कहीं ताजपोशी, कहीं रस्साकशी
-*कमलेश भारतीय
हरियाणा की आज की तस्वीर बड़ी साफ साफ नज़र आ रही है। कहीं ताजपोशी है तो कहीं रस्साकशी दिखाई दे रही है । भाजपा जश्न में डूबी है और टशन मनाने जा रही है जबकि हार की हैट्रिक बनाने वाली कांग्रेस अभी तक गुटबाजी, दोषारोपण के बाद नेता प्रतिपक्ष चुनने के लिए रस्साकशी करती दिख रही है । कहते हैं कि हार कर भी चैन न मिला तो कहां जायेंगे ? थाली में परोसी हुई जीत को अपनी गुटबाजी और मुख्यमंत्री बनने की जिद्द में हाथ से फिसल जाने दिया और हार का गुबार देखते रह गये । एक नहीं, दो नहीं, तीन तीन नेता मुख्यमंत्री बनने के लिए ताल ठोक रहे थे जबकि अतिउत्साह में कांग्रेस हार भी सकती है, यह तो किसी ने सोचा तक नहीं ! बस, ताल ठोकते रहे एक दूसरे को देखकर और नतीजा वैसा ही जैसे पटाखा फुस्स हो गया हो।
भाजपा आज तीसरी बार सरकार बना लेगी । मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी का विरोध न अनिल विज कर पाये और न ही राव इंद्रजीत । इसे कहते हैं हाईकमान का डर, अनुशासन और कांग्रेस में असंध में राहुल गांधी रूठे हुए बच्चों की तरह कांग्रेस के दो बड़े नेताओं के हाथ मिलवाते हैं और दिल हैं कि मिलते ही नहीं । दिल हैं कि मानते ही नहीं! ये मुख्यमंत्री बनने की बेकरारी क्यों हो रही थी, ये जानते ही नहीं । सैलजा असंध जाती हैं लेकिन बरवाला नहीं जातीं राहुल गांधी की रैली में क्योंकि बरवाला में हुड्डा की पसंद के प्रत्याशी थे रामनिवास घोड़ेला । इस तरह गुटबाजी आमजन से छिपी न रही, जिसने हरियाणा में कांग्रेस की हवा को भाजपा के पक्ष में आखिरी दिनों में ला दिया। हवा का रुख एकदम बदल गया, जिसकी कांग्रेस नेताओं को खबर भी नहीं हुई हवा भी नहीं लगी और अब पांच साल फिर बैठो प्रतिपक्ष में । कहो कि अंगूर खट्टे हैं । अभी भी नेता प्रतिपक्ष चुनने के लिए गुटबाजी हो रही है, जिसके साथ मात्र पांच विधायक हैं, वे नेता प्रतिपक्ष नया बनाने की मांग पर अड़े हैं । यह बदकिस्मती है कांग्रेस की और हाईकमान का जैसे कोई रोल है ही नहीं । आपस में उलझे रहो, फ्री हैंड दे रखा है तो फिर काहे की हाईकमान ?
अभी तो चुनाव महाराष्ट्र और झारखंड भी आने वाले हैं और वहीं एकजुटता की बड़ी डोज देने की जरूरत है लेकिन श्रीगणेश तो हरियाणा से कर लीजिए, जहांपनाह ! देर तो हो चुकी, कहीं ओर देर न हो जाये ।
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी।