नई तकनीक, विज्ञान व भाषाएं अपनाने के साथ मूल परंपराओं से भी जुड़े रहें विद्यार्थीः कुलपति प्रो सुदेश

कन्या गुरुकुल वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय का वार्षिक समारोह आयोजित।

नई तकनीक, विज्ञान व भाषाएं अपनाने के साथ मूल परंपराओं से भी जुड़े रहें विद्यार्थीः कुलपति प्रो सुदेश

खानपुर कलां, गिरीश सैनी। भगत फूल सिंह महिला विश्वविद्यालय, खानपुर कलां की कुलपति प्रो सुदेश की अध्यक्षता में कन्या गुरुकुल वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय का वार्षिक पुरस्कार वितरण समारोह बुधवार को आयोजित किया गया।

 

बतौर मुख्य अतिथि विश्ववारा कन्या गुरुकुल, रुड़की की प्राचार्या पद्मश्री आचार्या डॉ सुकामा ने इस समारोह में शिरकत की। उन्होंने विश्वविद्यालय परिसर पहुंचने पर सर्वप्रथम भगत फूल सिंह की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन किया।

 

महिला विश्वविद्यालय के संस्कारम सभागार में आगमन पर मुख्य अतिथि, कुलपति व कुलसचिव का पुष्पगुच्छ भेंट कर स्वागत किया गया। वार्षिक समारोह का शुभारंभ मुख्य अतिथि पद्मश्री आचार्या डॉ सुकामा, कुलपति प्रो सुदेश, कुलसचिव प्रो नीलम मलिक व प्राचार्या सुमिता सिंह ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। विश्वविद्यालय कुलगीत के उपरांत छात्राओं ने ईश स्तुति प्रस्तुत की।

प्राचार्या सुमिता सिंह ने अतिथियों का स्वागत किया और मुख्य अतिथि पद्मश्री आचार्या डॉ सुकामा का जीवन परिचय दिया। वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए उन्होंने विद्यालय की उपलब्धियों का ब्यौरा दिया।

मुख्य अतिथि पद्मश्री आचार्या डॉ सुकामा ने अपने संबोधन में कहा कि शिक्षा का मूल संस्कार है। यही मूल सामाजिक कुरीतियों को दूर करने का माध्यम है। उन्होंने कहा कि जीवन में चाहे कितनी ही ऊंचाइयों पर चले जाएं, लेकिन बिना संस्कार के शिक्षा मूल्यहीन है। उन्होंने कन्या गुरुकुल को महात्मा भगत फूल सिंह की तपोस्थली बताते हुए कहा कि इस स्थान से शिक्षा ग्रहण करना आप सभी छात्राओं के लिए गौरव की बात है। पद्मश्री आचार्या डॉ सुकामा ने नारी शिक्षा व सशक्तिकरण के मूल उद्देश्य को आगे बढ़ाने के लिए कुलपति प्रो सुदेश के प्रयासों की प्रशंसा की।

अपने प्रभावशाली अध्यक्षीय संबोधन में कुलपति प्रो सुदेश ने समारोह के बेहतरीन आयोजन के लिए शिक्षकों की मेहनत और छात्राओं की प्रतिभा को सराहते हुए प्राचार्या सुमिता सिंह व आयोजक टीम को बधाई दी। उन्होंने छात्राओं का आह्वान किया कि वे मुख्य अतिथि पद्मश्री आचार्या डॉ सुकामा के जीवन से प्रेरणा लेते हुए राष्ट्र व समाज निर्माण में योगदान दें। कुलपति प्रो सुदेश ने कहा कि नई तकनीक, विज्ञान व भाषाएं अवश्य सीखें, लेकिन अपनी मूल वैदिक परंपरा को साथ अवश्य रखें। उन्होंने पुरातन गौरव को बरकरार रखने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि इस दिशा में विश्वविद्यालय प्रशासन हरसंभव सहयोग देगा। कुलपति ने छात्राओं को मन लगाकर अध्ययन करने और जीवन मूल्य सीखने का मंत्र दिया।

सांस्कृतिक कार्यक्रमों की श्रृंखला की शुरुआत छात्राओं द्वारा युग प्रवर्तक स्वामी दयानंद को समर्पित "ऋषि गाथा" के साथ हुई। नन्हें मुन्ने बच्चों द्वारा "मैं कृष्ण हूं" नृत्य नाटिका की प्रस्तुति पर पूरा सभागार तालियों से गूंज उठा। इसके बाद भगत फूल सिंह के जीवन को समर्पित नाटिका "शिक्षा के ज्योतिर्पुंज" के माध्यम से नारी शिक्षा में उनके योगदान को याद किया गया। योग नृत्य नाटिका "सर्वभूतेषु शांतिः" द्वारा छात्राओं ने विभिन्न योग मुद्राओं का जानकारी दी। तत्पश्चात सभागार में पंजाबी गिद्दे की थाप गूंजी, जिसने उपस्थित जन का मन मोह लिया। पद्मश्री सुभाषिणी के जीवन पर आधारित नाटिका "गुरुकुल से विश्वविद्यालय तक" के मंचन द्वारा नारी शिक्षा में उनके योगदान को दर्शाया गया। इसके अलावा हरियाणवी नृत्य, शहीद-ए-आजम भगत सिंह के जीवन वृतांत तथा देशभक्ति नृत्य भी प्रस्तुत किए गए।  

अतिथियों ने छात्राओं द्वारा लगाई गई विज्ञान प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया। वार्षिक समारोह में शैक्षणिक सत्र 2023-24 में शिक्षण तथा खेल सहित अन्य पाठ्येतर गतिविधियों में उत्कृष्ट उपलब्धि प्राप्त करने वाली छात्राओं को सम्मानित किया गया। सर्वश्रेष्ठ हाउस की ट्रॉफी गंगा हाउस को प्रदान की गई। मुख्य अतिथि तथा कुलपति को कन्या गुरुकुल वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय की ओर से स्मृति चिह्न व तुलसी दल भेंट किया गया। विद्यालय की शिक्षिका संगीता ने आभार व्यक्त किया। समारोह का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ। इस मौके पर चीफ वार्डन डॉ सुमन दलाल, कन्या गुरुकुल की शिक्षिकाएं व छात्राएं मौजूद रही।