भारत की समृद्ध परंपराओं और ज्ञान परंपरा का अध्ययन समय की जरूरत हैः पद्मश्री प्रो. अभिराज राजेन्द्र मिश्र
एमडीयू में रंग कलम साहित्यिक इवेंट का शुभारंभ।
रोहतक, गिरीश सैनी। भारत की समृद्ध परंपराओं और ज्ञान परंपरा का अध्ययन समय की जरूरत है। भारत की कालजयी ज्ञान परंपरा भाषा के जरिए ही आगे बढ़ी है। जरूरत है कि हम संस्कृत समेत भारतीय भाषाओं में अभिव्यक्ति के लिए गौरव महसूस करें। प्रतिष्ठित संस्कृत विद्वान, संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति पद्मश्री प्रो. अभिराज राजेन्द्र मिश्र ने ये ओजस्वी विचार महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय में आयोजित रंग कलम साहित्यिक इवेंट में बतौर मुख्य वक्ता व्यक्त किए। रंग महोत्सव कार्यक्रम श्रृंखला के तहत वीरवार को रंग कलम का शुभारंभ स्वराज सदन में हुआ।
भारतीय भाषाएं, सांस्कृतिक विरासत एवं ज्ञान परंपरा विषयक इस दो दिवसीय साहित्यिक इवेंट रंग कलम में पद्मश्री प्रो. अभिराज राजेन्द्र मिश्र ने कहा कि आचार्य भरत मुनि का नाट्य शास्त्र ग्रंथ भारतीय सांस्कृतिक अभिव्यक्ति की अद्भुत प्रस्तुति है। उन्होंने कहा कि भारत महर्षि वाल्मीकि तथा महर्षि वेद व्यास की भूमि है, जिन्होंने रामायण तथा महाभारत जैसे महाकाव्य ग्रंथों की रचना की। प्रो. मिश्रा का कहना था कि कहानियां आसमां से नहीं आती, हमारे इर्द-गिर्द ही होती है। जरूरत है कि हम दृष्टि विकसित कर सकें जिससे कि इन कहानियों को चुन कर प्रस्तुत कर सकें।
एमडीयू के महर्षि दयानंद एवं वैदिक अध्ययन केन्द्र के निदेशक प्रो. सुरेन्द्र कुमार ने अध्यक्षीय टिप्पणी में कहा कि रंग कलम का आयोजन विद्यार्थियों को सृजनात्मक लेखन के लिए प्रेरित करना है। साहित्यिक अभिव्यक्ति की विधा की विद्वत जानकारी इस रंग कलम कार्यक्रम के जरिए विद्यार्थियों को प्राप्त होगी। कार्यक्रम के प्रारंभ में प्रो. सुरेन्द्र कुमार ने स्वागत भाषण दिया।
अधिष्ठाता, छात्र कल्याण तथा रंग महोत्सव के संयोजक प्रो. रणदीप राणा ने कहा कि एमडीयू कुलपति प्रो. राजबीर सिंह की प्रेरणा से रंग कलम का आयोजन किया जा रहा है। विद्यार्थियों में क्रिएटीविटी तथा लेखन कौशल विकसित करने के उद्देश्य से रंग कलम कार्यक्रम अहम है।
रंग कलम के उद्घाटन सत्र में प्रतिष्ठित लेखक, उपन्यासकार भगवान दास मोरवाल की नवीनतम रचना, उपन्यास कांस का लोकार्पण किया गया। उन्होंने कहा कि समरकालीन समाज का परिदृश्य, विशेष रूप से उनके अपने क्षेत्र मेवात, उनकी लेखकीय प्रेरणा है।
उद्घाटन सत्र में रंग कलम की संयोजिका, संस्कृत विभाग की अध्यक्षा डा. सुनीता सैनी ने आभार व्यक्त किया। डा. सुनीता सैनी ने कहा कि रंग कलम से विद्यार्थियों को लेखक से संवाद का अवसर मिलेगा तथा स्थानीय प्रतिष्ठित एवं नवोदित लेखकों को अभिव्यक्ति का मंच मिलेगा। रंग कलम कार्यक्रम का संचालन निदेशक जनसंपर्क सुनित मुखर्जी ने किया। उन्होंने कहा कि शब्दों तथा विचारों का ये समागम एमडीयू के विद्यार्थियों की सृजनशीलता का प्रेरणा पर्व होगा।
रंग कलम के तकनीकी सत्र में विशिष्ट व्याख्यान देते हुए प्रतिष्ठित लेखक भगवान दास मोरवाल ने कहा कि लेखक अपनी रचनाओं के जरिए समाज के अंतर्विरोधों पर प्रहार करते हैं। उन्होंने कहा कि समाज में आम जन की आवाज लेखक होते हैं। अंग्रेजी विभाग के सेवानिवृत प्रोफेसर डॉ. जयवीर सिंह हुड्डा ने भगवान दास मोरवाल के कृतित्व तथा व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। इस सत्र की अध्यक्षता चौ. रणबीर सिंह इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल एंड इकोनोमिक चेंज की निदेशिका प्रो. सोनिया मलिक ने की। उन्होंने सृजनात्मक लेखन के महत्व को रेखांकित किया। धन्यवाद ज्ञापन प्राध्यापिका डा. सुषमा नारा ने दिया। संचालन प्राध्यापक डा. श्रीभगवान ने किया।
रंग कलम में विशेष रूप से आयोजित लेखक मंच में प्रतिभागी रचनाकारों ने वर्तमान काल में साहित्य लेखन तथा उसकी चुनौतियों पर वैचारिक मंथन किया। इस सत्र का संचालन शोधार्थी प्रिया कुसुम ने किया।
इस कार्यक्रम में डीन मानविकी एवं कला संकाय प्रो. विमल, प्रो. विनिता शुक्ला, प्रो. मंजीत राठी, डा. कृष्णा देवी, डा. अनिल कुमार, संजय कुमार, डा. रवि प्रभात, प्रो. बलबीर आचार्य, प्रो. प्रताप सिंह मलिक, लेखक मधुकांत, शामलाल कौशल, दयानंद काद्यान, पवन गहलोत, डा. सुचेता यादव, पीआरओ पंकज नैन समेत शोधार्थी, विद्यार्थी, रोहतक के साहित्य प्रेमी नागरिक मौजूद रहे।