रानी नागर: प्रतिभा के बावजूद संघर्ष
महिलाएं उच्चाधिकारी बन कर भी सशक्त नहीं हैं क्या- पत्रकार कमलेश भारतीय ने उठाया प्रश्न
क्या उच्च पद पा लेने से किसी महिला की समस्याएं या संघर्ष खत्म हो जाते हैं? यह सवाल उठता है आईएएस रानी नागर के इस्तीफे और फिर इसके नामंजूर होने के बाद। रानी नागर ने पहले डबवाली में एसडीएम रहते हुए भी राज्य सरकार से सुरक्षा को लेकर चिंता जाहिर की थी। इसके बाद चंडीगढ़ तबादला होने के बाद किसी सीनियर आईएएस अधिकारी के व्यवहार से उनको शिकायत हुई जिसकी जानकारी मुख्यमंत्री तक को दी गयी। इसके बावजूद रानी नागर हरियाणा में रहती हुईं सुरक्षित नज़र नहीं आईं। आखिर हालात को देखते हुए उन्होंने इस्तीफा दिया और अपनी बहन के साथ अपने गृहराज्य यूपी के लिए निकल गयीं जहां अपने आपको आइसोलेट कर लिया है यानी चौदह दिन का अज्ञातवास। इनके इस्तीफे के बाद जहां विपक्ष को मुद्दा मिल गया, वहीं सरकार की किरकिरी होने लगी। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने इस्तीफा नामंजूर किए जाने की मांग की तो केंद्रीय सूचना राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने भी अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया। आखिरकार कृष्णपाल गुर्जर ने ही अपने ट्वीटर पर सूचना दी कि रानी नागर का इस्तीफा नामंजूर कर दिया गया है और उनको गृहराज्य में भेजने की सिफारिश भी की गयी है। इस तरह हरियाणा की भाजपा सरकार की फजीहत रुक गयी है। इसके बावजूद जो छवि धूमिल होनी थी वह हो गयी। कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने यह पूछा कि आखिर जिस प्रदेश में महिला आईएएस अधिकारी ही सुरक्षित नहीं, फिर आम महिलाओं की क्या दशा होगी? कल्पना कीजिए जबकि कृष्णलाल गुर्जर कह रहे हैं कि हरियाणा सरकार बेटियों के हितों के लिए संवेदनशील है। इसलिए रानी नागर के हितों पर किसी प्रकार की आंच नहीं आने दी जायेगी। इसके लिए लगातार शीर्ष नेतृत्व से सम्पर्क बनाए रखा। यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने भी इस पूरे प्रकरण पर गहरी चिंता जताई थी। इस तरह रानी नागर के हरियाणा से बाहर गृह राज्य में जाने की स्थितियां बनती नज़र आ रही हैं। इसके बावजूद जो उनके वरिष्ठ आईएएस ने व्यवहार किया और जो मामला छुआ ही नहीं गया। क्या राज्य सरकार उसको भी खोलेगी? ताकि फिर कोई रानी नागर इस राज्य के समान पर सवाल उठा दे? महिलाएं उच्चाधिकारी बन कर भी सशक्त नहीं हैं क्या? अभी तो कल यूटी गेस्ट हाउस पर भी कुछ ट्वीट सामने आए हैं रानी नागर के।