकिन सरकार ने ईडी के सम्मन भेजने में जरा भी मानवीयता नहीं दिखाई । आज भी ईडी के सामने सोनिया गांधी की पेशी है । राहुल गांधी की पेशी कम से कम चार बार हो चुकी है । ईडी इस समय सबसे बड़ा तोता है । इसीलिए राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी यशवंत सिन्हा ने कहा कि यदि वे राष्ट्रपति बनते हैं तो इन ईडी जैसी एजेंसियों का दुरुपयोग बंद किया जायेगा ।
क्या सदन में विरोध करना गतिरोध करने के बराबर है ? क्या विपक्ष चुपचाप सारी कार्यवाही देखता रहे ? क्या सुषमा स्वराज ने जब कांग्रेस के संचार मंत्री सुखराम महाजन के घोटाले को उजागर करते कहा नहीं था कि हम यहां सदन में कोई भजन कीर्तन करने नहीं आए हैं और न ही हम संन्यासी हैं । हमें राजनीति करनी है और यह हंगामा होगा और हुआ गतिरोध । इसलिए जो भी विपक्ष में होगा वह जनता की आवाज उठायेगा । चाहे भाजपा हो या कांग्रेस । अभी तो राहुल गांधी को विपक्ष के नेता का पद भी नहीं है क्योंकि कांग्रेस के पास पद देने लायक संख्या ही नहीं । फिर भी आप गतिरोध का आरोप राहुल गांधी पर ही लगा रहे हो ? एक तरफ उसे अपरिपक्व नेता बताते हो और दूसरी तरफ इतना श्रेय दे रहे हो ? क्या पप्पू अब पास होने लगा है ? सोचने की बात है ..हंगामा है क्यो बरपा,,,?
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।