खेल, साहित्य और यूट्यूब एक साथ: कंचन 

खेल, साहित्य और यूट्यूब एक साथ: कंचन 
कंचन ।

-कमलेश भारतीय 
खेल , साहित्य, समाजसेवा और यूट्यूब सब एक साथ चलाती हूं और ऐसा कर ज़िंदगी भरपूर जीने की कोशिश करती हूं । यह कहना है इट्स मी कंचन की निर्देशिका कंचन का जो इन दिनों आगरा रहती हैं । वैसे वे गोरखपुर के निकट गांव मझिगावाँ, जगतबेला की निवासी हैं और आठवीं तक वहीं शिक्षा प्राप्त की । फिर आगे की पढ़ाई करने गोरखपुर रेलगाड़ी से जाती । रेलयात्रियों में वह अकेली छात्रा होती और बड़ी मुश्किल से पापा को मनाया, जिसमें  माँ का सहयोग सहायक रहा । दसवीं, बारहवीं फिर ग्रेजुएशन और कम्प्यूटर में छह माह का डिप्लोमा किया और कम्प्यूटर में रूचि जागी तो अल्मोड़ा जाकर डेढ़ साल लगा कर पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन कम्प्यूटर एप्लीकेशन किया । सन् 1998 में पीडब्ल्यू विभाग में कार्यरत एक्स ई एन नरेश से शादी हो गयी । 
 

-कोई नौकरी ?
-जी । कुछ समय गोरखपुर के महिला पाॅलिटेक्निक में । इस दौरान कई जाब आप्शन थे लेकिन नरेश जी की पोस्टिंग कभी अलग अलग  शहरों में होती रही । परिवार की जिम्मेदारी और दो बेटों निशांत व ईशांत की मां बन जाने पर नौकरी की ही नहीं ।
-समाजसेवा में मुरादाबाद रहते जुड़ी इनरहवील क्लब के माध्यम से जो आगरा आने के बाद आकांक्षा समिति से जुड़कर लेकिन मैं क्लब तक सीमित नहीं रही । जहां भी नरेश की पोस्टिंग रही और जिस सरकारी काॅलोनी में आवास मिला , वहीं के बच्चों की शिक्षा और उनकी मदद की । किसी को बुटीक खुलवा दिया तो किसी को कोई और काम करवा दिया ताकि वे सम्मान पूर्वक जी सकें। 
-फिर इट्स मी कंचन का ख्याल कैसे ?
-पहले मैं वीडियोज बना बना कर कुछ साहित्यिक ग्रुप में पोस्ट करती और जब ज्यादा पसंद किये जाने लगे तब 'Kanchan its me' पेज, 'वर्चस्व रहे हिन्दी' का समूह एवं 'kanchan Lata Pandey कंचन'यूट्यूब ही बना लिया । आपके साहित्य से परिचित हुई और ऑनलाइन आमंत्रण दिया जो काफी पसंद किया गया ।
-यूट्यूब का काम कैसे ?
-कम्प्यूटर में रूचि है और डिग्री भी तो यही काम कोरोना में सबसे कारगर। 
-काॅलेज के दिनों में क्या किया करती थीं ?
-स्कूल काॅलेज के दिनों में काव्य पाठ, गायन, नाटक जैसी सभी विधाओं में तो भाग लेती ही थी बल्कि भाला फेंक प्रतियोगिता में स्टेट लेवल तक पुरस्कार जीते । इसके अलावा कबड्डी टीम में भी थी । आज तक मेरी मां मेरी शील्ड्स संभाले हुए हैं और मुझे याद करती हैं । 
-साहित्य लेखन कैसे ?
-शुरूआत तो पैरोडी से हुई । मेरी छोटी बहन को कसम चाहे ले लो गाना बहुत प्यारा लगता था और वह इसी तर्ज पर भक्ति गीत चाहती थी । वह मेरे पीछे पड़ी कि दीदी कुछ लिख कर दो । बस । लेखन पैरोडी से शुरू हुआ और अब कविता लेखन चल रहा है । 
-पुरस्कार?
-ताज महोत्सव पुरस्कार , सुरभि कल्चरल ग्रुप सम्मान आदि ।
-लक्ष्य ?
-सतत लेखन और वीडियोज बनाते रहना, संचालन, निर्मात्री एवं कलाकार के रूप मे भी काम करते रहना चाहती हैं । 
हमारी शुभकामनाएं कंचन को ।