सोनू रोंझिया का वानर सेना से थियेटर तक का सफर

सोनू रोंझिया का वानर सेना से थियेटर तक का सफर


-कमलेश भारतीय 
भिवानी के सोनू रोंझिया का सफर रामलीला की वानर सेना से शुरू होकर थियेटर तक पहुंचा और देश की प्रसिद्ध नाट्य संस्था श्रीराम सेंटर में भी सात साल रहे । वहीं से दो साल का एक्टिंग कोर्स भी किया और पांच साल रंगमंडल में रहे । फरीदाबाद के निकट कबूलनगर के तकनीकी महाविद्यालय में सोनू रोंझिया से मुलाकात हुई और फिर बातचीत की ।

-मूल रूप से कहां से हो ?
-भिवानी से ।
-कितनी शिक्षा ?
-ग्रेजुएशन भिवानी के गवर्नमेंट काॅलेज से और एक्टिंग का दो साल का कोर्स किया और बाद में वहीं रंगमंडल में पांच साल तक रहा । 
-कैसे शुरू हुआ रंगमंच का सफर ?
-बचपन में रामलीला में वानर सेना में भाग लिया करता था और मेरे चाचा रामभूषण इसमें लक्ष्मण का रोल किया करते थे ।
-काॅलेज में कौन कौन से नाटक किये ?
-दो साल मंटो का टोबा टेक सिंह तो एक साल स्वदेश दीपक का जलता हुआ रथ में भूमिकाएं । 
-पुरस्कार ?
-महर्षि दयानंद विश्विद्यालय का श्रेष्ठ अभिनेता रहा ।
-किस नाटक निर्देशक को पसंद करते हो ?
-मेरे गुरु सुनील चितकारा जो जलता हुआ रथ के निर्देशक भी थे । इसी प्रकार गवर्नमेंट काॅलेज के प्रो ए वी शर्मा का भी बहुत योगदान है ।
-श्रीराम सेंटर में किन निर्देशकों के साथ काम किया ?
-मुश्ताक काक , राजेंद्र नाथ , श्रीवर्धन त्रिवेदी( सनसनी फेम), अवतार साहनी , बहरूल इस्लाम आदि । गुरुग्राम की किंग्डम ऑफ ड्रीम्स में सात साल रहा और झुमरू के तेरह सौ शोज किये ।
-किसी फिल्म में काम किया ?
-यशराज फिल्म्स की तितली , मिस टनकपुर हाजिर हो और लूटकेस ।
-हरियाणा में रंगमंच की क्या स्थिति ?
-पिछले पंद्रह सालों में बहुत बेहतर हुई है । हर जिले में बेहतर काम हो रहा है । मनीष जोशी का थियेटर फेस्टिवल कमाल कर रहा है । महेश  वाशिष्ठ और कृष्ण नाटक अच्छा काम कर रहे हैं ।
-हरियाणवी फिल्म चंद्रावल से दादा लखमी तक क्या कहोगे ?
-चंद्रावल के बाद काफी अंतराल आ गया था । अब दादा लखमी फिर से दर्शकों को सिनेमा तक खींच के लाने में सफल रही है । यह संजीवनी का काम करेगी । निश्चय ही यशपाल शर्मा बधाई के हकदार हैं ।
-परिवार के बारे में ?
-पत्नी मोनिका गृहिणी । दो बेटे -हृदयांश जो संगीत में रूचि रखता है और भ्रमर नृत्य में ।
-कभी मां पापा ने रोका नहीं ?
-शुरू में पापा प्रद्युम्न सिंह बहुत रोकते रहे लेकिन मां मीरा देवी हमेशा स्पोर्ट करती रहीं । अब दोनों खुश हैं । रंगमंच से ही अपना परिवार चला रहा हूं ।
-आगे क्या लक्ष्य ?
-जीवन भर कला को समर्पित । एक नाट्य संस्था मीरा कल्चर सोसायटी चला रहा हूं ।