समाचार विश्लेषण/सोनिया गांधी और कांग्रेस की स्थिति
नाम नाम के बादशाह और नाम नाम की हाईकमान
-कमलेश भारतीय
कांग्रेस हाईकमान सोनिया गांधी का आज जन्म दिन है । एक बहुत मज़ेदार संयोग है कि सन् 1885 में कांग्रेस की स्थापना एक अंग्रेज ए ओ ह्यूम ने ही रखी थी और अब भी एक विदेशी महिला इसकी हाई कमान है । बेशक भारतीय नागरिकता ग्रहण कर रखी है लेकिन विपक्षी दल सोनिया गांधी को विदेशी होने के चलते ही आलोचना के केंद्र मे रखते हैं । यहां तक कि जब सोनिया गांधी के प्रधानमंत्री बनने की प्रबल संभावनाएं बन गयी थीं तब सुषमा स्वराज ने इसके विरोध में सिर मुंडवाने की घोषणा कर दी थी । मुलायम सिंह ने कदम पीछे हटा दिए थे और सोनिया गांधी ने मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनवा कर त्याग की मूर्ति का खिताब पा लिया था ।
यह भी सच है कि सोनिया गांधी को राजनीति पसंद नहीं थी । वे राजीव गांधी के पायलट होने से ही खुश थीं अपने छोटे से संसार में । दो बच्चे और एक छोटी सी गृहस्थी लेकिन श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सब कुछ बदल गया । कांग्रेस नेताओं ने राजीव गांधी को प्रधानमंत्री बनाया और राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने विदेश से बुला कर आधी रात को प्रधानमंत्री पद की शपथ दिला कर अपना ऋण उतार दिया । हालांकि बाद में ज्ञानी जैल सिंह और राजीव गांधी में सब कुछ ठीक नहीं रहा चिट्ठियों में बातचीत होने लगी ।
दुर्भाग्य का एक ऐसा झोंका आया कि प्रचार के दौरान जनसभा से पहले राजीव गांधी की इहलीला मानव बम बनी महिला ने समाप्त कर दी, फूल भेंट करने से पहले पांवों में झुकी और बटन दबा दिया बम का । देखते देखते राजीव गांधी अदृश्य हो गये ।
जो सोनिया गांधी राजनीति से देर रहना चाहती थी उसी सोनिया गांधी को मानव मनोबल कर कांग्रेस की अध्यक्ष बनाया गया और कितनी मेहनत की रोड शो करके कि कांग्रेस को सत्ता में लौटा लाई । हालांकि तब भी सुषमा स्वराज कहती थीं कि यह सोनिया गांधी कांग्रेस को रोड पर ले आई है और यह संसद से भी रोड पर आ जायेगी । लेकिन जितनी आलोचना सोनिया की विदेशी महिला कह कर की गयी , उतना ही भाजपा को विरोध का सामना करना पड़ा । जनता ने सोनिया को भारत की बहू मान लिया और सोनिया ने भी एक भारतीय नारी की तरह साड़ी का पल्लू सिर से नीचे जाने नहीं दिया । इंदिरा गांधी की दूसरी बहू यानी मेनका गांधी से सोनिया की कभी नहीं पटी । देवरानी और जेठानी के रास्ते अलग ही रहे । मेनका निर्दलीय चुनाव लड़ती रही और फिर मां बेटा भाजपा में शामिल हो गये । बच्चों के संबंध भी मधुर नहीं रहे । इसी प्रकार बच्चन परिवार से भी दूरियां बढती गयीं और अब तो बिग बी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निकट हैं और गुजरात के ब्रांड एम्बेसेडर भी रहे और,आजकल कोरोना में भी इनकी आवाज सुनी जा रही है ।
अब कांग्रेस में सोनिया गांधी की सत्ता को चुनौती मिल रही है । गुलाब नवी आजाद , कपिल सिब्बल और पी चिदम्बरम् जैसे नेता नया अध्यक्ष बनाये जाने की खुल्लम-खुल्ला मांग मीडिया में उठा चुके हैं । गांधी का नाम भी कांग्रेसियों को चाहिए और अध्यक्ष भी देखना नहीं चाहते । दुविधा में दोऊ गये ,माया मिली न राज । अब कांग्रेसी बेचैन हैं सत्ता के लिए । कांग्रेस हाई कमान का वह असर भी नहीं रहा । ऐसे जैसे आखिरी मुगल बादशाह बहादुर शाह जैसी स्थिति बन गयी हो । नाम नाम के बादशाह और नाम नाम की हाईकमान । सोनिया गांधी का आज जन्मदिन है और उनके लिए स्वास्थ्य के लिए अनेक शुभकामनाएं । कांग्रेस के लिए दुआएं और कांग्रेसियों को भी सन्मति दे भगवान् ।