राष्ट्रीय लोक अदालत में लगभग ढाई करोड़ राशि का हुआ सेटलमेंट:- सीजेएम अनिल कौशिक
लगभग 31 हजार मामलों की हुई सुनवाई।
रोहतक, गिरीश सैनी। जिला एवं सत्र न्यायाधीश नीरजा कुलवंत कलसन के मार्गदर्शन में शनिवार को न्यायालय परिसर में आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत में विभिन्न श्रेणी के तीस हजार 939 मामलों की सुनवाई की गई और 21870 मामलों का निपटान कर दिया गया । निपटान किए गए मामलों में 2 करोड़ 42 लाख 2415 रुपए की राशि का सेटलमेंट किया गया। जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण के सचिव एवं चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट अनिल कौशिक ने बताया कि राष्ट्रीय लोक अदालत में अलग-अलग जजों की 7 बेंच स्थापित की गई थी । उन्होंने बताया कि लोक अदालत में बैंक रिकवरी के 1156 मामलों की सुनवाई की गई, जिनमें से 961 का निपटान कर दिया गया । इसी प्रकार क्रिमिनल कंपाउंडऐबल 1900 मामलों की सुनवाई की गई और 703 का निपटान कर दिया गया । लोक अदालत में बिजली से संबंधित रखे गए सभी 896 केसों का निपटान कर दिया गया । एम ए टी सी के 287 मामले रखे गए जिनमें से 30 का निपटान कर दिया गया । इसी प्रकार से घरेलू वाद विवाद व मेट्रोमोनियल से संबंधित 1897 कैसे रखे गए और 283 का निपटान किया गया । चेक बाउंस से संबंधित 885 मामलों की सुनवाई की गई और 567 का निपटान किया गया । राष्ट्रीय लोक अदालत में 1439 सिविल मामलों की सुनवाई की गई और 226 का निस्तारण कर दिया गया। इसी प्रकार से राजस्व से संबंधित 6228 मामलों का निपटान किया गया। इसके अलावा विभिन्न श्रेणी के 16246 मामलों की सुनवाई की गई और 12175 का निपटान कर दिया गया।
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एवं जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण के सचिव अनिल कौशिक ने कहा कि राष्ट्रीय लोक अदालत के अनेक लाभ है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय लोक अदालत में लोग अपने सभी प्रकार के मामलों का, जो जुर्माने से दंडनीय है। पारिवारिक विवाद, जमीन विवाद, बिजली के मामले, टेलीफोन के मामले, चेक बाउंस के मामले, सुलह योग्य फौजदारी मामले, बैंकों के ऋण के प्री-लिटिगेशन वाद एवं वैवाहिक वादों का प्री-लिटिगेशन स्तर पर पूर्ण एवं प्रभावी समाधान सुलह-समझौता प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि इससे अदालतों से मुकदमों का बोझ भी कम होगा।
सीजेएम अनिल कौशिक का कहना है कि राष्ट्रीय लोक अदालत में निस्तारित किए गए मामलों की कोई अपील नहीं की जाती और समाधान का प्रभाव वैसा ही रहता है। जैसा न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय का प्रभाव होता है। इसलिए अधिक से अधिक लोगों को राष्ट्रीय लोक अदालत का लाभ उठाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जो केस केवल सुलह-समझौते या कुछ जुर्माने से निस्तारित हो सकते हैं, उनके लिए कोर्ट, कचहरी के चक्कर नहीं लगाने होंगे। पीडि़त वादकारी राष्ट्रीय लोक अदालतों के माध्यम से बड़ी आसानी से त्वरित न्याय व राहत पा सकेंगे।