कोरोना काल में बदलता सामाजिक जीवन पर एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वेबीनार का सफल आयोजन
प्राचार्या. रीना तलवार ने उद्घाटन वक्तव्य दिया
शांति देवी आर्य महिला कॉलेज,दीनानगर(पंजाब) के स्नातकोत्तर हिन्दी विभाग द्वारा आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ के तत्वावधान में कोरोना काल में बदलता सामाजिक जीवन विषय पर एक दिवसीय अंतरर्राष्ट्रीय बेबिनार का सफल आयोजन किया गया। प्राचार्या डॉ.रीना तलवार ने प्रो.मोहन कान्त गौतम, पूर्व कुलपति यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट और वेस्ट, नीदरलैंड, प्रो.डॉ.परमेश्वरी शर्मा, हिंदी- विभाग, जम्मू विश्वविद्यालय, जम्मू , डॉ सुनील कुमार एसोसिएट प्रोफेसर गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी, अमृतसर का हार्दिक अभिनंदन कियाl प्राचार्या. रीना तलवार ने उद्घाटन वक्तव्य में कहा कि मानव जीवन स्वस्थ होना बहुत जरूरी है। कोरोना के कारण मध्यमवर्गीय परिवार की स्थिति बहुत दयनीय हो गई। प्रकृति ने मनुष्य को सुधरने का मौका दिया। यही सुधार सकारात्मक बदलाव करुणा को जन्म देता है मनुष्य को परोपकारिता की ओर ले जाता हैl जिसने लोगों में संवेदना को पैदा किया, परंतु स्वार्थी लोग समाज को संवेदनहीन कर देते हैं जैसे आधुनिक मानव धर्म, कर्म, दान, क्षमा को भूल बैठा है वह मानव कोरोना काल में मानव के ही अंगों की तस्करी करने लगा वह मनुष्य भाग्यशाली है जिसने भारत भूमि पर जन्म लिया क्योंकि भारतीय संस्कृति बहुत महान है परंतु आज की पीढ़ी भ्रम में फंसकर संस्कृति को भूल बैठी है। मुख्य अतिथि डॉ. परमेश्वरी शर्मा, हिंदी- विभाग, जम्मू विश्वविद्यालय, जम्मू ने कहा कि इतिहास इस बात का साक्षी है कि संसार में कोई ना कोई महामारी आई है 1720 में प्लेग की 1820 में हैजा की बीमारी आई और अब करोना ने पूरे विश्व में कोहराम मचा दिया है पहली लहर के मुकाबले दूसरी लहर में बहुत लोगों की जान चली गई, जब जब देश में आपदा आती है तो सामाजिक जीवन में बदलाव आता हैl शाकाहारी भोजन का सेवन करना बहुत अच्छा बदलाव आया। ईश्वर के दर्शन, प्रार्थना, ऑनलाइन करना सामाजिक बदलाव का उदाहरण है शैक्षणिक जीवन में बहुत बड़ा बदलाव देखा गया परंतु इसका लाभ कम और हानियां ज्यादा हुई ई-पुस्तक की सुविधा का लाभ कम हानि ज्यादा हुई। पाठक पाठक ना रहकर दर्शक बन गया कोरोना का सबसे अधिक प्रभाव शिक्षा पद्धति पर पड़ा इस दौर में घरेलू हिंसा और तलाक की रेशो भी बड़ी।
विशिष्ट वक्ता डॉ.सुनील कुमार एसोसिएट प्रोफेसर गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी, अमृतसर ने वक्तव्य में कहा कि मनुष्य के जीवन में बहुत बदलाव आए हैं यहां मनुष्य दिनचर्या को संयोजित रूप से व्यवस्थित करता था वहीं जीवन शैली में तमाम प्रकार की चुनौतियां आई है कोरोना ने चाहे भारी बदलाव कर दिया परंतु आंतरिक बदलाव तो वैसा ही है जैसे कोरोना के पूर्व था। घर हो या बाहर मशाल जलती रहनी चाहिए यह मशाल अंधकार के खिलाफ एक लड़ाई है सामाजिक असंतुलन भी बड़ा है परंतु साथ ही साथ उत्साहवर्धक कार्य भी हुए हैं जैसे आम जनता में जागरूकता आई, दैनिक जीवन में टेक्नोलॉजी का ज्ञान बढ़ा। कोरोना ने परिवार के साथ रहना सिखा दिया । आयुर्वेद मेडिटेशन का रुझान भी बढ़ता हुआ दिखाई दियाl
कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ. मोहनकांत गौतम, पूर्व कुलपति,यूरोपीयन यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट एंड वेस्ट, नीदरलैंड ने प्राचीन और वर्तमान समय का संबंध स्थापित करते हुए दयानंद सरस्वती जी के उस अभियान के विषय में कहा कि हमें जाति पाति के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए औरत को भी आगे बढ़ने देना चाहिए, उनकी आत्मा और हमारी आत्मा में भिन्नता नहीं है क्योंकि समाज सुधारक यही चाहते थे कि आधुनिकता को अपनाएं परंतु संस्कृति को भी न भूले। मिलकर रहने के लिए संस्कृति और प्रकृति दोनों ही जरूरी है संस्कृति द्वारा प्रकृति पर नियंत्रण नहीं किया जा सकता क्योंकि हम प्रकृति के भाग हैं हमारे मूल्यों का परिवर्तन होता रहता है यदि परिवर्तन नहीं करेंगे तो हम एक ही स्थान पर रहकर खत्म हो जाएंगे कोरोना ने हमें सचेत कर दिया कि हम जो काम कर रहे हैं वह किस लिए कर रहे हैं। डॉ.पूनम महाजन ने कहा कि वैश्विक महामारी विश्व को एक नई दिशा में मोड़ती हैं जिसके बाद लाखों-करोड़ों लोगों का जीवन कभी भी पहले जैसा नहीं रहता युद्ध की स्थिति जैसा वातावरण तैयार हो जाता है यह महामारी या मानव मन और उसके भविष्य को गंभीर व दीर्घकालिक रूप से परिवर्तित कर देती हैं जैसे कहते हैं कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद औरतों के विकास का रास्ता साफ हो गया जो बिना युद्ध के तो कदापि संभव नहीं था आपदा में भी अवसर तलाशे जा सकते हैं। आज कोरोना एक वैश्विक महामारी बन चुकी है और निश्चित तौर पर मानव जीवन पर छोटे-बड़े प्रभाव छोड़ जाएगी केवल स्वास्थ्य ही नहीं यह प्रभाव सामाजिक, मनोवैज्ञानिक और मुख्यत: आर्थिक स्तर तक विस्तृत हो गए हैं और आप भली-भांति परिचित हैं कि लोग आज इसका प्रभाव नकारात्मक रूप में ही ले रहे हैं। आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ के कोऑर्डिनेटर डॉ.मनीता काहलों ने कॉलेज की गतिविधियों से सबको अवगत कराया और वेबीनार विषय की प्रसंगिकता पर प्रकाश डालते हुए कहा हिंदी-विभाग ने जिस विषय का चयन किया वह बहुत प्रासंगिक है आज के समय में इस विषय पर संवाद रचाए जाने की अति आवश्यकता हैl प्राचार्या डॉ.रीना तलवार ने इस वेबीनार की सफलता का श्रेय तकनीकी कोऑर्डिनेटर प्रोफेसर. दीपक ज्योति और प्रोफेसर नेहा सैनी, डॉ.पूनम महाजन और डॉ. डिंपल शर्मा आदि को दिया l