जीएनडीयू में दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध सुविधाओं और संभावनाओं को लेकर दिव्यांगजनों के लिए जीएनडीयू के नोडल अधिकारी व हिन्दी-विभाग के एसोसिएट प्रोफ़ेसर डॉ.सुनील कुमार से खास बातचीत
गुरु नानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर में दिव्यांग विद्यार्थियों, शोधार्थियों और फैकल्टी के लिए क्या-क्या सहूलियतें उपलब्ध हैं और नये विद्यार्थियों को यह संस्थान क्यों चुनना चाहिए?
देखिए, गुरु नानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर विकलांग विद्यार्थियों, कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए पूर्णतः बाधा मुक्त वातावरण प्रदान करता है। विश्वविद्यालय के यशस्वी कुलपति प्रोफेसर (डॉ.) जसपाल सिंह संधू विकलांगजनों के अधिकारों व संरक्षण के लिए पूरी तरह संवेदनशील हैं तथा उनसे हर कदम पर भरपूर प्रेरणा और मार्गदर्शन मिलता है।वे खुद दिव्यांगजनों की सुविधाओं और परेशानियों की निगरानी करते हैं। इसी क्रम में हाल ही में उन्होंने 'भवन्स आश्रय, अमृतसर' का दौरा भी किया है। पिंगलवाड़ा और अंध विद्यालय से भी विश्वविद्यालय का निरंतर जुड़ाव रहता है।
अगर सुविधाओं की बात करें तो विकलांग विद्यार्थियों के लिए फीस माफी सहित विभिन्न छात्रवृत्तियां दी जाती हैं। दिव्यांगजनों के लिए 'समान भागीदारी प्रकोष्ठ (ईओसी-पीडबल्यूडी)' की स्थापना की गयी है।नोडल अधिकारी तथा शिकायत निवारण अधिकारी की नियुक्ति हुई है। विश्वविद्यालय परिसर में विकलांगजनों सहित सभी विद्यार्थियों के आवागमन के लिए मुफ्त व अनुकूल बसें चलाई गयी हैं।अधिकतर विभागों व भवनों में लिफ्ट, रैंप, रेलिंग और विशेष शौचालयों की व्यवस्था की गयी है।विशेष परामर्श केन्द्र खोला गया है ताकि विद्यार्थियों को उचित मार्गदर्शन मिल सके और विकलांग व्यक्तियों का सर्वांगीण विकास सुनिश्चित किया जा सके। विश्वविद्यालय के सेहत केंद्र में मुफ्त दैनिक जांच की जाती है और उचित देखभाल तथा दवाईयों की व्यवस्था है। समय-समय पर विभिन्न स्वास्थ्य जांच कैंपों का आयोजन किया जाता है।विकलांजनों के लिए विशेष सहायक डिवाइसों व उपकरणों की निरंतर व्यवस्था की जा रही है।अनेक क्लब बनाए गये हैं।भाई गुरदास पुस्तकालय में विकलांजनों के लिए अनुकूलित कंप्यूटर लैब बनाई गयी है। विभिन्न गतिविधियों में सहायता के लिए विद्यार्थी- वोलंटियर तैयार किए गये हैं।विकलांगजनों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए, रोजगार और प्लेसमेंट के लिए तथा पैरालंपिक खेलों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करने के साथ हर संभव मदद दी जाती है।अनेक जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाते हैं।कोरोनाकाल में ईओसी-पीडबल्यूडी के सौजन्य से अनेक आनलाइन वेबिनारों का आयोजन किया गया ताकि विद्यार्थी घर बैठे लाभान्वित हो सकें।इस अकादमिक सत्र में एक विशेष आनलाइन व्याख्यान श्रृंखला का आयोजन किया जा रहा है जिसमें देश-विदेश के विद्वान विकलांगता के विभिन्न पहलुओं पर अपना व्याख्यान देंगे।
विशेष शिक्षकों की कमी और मांग को देखते हुए विश्वविद्यालय द्वारा बी.एड.(विशेष शिक्षा) का रोजगारोन्मुख पाठ्यक्रम प्रारंभ किया गया है। राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान के अंतर्गत अनुदान और सुविधाएं मिल रही हैं।कार्यस्थलों पर दिव्यांगजनों के उत्पीड़न को रोकने के लिए, समान अवसर, भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए तथा उनके अधिकारों के संरक्षण के लिए प्रावधानों का कड़ाई से पालन किया गया है। विभिन्न नियुक्तियों और पदोन्नतियों में आरक्षण के नियमों को सख्ती से लागू किया गया है।संबद्ध व संघटक महाविद्यालयों, क्षेत्रीय परिसरों को भी दिव्यांजनों की सुविधाओं के लिए समय-समय पर निर्देशित किया जाता है। उच्चतम व उच्च न्यायालय, भारत सरकार, यूजीसी, विकलांग जनों के लिए केन्द्रीय व राज्य के आयुक्त कार्यालय व पंजाब सरकार द्वारा समय-समय पर जारी निर्देशों व हिदायतों का पूरी तरह पालन किया जाता है।इस प्रकार गुरु नानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर विकलांगजनों के लिए एक बेहतरीन, उच्चस्तरीय, प्रतिबद्ध व आदर्श संस्थान है जो पूर्णतः अनुकूल वातावरण प्रदान करता है। देश के विभिन्न हिस्सों से दिव्यांग विद्यार्थी निसंकोच गुरु नानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर के विभिन्न विभागों में दाखिले के लिए आवेदन करें। सही मायनों में यह एक बेहतरीन और विश्व स्तरीय संस्थान है।
दिव्यांगजनों और समाज को आप क्या संदेश देना चाहेंगे?
बढ़िया सवाल, देखा जाए तो विकलांगजन 'विश्व के सबसे बड़े अल्पसंख्यकों' के तहत आते हैं।विश्व की लगभग 15%, भारत की लगभग 3% और पंजाब की 2.5 % आबादी विकलांगता से ग्रस्त है।सबसे पहले समाज में रह रहे आमजन और शारीरिक रूप से अक्षम लोगों के बीच भेदभाव की भावना को खत्म करना होगा।विकलांग जनों के प्रति समाज के उदासीन रवैये में बदलाव अपेक्षित है।दिव्यांगजनों को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक करना होगा।उनके मन से हीन भावना निकालनी होगी तथा समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के गंभीर प्रयास आवश्यक हैं।उनकी क्षमताओं के लिए उन्हें जानें, उनकी अक्षमता के लिए नहीं।आत्मा और शरीर दोनों से विकलांग मत बनें।मेरा मानना है कि नकारात्मक दृष्टिकोण ही जीवन की एकमात्र विकलांगता है।दिव्यांगों का अपमान स्वयं ईश्वर का अपमान है और दिव्यांग व्यक्तियों के हौंसले हमारी सोच से भी परे हैं। स्टीफन हॉकिंग, अरुणिमा सिन्हा, रवीन्द्र जैन, गिरिश शर्मा, शेखर नाइक, सुधा चंद्रन, एच रामाकृष्णन, डॉ.सुरेश आडवाणी, मलाठी, इरा सिंघल, इयान कार्डेजो, जावेद आबिदी, एच बोनिफेस, प्रीति श्रीनिवासन, साईं प्रसाद, ललित कुमार, सेम कोथर्न, राल्फ ड्रोन, क्रिस्टोफर रीव, फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट, हेलन केलर, जॉन मिल्टन, निकोलस जेम्स आदि असंख्य ऐसे नाम हैं जिन्होंने अपने हौंसलों से अद्भुत उड़ान भरी है और संसार को आश्चर्य चकित किया है।विकलांगजनों के पास अयोग्यता नहीं है बल्कि उनके पास अलग क्षमता है।विकलांगजनों को सहारा देने और उनका जीवन संवारने के लिए प्रतिबद्ध होना होगा। विकलांगजनों के लिए बनाए गये कानूनों और योजनाओं का कड़ाई से पालन जरूरी है।
विकलांगता के क्षेत्र में अद्भुत कार्य करने और ढेर सारी उपलब्धियों के लिए सिटी एयर न्यूज की ओर से आपका धन्यवाद और उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएं...
जी,आपका भी बहुत-बहुत आभार।दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण में मीडिया की भूमिका भी नितांत प्रशंसनीय है।धन्यवाद।