समाचार विश्लेषण/सतीश कौशिक : जीवन की गाड़ी का आखिरी स्टाॅप
-*कमलेश भारतीय
फिल्मकार , कॉमेडियन, पटकथा लेखक और हरियाणवी फिल्म प्रमोशन बोर्ड के अध्यक्ष सतीश कौशिक का हृदयाघात से निधन हो गया । महेंद्रगढ़ क्षेत्र के मूल निवासी सतीश कौशिक ने चालीस साल के सफर में अनेक उपलब्धियां प्राप्त कीं लेकिन कल उनके जीवन की गाड़ी का आखिरी स्टापेज लग गया -पूर्ण विराम । सतीश कौशिक, नाना पाटेकर और ओम पुरी ऐसे एक्टर रहे जिन्होंने अपनी शक्ल सूरत से नहीं बल्कि अपने प्रभावशाली अभिनय से फिल्म जगत में जगह बनाई ।
जिन दिनों सतीश कौशिक ने फिल्मी दुनिया में जाने की सोची उन दिनों कौन पिता इसे अच्छा समझता था ! बहुत डांट खाई । यहां तक कि एक विज्ञापन के लिये तो खूब डांट खाई पिता से जिसमें वे कहते है -संडे हो या मंडे , रोज खाओ अंडे ! इस पर पिता ने डांटते हूए कहा कि यह काम करने गया है तू बॉम्बे ! अंडे बेच रहा है ! श्याम बेनेगल को फोटो नहीं अपना एक्सरे देकर कहा कि अंदर से गुड लुकिंग हूं सर ! इस तरह फिल्म मे काम मिल गया । फिर मिस्टर इंडिया में कैलेंडर के रोल में ऐसे छाये कि एक्टिंग की गाड़ी ने रफ्तार पकड़ ली । अपने दोनो भाइयों को मुम्बई बुला कर यह फिल्म दिखाई तो दोनों ही नहीं तीनों की आंखों में आंसू थे । एक कपड़ा मिल में कपड़ों की पेटियों के बिल बनाने से लेकर हरियाणवी फिल्म छोरियां , छोरों से कम नहीं बनाने तक का सफर तय किया । अब तो वे हरियाणा की मिट्टी का कर्ज उतारने की योजनायें बना रहे थे और मुम्बई के बाद हरियाणवी फिल्म के लिये काम करना चाहते थे लेकिन ऊपरवाले ने अपना मनबहलाने के लिये ऊपर बुला लिया ।
वे अपनी हरियाणवी फिल्म का प्रीमियर करने हिसार के सनसिटी माल आये थे । हिसार के साथ भी यादें जुडी हैं । बहुत याद आओगे और रुलाओगे सतीश कौशिक जी !
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।