समाचार विश्लेषण/चेहरे पर मुस्कान और जीवन का खेल जारी
-कमलेश भारतीय
जी हां , कोरोना की महामारी के चलते हमारे कितने ही मित्र बिछुड़ते जा रहे हैं । दुख होता है । उदासी छा जाती है । दिन भर घर में बंद । या टी वी या फेसबुक या शाम को क्रिकेट मैच । आज विदेशी खिलाड़ी क्रिस मौरिस की बहुत शानदार बात पढ़ने को मिली । जैसे जीवन का संदेश । उनका कहना है कि भारत में कोविड-19 को लेकर महामारी के बारे में बात होती है । इसकी दूसरी लहर से लोगों को जो पीड़ा हो रही है , उसे हम खिलाड़ी भी महसूस कर रहे हैं । भारत में प्रतिदिन तीन लाख से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं । ऑक्सीजन और दवाइयों की कमी है । मौरिस ने कहा कि जो हो रहा है उसे समझ पाना मुश्किल है । यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम चेहरों पर मुस्कान के साथ खेलें और हमारे पास मुस्कुराने का कारण है । हमें क्रिकेट खेलने को मिल रहा है । हम उम्मीद करते हैं कि हम घरों में लोगों को खुश कर रहे होंगे । हम जीतें या हारें , यह कोई बात नहीं। हमें लोगों को खुश करने का मौका मिला है । अगर इससे लोग खुश हो रहे हैं तो एक खेल के रूप में हम अच्छा काम कर रहे हैं ।
सच । कितना बड़ा जीवन दर्शन बता दिया क्रिस मौरिस ने । कितनी गहराई खेल में भी और जीवन में भी । कितना बड़ा जीवन दर्शन।
किसी की चाहतों पे हो निसार
जीना इसी का नाम है ,,,
सच है। मुस्कुराहट की वजह बनिए। दुख की वजह नहीं । हमने पहले दौर मे सफाई कर्मियों और स्वास्थ्य कर्मियों को सम्मानित किया । इसीलिए कि वे कोरोना से डरे नहीं । हमारी सेवा करते रहे और अपने परिवार व बच्चों को भी भुलाये रहे । लेकिन हमने दिल्ली में उन्हीं स्वास्थ्य कर्मियों का वेतन देने में देरी की । इन्हीं स्वास्थ्य कर्मियों को ड्यूटी भी पूरी न करने दी और उनके काम में अड़ंगे लगाये । कुछ तो लिहाज कर लेते उनकी सेवाओं का । चालान काटने वाले अधिकारी को देख लेने की धमकी देते रहे नेता । आखिर कोरोना बड़ा है या आप ? कौन बड़ा है दोनों में ? चेहरे पर मुस्कान यही है सबसे बड़ा संदेश ।
हमने विपक्ष की बात सुननी भी बंद कर दी । अब राहुल गांधी कह रहे हैं कि सिस्टम फेल है इस कोरोना के आगे । ऑक्सीजन की कमी का सब तरफ शोर मच गया है । किसान आंदोलन पर इसका साया दोष लगा कर मुंह ढांप के सो गये हैं साहब । कोई तो चाहिए दोष देने को । अब पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को दोष कैसे दें हर बात का ? इसीलिए प्रियंका गांधी ने याद दिलाया कि मोदी जी , देश के प्रधानमंत्री आप हो , जवाहर लाल नेहरू नहीं । सतर साल कांग्रेस ने क्या किया ? अब आप बताइये कि आप साठ महीने मांग रहे थे , आपने क्या किया ? दिल्ली की तरह स्कूल बनवाये या मोहल्ला क्लिनिक ? क्या बनवाया ? बड़ी बड़ी मूर्तियां या मंदिर ? ऐसे ही मायावती ने पार्कों में जो हाथी खड़े किये थे , वे किस काम आ रहे हैं? अब सब पूछ नहीं रहे बल्कि कह रहे हैं सोशल मीडिया पर जब आपकी तैयारी ही नहीं थी तो कोरोना फैलता कैसे नहीं ? एक साल मे भी नहीं चेते । वैसे के वैसे ही रहे । चुनाव जीतने की फिक्र रही या सरकारें गिराने की चिंता। सोचा ही नहीं कि कोरोना आएगा तो कैसे निपटेंगे? जब सब तरफ हाहाकार मच गया तब चिंता शुरू की ।
अब पछताये होत क्या
जब चिड़ियाँ चुग गयी खेत,,,
हम तो कहते हैं कि अब भी कुछ नहीं गया । अब भी ध्यान दीजिए और कोरोना की महामारी को काबू करने के प्रबंध कीजिए ।