समाचार विश्लेषण/राष्ट्रपति चुनाव के बहाने कुछ मुद्दे
-*कमलेश भारतीय
राष्ट्रपति चुनाव के बहाने कुछ मुद्दे उठ रहे हैं सत्ता के गलियारों में । इस बार द्रौपदी मुर्मू को भाजपा ने राष्ट्रपति पद की प्रत्याशी बनाया है , यह संकेत देते हुए कि आदिवासियों को उनका अधिकार देने का विनम्र प्रयास भर है । हालांकि इस पर किसी ने चोट की है कि यदि प्रधानमंत्री को आदिवासियों की इतनी हो चिंता है तो वे द्रौपदी मुर्मू को अपने पद पर बिठा दें । इसके साथ ही द्रौपदी मुर्मू की सादगी की कहानियां मीडिया पर चलनिकली हैं , जैसे अपने कार्यकाल को पूरा करने जा रहे रामनाथ कोविद की कहानियां आई थीं या फिर कांग्रेस शासनकाल में दादा प्रणब मुखर्जी की बड़ी दिलचस्प कहानी आई थी कि वे अपनी बहन से कहते हैं कि काश , वे राष्ट्रपति का रथ खींचने में जोते घोड़ों में से एक घोड़ा ही होते । इस पर बहन ने कहा की ऐसा क्यों ? तुम तो खुद राष्ट्रपति बनोगे एक दिन और वह दिन आया । राष्ट्रपति बनने के बावजूद प्रणब दा एक टीस लेकर विदा हुए राजनीति के सर्वोच्च पद पर आसीन होने के बावजूद कि मैं राष्ट्रपति नहीं , प्रधानमंत्री बनना चाहता था लेकिन हिन्दी न आना बहुत बड़ी बाधा बना । यानी हिंदी का दक्षिण वालों के विरोध के बावजूद कितना महत्त्व है इस देश में । एक राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह बने, जिन्होंने कहा था कि मेरी प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी यदि मुझे झाड़ू लगाने को भी कहें तो इससे हिचकूंगा नहीं । फिर उसी राष्ट्रपति ने अपने ही बनाये प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नाकों चने चबवा दिये थे । वे खत पढ़ने लायक हैं जो तब एक दूसरे को लिखे गये थे । एक राष्ट्रपति चुनाव में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अंतरात्मा की आवाज की गुहार लगाई और कांग्रेस के ही प्रत्याशी वी नीलम संजीवा रेड्डी को हरवा दिया । अब भी अंतरात्मा की आवाज पर हरियाणा से कांग्रेस विधायक कुलदीप बिश्नोई वोट करेंगे । ऐसी चर्चा है । चलो किसी की तो अंतरात्मा जागी । वैसे यह कहा जाता है कि नेताओं की आत्मा कम ही जागती है । जैसे अभी शिवसेना के विधायकों की जागी है और वे भी द्रौपदी मुर्मू को ही वोट देंगे । वैसे पश्चिमी बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की आत्मा भी जागी और यशवंत सिन्हा को विपक्ष का प्रत्याशी बनाने के बाद क्या कहा कि यदि पहले हमें कहते तो हम भी द्रौपदी मुर्मू को समर्थन दे देते । है न कमाल ।
एक राष्ट्रपति अमेरिका के हुए ,जो एक मोची के बेटे थे और एक सांसद
ने भरी संसद में बड़ी अभद्रता से उनके पिता के प्रोफेशन पर चोट करते कहा कि हमने भी आपसे जूते बनवाये हैं । इस पर राष्ट्रपति ने बड़ा माकूल जवाब दिया कि हां , मुझे खराब जूतों को ठीक करना आता है । इस पर वे सांसद चुप लगा गये । अमेरिका के ही एक राष्ट्रपतिबिल क्लिंटन अपनी युवा महिला कर्मचारी मोनिका लेविंस्की के यौन शोषण के चर्चों के बाद अपमानजनक ढंग से राष्ट्रपति भवन से बाहर निकाले गये ।
अभी यशवंत सिन्हा ने चंडीगढ़ में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के आवास पर विधायकों से मुलाकात व समर्थन मांगते समय बहुत चोट की भाजपा की कार्यशैली पर -ईडी और अन्य एजेंसियों का दुरुपयोग और बढ़ेगा यदि द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति बनती हैं । बेशक वे कुछ भी कहें यशवंत सिन्हा लगभग एक प्रतीकात्मक लड़ाई लड़ रहे हैं , जीतने की संभावनाएं बहुत कम हैं ।
हां , राष्ट्रपति चुनाव होने तक राजनीतिक आरोप प्रत्यारोप जरूर लगाये जाते रहेंगे । जो बहुत इशारे देते रहेंगे । कुछ नयी बहसों को जन्म देंगे ।
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।