सोनाक्षी सिन्हा की शादी: दुर्भावनापूर्ण  बदनामी अभियान 

सोनाक्षी सिन्हा की शादी: दुर्भावनापूर्ण  बदनामी अभियान 

-*कमलेश भारतीय
यह सोशल मीडिया भी क्या चीज बनाई जुकरबर्ग ने। किसी के भी पीछे हाथ धोकर या बिना साथ धोये पड़ जाओ। अपने जमाने के शाॅटगन शत्रुघ्न सिन्हा की बेटी सोनाक्षी सिन्हा ने सात साल डेट करने के बाद जहीर इकबाल से शादी क्या करवा ली, सोशल मीडिया पर तूफान आ गया जैसे किसी धर्म को खतरा पैदा हो गया हो। कहने लगे कि घर का नाम 'रामायण' और चारों भाइयों के नाम भी रामायण के आधार पर ही और बेटी देखो कैसे किसी मुस्लिम युवक से शादी करने जा रही है। बताओ यार, शत्रुघ्न सिन्हा या उनकी बेटी की अपनी कोई निजी ज़िंदगी नहीं? वे आपके कहे अनुसार अपनी बेटी की शादी तय करें क्या? सोशल मीडिया इस बात से भर गया कि शत्रुघ्न सिन्हा अपनी बेटी से नाराज हैं और बेटी की शादी में भी नहीं जायेंगे। सोनाक्षी ने फादर्स डे पर भी अपने पापा को विश नहीं किया। भाई लव और कुश भी नाराज हैं यानी सोशल मीडिया वाले सज्जनों और देवियों का खाना पीना छूट गया और सिर्फ और सिर्फ शत्रुघ्न सिन्हा के घर परिवार में क्या हो रहा है इसी की चिंता में दुबले पतले होने लगे। आखिरकार कोर्ट मैरिज हुई और वो भी शत्रुघ्न सिन्हा के बंगले पर। फिर भी कलेजे को ठंड नहीं पड़ी। सोनाक्षी के हनीमून तक की चिंता सताने लगी।  बताओ यार! हनीमून में तो पीछा छोड़ दो नये जोड़े का। फिर‌ शत्रुघ्न सिन्हा अस्पताल क्या दाखिल हुए, वहां भी पीछा न छोड़ा। बेटी सोनाक्षी अपने पति के साथ पिता का हालचाल पूछने गयी और अफवाह ज़ोरों से फैल गयी कि वह तो प्रेगनेंट है और अस्पताल के चक्कर लगा रही है। 
इन सब बातों से शाॅटगन सिन्हा बुरी तरह नाराज हो चुके हैं। आखिर एक बेटी के हिंदुस्तानी बाप हैं। करें तो क्या करें? उन्होंने बयान देकर दुख व्यक्त किया कि वे अपने परिवार के बारे में चलाये जा रहे इस बदनामी पूर्ण अभियान से बहुत दुखी हैं। आखिर कौन सी दुश्मनी निकाली जा रही है? लव शादी में नहीं आया तो किस घर में असहमति नहीं होती? मेरी बेटी ने शादी की है और ऐसी अंतरधर्म की शादियां पहले भी अनेक हो चुकी हैं, फिर हमारी बेटी की शादी पर ही बबाल क्यों मचा रखा है? शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि अब अगर ऐसी बातें जारी रहीं तो वे एक्शन लेंगे, खामोश नहीं बैठे रहेंगे। अरे! अब तो डूब मरो किसी कुंयें में जाकर बेशर्मो। छोड़ दो पीछा सोनाक्षी का, जीने दो उसे अपनी ज़िंदगी। 
संसार की हर शै का इतना ही फसाना है
इक धुंध में आना है, इक धुंध में जाना है ! 

-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी।