पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग में लघु फिल्म तथा रील्स निर्माण कार्यशाला आयोजित

वन्य जीवन केन्द्रित शॉर्ट फिल्म्स तथा रील्स बनाने के गुर साझा किए।

पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग में लघु फिल्म तथा रील्स निर्माण कार्यशाला आयोजित

रोहतक, गिरीश सैनी। शार्ट फिल्म्स तथा रील्स के जरिए केवल मनोरंजक ही नहीं, बल्कि शिक्षाप्रद कंटेंट का फिल्मीकरण संभव है। सामाजिक तथा पर्यावरणीय विषयों पर बेहतरीन लघु फिल्में बनाई जा सकती हैं। पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ वन्य जीवन केन्द्रित शॉर्ट फिल्म्स तथा रील्स बनाने के गुर साझा करते हुए अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त प्रतिष्ठित वृत्तचित्र निर्माता-निर्देशक एवं एमडीयू एलुमनस राकेश अंदानिया ने ये उद्गार व्यक्त किए।


एमडीयू के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग में आयोजित फिल्म निर्माण (लघु फिल्म तथा रील्स निर्माण) कार्यशाला में बतौर विशेषज्ञ आमंत्रित वक्ता राकेश अंदानिया ने कहा कि स्मार्ट फोन्स के जरिए आज बेहतरीन फिल्मांकन संभव है। उन्होंने प्रतिष्ठित पर्यावरण विषयक फिल्म मेकर माइक पांडे समेत अन्य फिल्म निदेशकों का उदाहरण देते हुए विशेष रूप से पर्यावरणीय सरोकारों पर फिल्म निर्माण बारे बताया।


इस दो दिवसीय कार्यशाला के प्रथम दिन राकेश अंदानिया ने कैमरा वर्क समेत फिल्म निर्माण की तकनीकी बारीकियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने मोबाइल पत्रकारिता की भी जानकारी साझा की। विद्यार्थियों के साथ प्रश्न-उत्तर संवाद सत्र भी आयोजित हुआ।


विभागाध्यक्ष एवं इस कार्यशाला के कंवीनर प्रो. हरीश कुमार ने कार्यशाला में अध्यक्षीय भाषण में कहा कि जनसंचार क्षेत्र में मोबाइल क्रांति ने नए आयाम प्रस्तुत किए हैं। रील्स के जरिए मनोरंजन के साथ-साथ शैक्षणिक-सामाजिक कंटेट्स साझा किया जा सकता है। शार्ट फिल्मस तथा रील्स निर्माण स्वरोजगार का रास्ता प्रशस्त कर रहा है।

 

कार्यशाला का समन्वयन-संचालन करते हुए प्राध्यापक सुनित मुखर्जी ने कहा कि यह दो दिवसीय कार्यशाला विद्यार्थियों के कौशल विकास तथा क्षमता संवर्धन के लिए तथा उनकी इम्प्लायबिलिटी की दृष्टि से अहम है। इस कार्यशाला में पीआरओ पंकज नैन, राजकीय पीजी नेहरू कालेज, झज्जर से डा. मीनू, बीएमयू से डा. सुशील कुमार, लालनाथ हिन्दू कॉलेज, रोहतक से डा. सुमित सहित विभाग के शोधार्थी विद्यार्थी एवं संबद्ध महाविद्यालयों के विद्यार्थी मौजूद रहे।