प्रकृति के हरेक तत्व में विद्यमान संगीत की ध्वनि और प्रतिध्वनिः सहायक आयुक्त अंजली श्रोत्रीय
जनसंपर्क विभाग द्वारा म्यूजिकल इवेंट कम लेक्चर डेमोंसट्रेशन कार्यक्रम आयोजित।
रोहतक, गिरीश सैनी। सहायक आयुक्त अंडर ट्रेनिंग अंजली श्रोत्रीय (आईएएस) ने कहा है कि प्रकृति के हरेक तत्व से संगीत की ध्वनि और प्रतिध्वनि निकलती है, लेकिन हमें सुनाई नहीं पड़ती है। अंजली श्रोत्रीय बुधवार को वैश्य महाविद्यालय, रोहतक में सूचना, जनसंपर्क, भाषा एवं संस्कृति विभाग द्वारा आयोजित म्यूजिकल इवेंट कम लेक्चर डेमोंसट्रेशन कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित विद्यार्थियों को संबोधित कर रही थी।
उन्होंने कहा कि अस्तित्व में हर तरफ संगीत है। हवा के झोंके में, वृक्ष की सरसराहट में, नदियों के कलकल में, पक्षियों की चहचहाहट में, बादल के गर्जन में, आकाश की गूंज में हर जगह संगीत है। केवल वीणा की झंकार और स्वर के तानों में ही संगीत नहीं है। संगीत की स्वर लहरी को हम बारिश के गिरते बूंदों, धूप की गर्माहट, ठंड की कंपकंपाहट और धरती पर पड़ते अपने कदमों में भी महसूस कर सकते हैं।
अंजली श्रोत्रीय ने कहा कि जब मन के अंदर कोलाहल है, बेचैनी है, अधीरता है, तो फिर हम उस संगीत को कैसे सुन पाएंगे। इस अधीरता के कारण हमें कुछ सुनाई नहीं पड़ता है। अगर जीवन में सरलता के भाव आ जाएं, तो निश्चित ही हम प्रकृति के स्वर को सुन सकेंगे और हमारे चारों तरफ संगीत ही संगीत होगा। अंजली श्रोत्रीय ने कहा कि आज की नौजवान पीढ़ी को अपने परंपरागत शास्त्रीय संगीत से भी लगाव रखना होगा। उन्होंने कहा कि जब विद्यार्थी शास्त्रीय संगीत में रुचि लेंगे तो निश्चित रूप से हमारी इस प्राचीन विद्या को मजबूती मिलेगी। उन्होंने कहा कि सूचना, जनसंपर्क, भाषा एवं संस्कृति विभाग ने एक अच्छी पहल की है। मकसद शास्त्रीय संगीत में नौजवान पीढ़ी की रुचि पैदा करना है।
मुख्य कलाकार सुभाष घोष ने अपनी प्रस्तुति के दौरान कहा कि संगीत को समझने की जरूरत नहीं है, बल्कि इसे महसूस करने की जरूरत है। संगीत एक एहसास है।
सूचना, जनसंपर्क एवं भाषा विभाग की ओर से जिला सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी संजीव सैनी ने आए हुए मेहमानों व मुख्य अतिथि का आभार व्यक्त किया। सभी कलाकारों को स्मृति चिन्ह व शॉल भेंट कर उनका सम्मान किया गया। कार्यक्रम में वैश्य महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. संजय गुप्ता व स्टाफ के सदस्य मौजूद रहे।