लघुकथा देखन में छोटी , घाव में बड़ी : संधीर 

लघुकथा देखन में छोटी , घाव में बड़ी : संधीर 

-रश्मि 
लघुकथा ऐसी विधा है जो देखन में तो छोटी है लेकिन घाव देने और चोट करने में बहुत बड़ी है । यह कहना है वरिष्ठ एडवोकेट पी के संधीर का । वे सर्वोदय भवन में हरियाणा ग्रंथ अकादमी के पूर्व उपाध्यक्ष कमलेश भारतीय को इंडियानेटबुक्स द्वारा दिये जाने वाले लघुकथा रत्न पुरस्कार पर अपने विचार प्रस्तुत कर रहे थे । उन्होंने दिल्ली की नट सम्राट संस्था की ओर से भी भारतीय को क्रिटिक अवाॅर्ड दिये जाने पर बधाई दी । श्री संधीर ने कहा कि कथा , उपन्यास लिखना आसान है जबकि लघुकथा में अपने भावों को समेटना आसान नहीं ! भारतीय ने लघुकथा को बहुत अच्छे से साधा है और पिछले पचास वर्ष से इस विधा को पुष्पित करते हुए पांच लघुकथा संग्रह दिये जिनमें से एक का पंजाबी में अनुवाद भी हुआ ।  लघुकथा लेखन में इनके योगदान को देखते हुए यह सम्मान देना बहुत ही सम्मानजनक और इन्हें उचित श्रेय दिया जा रहा है । प्रारम्भ में संचालक सत्यपाल शर्मा ने कमलेश भारतीय के साहित्यिक योगदान का परिचय दिया । बाद में भारतीय ने अपनी लघुकथा यात्रा के साथ साथ चार लघुकथाओं-चौराहे का दीया, इतनी सी बात , मैं नहीं जानता और सात ताले और चाबी का पाठ प्रस्तुत किया । जिसे सबने सराहा । 

दूरदर्शन, हिसार के पूर्व समाचार निदेशक अजीत सिंह ने भी भारतीय के  साहित्य व पत्रकारिता मे दिये जा रहे बहुमुखी योगदान की चर्चा की । आकाशवाणी , हिसार के प्रथम निदेशक रहे विनोद मेहता ने भी भारतीय की साहित्य साधना और यात्रा को सराहा और कुछ लघुकथाएं व कवितायें सुनाईं । संधीर ने सर्वोदय की ओर से श्री भारतीय का सम्मान भी किया ।

इस गरिमामयी कार्यक्रम की शुरूआत धर्मवीर शर्मा द्वारा सर्वोदय प्रार्थना से हुई । इसमे जगदीप भार्गव, आई जे नाहल, जयभगवान लाडवाल, अनिल जौहर , सुलोचना वर्मा , तरूणा कपूर , रश्मि , शैलेश वर्मा , महेंद्र विवेक सहित अन्य अनेक गणमान्य व साहित्य प्रेमी मौजूद थे ।