सर छोटू राम के विचार आज भी प्रासंगिक: प्रो. रघुवेंद्र तंवर 

रिसेंट ट्रेंड्स इन हरियाणा रूरल एंड एग्री लाइफ विषय पर राष्ट्रीय सेमिनार आयोजित। 

सर छोटू राम के विचार आज भी प्रासंगिक: प्रो. रघुवेंद्र तंवर 

रोहतक, गिरीश सैनी। सर छोटू राम की प्रासंगिकता केवल ऐतिहासिक दृष्टि से नहीं, बल्कि समकालीन संदर्भ में भी महत्वपूर्ण है। उनके आदर्शों को अपनाकर हम एक मजबूत और समान समाज की ओर बढ़ सकते हैं। प्रतिष्ठित शिक्षाविद् एवं भारतीय एतिहासिक अनुसंधान परिषद के अध्यक्ष प्रो. रघुवेंद्र तंवर ने ये उद्गार एमडीयू में व्यक्त किए। 

प्रो. रघुवेंद्र तंवर एमडीयू के हरियाणा अध्ययन केंद्र, सर छोटू राम शोध पीठ, इतिहास एवं पुरातत्व विभाग और लोक प्रशासन विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आईएचटीएम सभागार में- रिसेंट ट्रेंड्स इन हरियाणा रूरल एंड एग्री लाइफ विषय पर आयोजित सर छोटू राम मेमोरियल एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार में बतौर की-नोट स्पीकर शिरकत कर रहे थे। सर छोटू राम के योगदान और उनके दृष्टिकोण की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने किसानों, श्रमिकों, कृषि सुधार, समाज सेवा और शिक्षा के क्षेत्र में उनके द्वारा दिए गए योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा कि सर छोटू राम ने समाज के कमजोर वर्गों के लिए जो संघर्ष किया, वह आज भी हमारे लिए प्रेरणादायक है। उनके विचार आज भी प्रासंगिक हैं, जिन्हें अपनाकर आज भी हम किसानों-श्रमिकों और गांव-ग्रामीणों की समस्याओं का समाधान कर सकते हैं। 

डीन एकेडमिक अफेयर्स प्रो. ए. एस. मान ने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि हरियाणा के ग्रामीण और कृषि जीवन पर सर छोटू राम का गहरा प्रभाव है। उन्होंने सर छोटू राम के जीवन एवं विचारों को प्रेरणादायी बताया और विद्यार्थियों से सर छोटू राम द्वारा दिखाई गई राह पर चलने का आह्वान किया। इतिहास एवं पुरातत्व विभाग के अध्यक्ष प्रो. जे. एस. धनखड़ ने प्रारंभ में स्वागत भाषण दिया। हरियाणा अध्ययन केंद्र के निदेशक प्रो. एस. एस. चाहर ने सेमिनार की विषय वस्तु पर प्रकाश डाला। उन्होंने सेमिनार के उद्देश्य को रेखांकित करते हुए सर छोटू राम के जीवन और विचारों पर चर्चा की। फैकल्टी ऑफ सोशल साइंसेज के डीन एवं लोक प्रशासन विभाग के अध्यक्ष प्रो. सेवा सिंह दहिया ने आभार प्रदर्शन किया। 

डॉ. समुन्दर ने की नोट स्पीकर का परिचय दिया। मंच संचालन विद्यार्थी विनीता मौर्य ने किया। इस दौरान छोटू राम लॉ कॉलेज के निदेशक डॉ. राजीव जून, एफडीसी निदेशक प्रो. संदीप मलिक, एमडीयू के इतिहास, लोक प्रशासन समेत अन्य विभागों के प्राध्यापक, शोधार्थी और विद्यार्थी, एमडीयू से संबद्ध महाविद्यालयों के प्राध्यापक और विद्यार्थी, शिक्षाविद् एवं गणमान्य जन मौजूद रहे। /5/3