पंजाब के हिंदी लेखन की स्थिति
-कमलेश भारतीय
आज अपनी जालंधर की यादों को विराम देने का दिन है। हालांकि मैंने जालंधर के बहाने चंडीगढ़ ही नहीं, हरियाणा के कुछ अच्छे और दिल के करीब रहे उच्चाधिकारियों को भी याद किया और पंजाब, हरियाणा के लेखकों को भी । मैं छह माह के आसपास बीमार रहा, जब दोबारा से अपना नियमित स्तम्भ शुरू किया तब पता नहीं कैसे, मैं यादों की पगडंडियों पर निकल गया और खुशी की बात यह कि आप पाठक भी मेरे साथ साथ यह यात्रा करते रहे पर अब मुझे लगा कि एक बार विराम ले लेना चाहिए । हालांकि मैं यह श्रृंखला इतनी लम्बी न लिख पाता लेकिन बड़े भाई डाॅ चंद्र त्रिखा और मित्र डाॅ विनोद शाही को यह श्रृंखला इतनी अच्छी लगी कि वे दोनों बराबर मुझे उकसाते रहे कि अब लिख ही डालो, जो जो ओर जैसे जैसे याद आ रहा है और मैं लिखता चला गया और आप प्यार से पढ़ते चले गये । यह मेरे लिए बड़ी खुशी की बात थी और रहेगी कि मेरी यादों में आपने इतनी दिलचस्पी ली ।
अब इसे संपन्न करने से पहले यह सोच रहा हूँ कि आखिर जालंधर या पंजाब में अब कौन कौन से नये लोग हिंदी में लिख रहे हैं! मैंने अपने मित्रों से भी पूछा, उनके मन को भी टटोला और मुझे कोई नाम नहीं सुझाया गया ! बहुत दुख हुआ इससे । फिर मैंंने अपने अंदर झांका और मुझे चार नाम ऐसे लगे जिनका जिक्र कर सकता हूँ । सबसे पहले निधि शर्मा हैं, जो जनसंचार की यानी मास काॅम की प्राध्यापिका है वे परिचय के इन कुछ सालों में ही डाॅ निधि शर्मा बन गयीं हैं । निधि शर्मा में सीखने और समझने की ललक है, जो उसे पंजाब के नये रचनाकारों में उल्लेखनीय बनाती है। निधि के आलेख अनेक पत्र पत्रिकाओं में आते रहते हैं। कभी कभार कविताएँ भी लिखती हैं । इस तरह यह हमारे पंजाब के नये रचनाकारों में उल्लेखनीय कही जा सकती है। मूल रूप से हिमाचल से आईं निधि शर्मा आजकल होशियारपुर में रहती हैं और प्राध्यापकी जालंधर में करती हैं । हाल फिलहाल निधि को पंजाब कला साहित्य अकादमी से सम्मान भी मिला है ।
दूसरा नाम जो सूझा, वह है डाॅ अनिल पांडेय का , जो फगवाड़ा की लवली प्रोफैशनल यूनिवर्सिटी में हिंदी प्राध्यापक हैं और 'बिम्ब-प्रतिबिंब' प्रकाशन के साथ साथ 'रचनावली' नाम से पत्रिका भी निकाल रहे हैं । बड़ी बड़ी योजनाओं के सपने देखने की आदत है अनिल पांडेय को चंडीगढ़ के पंजाब विश्वविद्यालय से आये और फिलहाल फगवाड़ा को कर्मक्षेत्र बनाये हुए हैं । आलोचना में भी दखल रखते हैं।
डाॅ शिवानी कोहली आनंद भी पंजाब के नये रचनाकारों में अपनी जगह बना रही है, खासतौर पर काव्य लेखन व अनुवाद क्षेत्र में । पंजाब के मुकेरियां की लड़की आजकल नोएडा, दिल्ली रहती है और अपना भविष्य तलाश रही है। कभी अनुवाद तो कभी संपादन तो कभी काव्य लेखन में !
इसी प्रकार उपेंद्र यादव भी पंजाब के भविष्य के रचनकार हैं, जिनका एक काव्य संग्रह 'तेरे होने से' मुझे भेजा। वे अमृतसर रहते हैं और रेलवे में काम करते हैं। इस तरह मैंने कुछ नये लेखक खोजने की कोशिश की है ।
हरियाणा में ऐसे ही उत्साही लेखकों ब्रह्म दत्त शर्मा, पंकज शर्मा, अजय सिंह राणा , विजय और राधेश्याम भारती ने मुझे हवा देकर हरियाणा लेखक मंच का अध्यक्ष बना दिया । ये सभी खूब लिखते हैं और वरिष्ठ रचनाकारों को पढ़ते ही नहीं, सीखने को भी तत्पर रहते हैं । इनके साथ ही अरूण कहरबा भी बहुत सक्रिय हैं। वैसे तो हरियाणा में अनेक युवा लेखक सक्रिय हैं और यह खुशी की बात है । उपन्यास 'तेरा नाम इश्क' के बाद अजय सिंह राणा का कथा संग्रह 'मक्कड़जाल' खूब चर्चित हो रहा है । पंकज शर्मा और विजय लघुकथा में सक्रिय हैं। ब्रह्म दत्त शर्मा का कथा संग्रह 'पीठासीन अधिकारी' भी चर्चित रहा और अब इनका नया उपन्यास भी चर्चा में है। प्रो अलका शर्मा और अश्विनी शांडिल्य ने हाल ही में एक संकलन स़पादित कर ध्यान आकर्षित किया है। प्रो अलका शर्मा भी इन्हीं दिनों डाॅ अलका शर्मा बनी हैं और इनका एकल काव्य संकलन भी है ।
तो मित्रो! आज यह यादों में जालंधर को विराम! यह कहते हुए :
तुम ही तुम हो एक मुसाफिर
यह गुमान मत रखना
अपने पांव तले कभी
आसमान मत रखना!