समाचार विश्लेषण/बासी कढ़ी में उबाल: फिर एसवाईएल विवाद
-कमलेश भारतीय
मंडी आदमपुर के संभावित उपचुनाव की दस्तक देते ही बासी कढ़ी में उबाल आ गया हो जैसे! वैसे यह समस्या कोई नयी नहीं है । लगभग चार दशक पुरानी है । जब से यानी सन् 1966 से पंजाब से अलग हरियाणा अस्तित्व में आया तब से यह समस्या चल रही है । यही क्यों पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट, अलग विधानसभा और हिंदी पंजाबी बोली वाले क्षेत्रों अबोहर फाजिल्का भी मुद्दा बने रहते हैं लेकिन ज्यादा जोरदार मुद्दा है एसवाईएल विवाद जो सदाबहार कहा जा सकता है ! अभी कल ही हरियाणा में हिसार के पास सिवानी के एक गांव में जन्मे लेकिन दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मुझे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चाय के प्याले पर आमंत्रित कर लें , मैं इस विवाद का हल बता दूंगा । वाह रे हरियाणा के छोरे ! कर देखा कमाल ! तभी तो गाना है -हरियाणा आले कुछ भी कर दे ! जो काम चालीस साल से नहीं हुआ , वह आप ही एक बैठक में कर दोगे ? फिर तो बहुत बड़े सम्मान के हकदार होंगे ! वैसे जब अरविन्द केजरीवाल यह बात कह रहे थे तब पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान उनकी बगल में ही बैठे थे । केजरीवाल ने पूर्व सरकारों पर दोष मढ़ते कहा कि एसवाईएल पर सिर्फ गंदी राजनीति होती आई है । केंद्र सरकार की जिम्मेवारी है कि पानी का इन्तजाम करे और पंजाब व हरियाणा को आपस में लड़ाने की कोशिश न करे ! लीजिए हो गया न हल ! न पंजाब बुरा , न हरियाणा ! दोनों अच्छे हैं क्योंकि पंजाब में आप पार्टी की सरकार है और हरियाणा के मूल निवासी हैं केजरीवाल ! एक बार तो पंजाब विधानसभा चुनाव में कह बैठे थे कि पंजाब का हक बनता है । अब हरियाणा आकर क्या कहें? बगल में पंजाब के मुख्यमंत्री बैठे हैं । तो इधर की न उधर की बात कही । दोनों की मजबूरी बता दी कि पानी दोनों राज्यों को चाहिए । दोनों कृषि प्रधान राज्य हैं और दोनों में जलस्तर बहुत नीचे जा चुका है । इसलिए मुझे प्रधानमंत्री चाय पर बुला लें तो हल बता दूंगा ! दोनों की जय जय ! इसके जवाब में विधानसभा के अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने ट्वीट कर कहा कि
तू इधर उधर की न बात कर
यह बता कि काफिला लुटा क्यों ?
भई साफ साफ बताओ हरियाणा के सच्चे बेटे हो तो हरियाणा के हक की बात करो ! इसी प्रकार मंडी आदमपुर के पूर्व विधायक कुलदीप बिश्नोई कह रहे हैं कि केंद्र की छोड़कर अपनी राय बताओ कि क्या है एसवाईएल के मुद्दे पर ? इस तरह अरविंद केजरीवाल के मिशन इंडिया नम्बर वन के साथ ही हरियाणा का यह मुद्दा एक बार फिर राजनीति के गलियारों में गरमाने लगा है । वैसे केजरीवाल ने कहा सेफ शब्दों में कि हमें कुलदीप बिश्नोई की जरूरत नहीं है । वे तो अपने मामले रफा दफा करवाने के लिए भाजपा में शामिल हुए हैं !
एक बात कही केजरीवाल ने कि पंजाब में तो भाजपा कांग्रेस नेतृत्व कहता आ रहा है कि पंजाब के हिस्से की एक बूंद भी नहीं जाने देंगे तो दूसरी ओर हरियाणा में भाजपा कांग्रेस के नेतृत्व की ओर से कहा जाता है कि पानी का हक लेकर रहेंगे ! यह दोगली भाषा और दोगली नीति क्यों ? पार्टियों का एक ही स्टैंड क्यों नहीं ? ऐसा भी इन चालीस वर्षों में अवसर आया कि जब केंद्र और इन दोनों राज्यों में एक ही पार्टी की सरकारें बनीं और उम्मीद बनी कि अब यह मुद्दा हल हो जायेगा लेकिन ढाक के वही तीन पात ! यहां तक कि एक बार तो पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिह ने विधानसभा में ऐसा प्रस्ताव पारित करवा दिया जो राज्य के अधिकार क्षेत्र से ही बाहर था । आज भाजपा को वही कैप्टन अमरेंद्र सिंह बड़े अच्छे लगते हैं ! है न समय समय की बात ? फिर चौटाला परिवार पर भी यह आरोप लगता आ रहा है कि यदि प्रकाश सिंह बादल और चौ देवीलाल में आपसी भाईचारा इतना मजबूत था तो दोनों इसका हल क्यों नहीं निकाल पाये ? चौ भजनलाल परिवार भी एसवाईएल का श्रेय लेने को आगे आता रहा है ! लेकिन श्रेय लेने की होड़ के बावजूद मुद्दा वहीं का वहीं है! इसकी तस्वीर नहीं बदली , तकदीर नहीं बदली ! इसी एसवाईएल के निर्माण को बाधित करने के लिए पंजाब में रोपड़ के पास तेइस मजदूरों को आतंकवादियों ने ढेर कर दिया था । अब यह एसवाईएल ऐसी नहर है जिसमें पानी न होते हुए भी इसे नहर कहा जाता है ! करोड़ो अरबों रुपये बेकार हो चुके लेकिन यह मुद्दा वहीं का वहीं है अंगद के पांव की तरह ठोस जमा हुआ ! कभी इसे हल करने के लिए अभय चौटाला कस्सी लेकर खुदाई करने निकल पड़े कार्यकर्त्ताओं के साथ और एसवाईएल तो वहीं की वहीं रही , वे जरूर बुढैल जेल पहुंच गये कुछ दिन के लिए ! यानी काफी नाटकीय मोड़ भी आते रहे हैं इस मुद्दे को लेकर! इस समस्या से छुटकारा दिलाने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने हांसी बुटाना नहर की योजना भी बनाई जिसे सरकार बदलते ही खटाई में डाल दिया गया और इस पर खर्च हुआ जनता का पैसा भी बेकार गया !
अब फिर से बासी कढ़ी में उबाल आया है और देखिये मंडी आदमपुर उपचुनाव में इस पर क्या क्या आरोप प्रत्यारोप राजनीतिक दल एक दूसरे पर लगाते हैं !
एसवाईएल तेरी यही कहानी
बिन पानी भी विवादों की रानी !
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।