समाचार विश्लेषण/शहीद भगत सिंह : विचार या प्रचार?
-*कमलेश भारतीय
शहीद भगत सिंह के पैतृक गांव खटकड़ कलां में अपने जीवन के ग्यारह वर्ष बिताने का सुनहरी अवसर मिला । वहां गवर्नमेंट आदर्श सीनियर सेकेंडरी स्कूल में पहले हिंदी प्राध्यापक व बाद में प्रिसिपल के रूप में काम करने के अवसर के साथ साथ जो खुशी मिली वह यह कि इनके परिवारजनों से शहीदी दिवस के अवसर पर हर वर्ष मुलाकात होती रही । इनके भांजे प्रो जगमोहन सिंह से आज तक सम्पर्क है और उन्हीं दिनों वे शहीद भगत सिंह के संबंध में एक पुस्तक भी तैयार कर रहे थे जो राजकमल प्रकाशन से आई भी और खूब चर्चित भी हुई । मुझसे भी पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड ने भगत सिंह के गांव पर आलेख लिखवा कर पाठ्यक्रम में शामिल किया ।
कल शहीद भगत सिंह के जन्मदिन के अवसर चंडीगढ़ एयरपोर्ट का नामकरण शहीद भगत सिंह के नाम पर किये जाने की आधिकारिक घोषणा हुई । पंजाब व हरियाणा के मुख्यमंत्रियों की उपस्थिति में केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसकी आधिकारिक घोषणा की । इस अवसर पर राज्यपाल भी मौजूद रहे । निर्मला सीतारमण ने कहा कि अब ज्यादा लोग शहीद भगत सिंह की सोच और फलसफे को जान सकेंगे । वहीं एयरपोर्ट के नाम की साथ मोहाली या पंचकूला न जोड़ने से विवाद भी शुरू हो गया है ।
हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला का कहना है कि एयरपोर्ट के नाम के साथ पंचकूला जोड़ने की मांग को लेकर हरियाणा विधानसभा में प्रस्ताव लाया जायेगा ! दूसरी ओर पंजाब प्रदेश कांग्रेस के प्रधान अमरिंदर सिंह राजा बडिंग और शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल ने भी मोहाली का नाम एयरपोर्ट के साथ न जोड़ने पर एतराज जताया है ! दुष्यंत चौटाला ने तो शहीद भगत सिंह को युवाओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत बताते हुए कहा कि यहां पंजाब , हरियाणा और पंजाब के संयुक्त प्रयास से इस एयरपोर्ट पर 23 मार्च , 2023 को शहीद भगत सिंह की प्रतिमा भी लगाई जाये । याद रहे कि इस दिन शहीद दिवस होता है ! इस प्रतिमा से युवा पीढ़ी को प्रेरणा मिलेगी ! दूसरी ओर पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने घोषणा की है कि अब पंजाब में फिर से शहीद भगत सिंह युवा अवाॅर्ड शुरू किया जायेगा । गुरु नानक देव विश्वविद्यालय में शहीद भगत सिंह चेयर स्थापित की जायेगी ।
इन घोषणाओं के बीच मुझे शहीद भगत सिंह के भांजे प्रो जगमोहन सिंह की बात बार बार याद आ रही है कि भगत सिंह की प्रतिमाएं लगाने की ज्यादा जरूरत नहीं , इनके विचार आमजन तक पहुंचाने की ओर ध्यान दिया जाना चाहिए ! हालांकि शहीदों में से संभवतः सबसे ज्यादा किताबें शहीद ए आजम भगत सिंह पर ही मिलती हैं । खुद शहीद भगत सिंह बलवंत के नाम से कानपुर में पत्रकारिता भी करते रहे और इनके आलेखों की किताबें भी हैं । सबसे ज्यादा किताब बिक्री में रहती है -मैं नास्तिक क्यों हूं ! शहीद भगत सिंह व साथियों के शहीदी दिवस पर होने वाले मेले में ये किताबे खूब बिकती हैं और नन्हे नन्हे बच्चे भी खरीदते देखे जाते हैं । इस तरह भगत सिंह एक विचार बन चुका है न कि प्रचार ! यहां तक कि एक पंजाबी गाना ऐसा भी आया था कि मैं देश के नोटों पर भगत सिंह की तस्वीर देखना चाहता हूं ! इस तरह मांगें और चाहतें तो बहुत है । यह याद दिला दूं कि संसद में शहीद भगत सिंह की फोटो लगाने के लिए कितने साल परिवार को संघर्ष करना पड़ा । अंग्रेजों के समय से शहीद भगत सिंह , राजगुरु व सुखदेव क्रांतिकारी नहीं देशद्रोही ही माने जाते रहे रिकाॅर्ड में ! अब तो देश आजाद है और इन्हे क्रांतिकारी मानकर इनका सम्मान कीजिए । इनको किसी प्रचार की जरूरत नहीं । शहीद भगत सिंह ने आजादी को ही अपना ध्येय और आजादी के ही लिए अपने प्राण उत्सर्ग कर दिये थे ! अब एयरपोर्ट बना कर भी दो दो सरकारें और केंद्र शासित चंडीगढ़ जूझ रहे हैं कि इनका ही या इनका भी नाम एयरपोर्ट के साथ जोड़ा जाये ! प्रतिमा लगाई जाये ! प्रतिमा के साथ साथ इनके विचारों को तो फैलाया जाये ! और किस सरकार ने शहीद भगत सिंह पर कितनी पुस्तकें प्रकाशित की हैं और सस्ते मूल्य पर आमजन तक पहुंचाई हैं ? पंजाब में भाषा विभाग व हरियाणा में पांच अकादमियां कार्यरत हैं , किसने शहीद भगत सिंह पर कोई किताब प्रकाशित की है ? विचार के लिए किताब ही सबसे उत्तम और सरल राह है । भगत सिंह को प्रचार का नहीं , विचार का मुद्दा बनाइए और यदि नामकरण ही बदलना हो तो इस एयरपोर्ट को ट्राईसिटी कर लीजिए । यही प्रचलित है । बाकी वैचारिक क्रांति लाइए !
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।