जीएनडीयू, अमृतसर के हिंदी-विभाग द्वारा दो दिवसीय साहित्यिक महाकुंभ  का सफल आयोजन

जीएनडीयू, अमृतसर के हिंदी-विभाग द्वारा दो दिवसीय साहित्यिक महाकुंभ  का सफल आयोजन

गुरु नानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर के हिंदी-विभाग में अखिल भारतीय साहित्य परिषद, दिल्ली एवं केन्द्रीय हिंदी संस्थान, आगरा (शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार) के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की गई। संगोष्ठी संयोजक और हिंदी विभाग के अध्यक्ष डॉ. सुनील ने संगोष्ठी परिचय देते बताया कि गुरु नानक देव विश्वविद्यालय अमृतसर के यशस्वी कुलपति प्रोफेसर (डॉ.) जसपाल सिंह संधु के कुशल नेतृत्व और प्रेरणा से यह राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन आयोजित किया गया है।उन्होंने सहयोग के लिए केंद्रीय हिंदी संस्थान,आगरा के निदेशक प्रोफेसर सुनील बाबूराव कुलकर्णी का भी धन्यवाद ज्ञापित किया। डीन भाषा संकाय प्रोफेसर सुधा जितेंद्र ने स्वागत उद्बोधन प्रस्तुत किया। उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए प्रोफेसर हरमहेन्द्र सिंह बेदी (पद्मश्री) ने अपने बीज वक्तव्य में पंजाब में रचित हिंदी साहित्य की परंपरा, पृष्ठभूमि और पंजाब के वर्तमान हिंदी लेखन से प्रतिभागियों को बखूबी अवगत कराया। उन्होंने हिंदी साहित्य में पंजाब के लेखकों के अप्रतिम योगदान को रेखांकित किया। उनका वक्तव्य बहुत ही गंभीर,चिंतनपरक और बहुआयामी रहा। अनेक सत्रों में विभाजित इस संगोष्ठी का मुख्य विषय 'हिंदी साहित्य में पंजाब के साहित्यकारों का योगदान' था। देश के भिन्न-भिन्न जगहों से आए विद्वानों, प्रोफेसरों तथा अनेक संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने अपने-अपने विचार रखे। जो न केवल विद्यार्थियों एवं शोधार्थियों के लिए लाभप्रद रहे बल्कि यह पंजाब, पंजाबियत और सम्पूर्ण हिंदी भाषी जनचेतना के लिए मील का पत्थर साबित रहे। इस संगोष्ठी ने अहसास कराया कि हिंदी के उद्भव और विकास की चिरंतन धारा पंजाब की उर्वर धरती से होकर निकलती है। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में हिंदी- विभाग के अध्यक्ष डॉ. सुनील, विभागीय अध्यापकों, विद्यार्थियों व शोधार्थियों ने कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी।

इस संगोष्ठी में  विद्वानों और महान शख्सियतों को सुनकर प्रतिभागी बहुत लाभान्वित हुए। इस सेमिनार में प्रोफेसर हरमहेन्द्र सिंह बेदी (पद्मश्री) की आत्मकथा ' लेखे आवे भाग', विभागाध्यक्ष डॉ. सुनील की लिखी गयी पुस्तक 'संत गरीबदास' तथा डॉ. अजय शर्मा की पत्रिका 'साहित्य सिलसिला' के अलावा कई अन्य पुस्तकों का लोकार्पण एवं विमोचन भी हुआ। डॉ. सुनील कुमार ने गुरु-शिष्य की महान परम्परा को अक्षुण्ण और जीवंत रखते हुए अपने गुरु की याद में 'प्रो. रामसजन पाण्डेय स्मृति सम्मान' की घोषणा की। जिसके तहत 2023 का पहला पुरस्कार केन्द्रीय विश्वविद्यालय, हिमाचल प्रदेश के कुलाधिपति प्रो. हरमहेन्द्र सिंह बेदी (पद्मश्री) को शॉल, अंगवस्त्रम, सम्मान-पत्र, पौधा तथा ग्यारह हजार रुपये का नकद पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। संगोष्ठी के पहले दिन यूको बैंक,जालंधर द्वारा हिन्दी-विभाग के मेधावी छात्रों का सम्मान भी किया गया। इस दौरान यूको बैंक से उप क्षेत्रीय प्रमुख श्री जय भूषण और वरिष्ठ प्रबंधक (राजभाषा) डॉ हेमलता उपस्थित रहे‌।

इस दो दिवसीय कार्यक्रम में शामिल होने वाली नामचीन हस्तियों में विश्वविद्यालय के डीन, अकादमिक मामले प्रोफेसर बिक्रमजीत सिंह बाजवा, दिल्ली विश्वविद्यालय से अखिल भारतीय साहित्य परिषद की राष्ट्रीय मंत्री प्रो. नीलम राठी, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, धर्मशाला परिसर से डॉ. संजीव कुमार, हिंदू कॉलेज, अमृतसर से डॉ. दीप्ति साहनी, महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय,रोहतक से प्रोफेसर संजीव चौहान, पूर्व प्रोफेसर एवं अध्यक्ष डॉ. मधु संधु, आकाशवाणी केंद्र,जालंधर से श्री सोहन कुमार, करनाल से डॉ. सुनील दत्त, दीनानगर से डॉ. पूनम महाजन, पूर्व प्रोफेसर एवं अध्यक्ष डॉ.विनोद तनेजा, दिल्ली से अखिल भारतीय साहित्य परिषद के प्रचार मंत्री डॉ. प्रवीण आर्य, पंजाबी विश्वविद्यालय, पटियाला से डॉ. नीतू कौशल, लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी, फगवाड़ा से डॉ. विनोद कुमार, जालंधर से शिरोमणि साहित्यकार डॉ. तरसेम गुजराल, पूर्व एसोसिएट प्रोफेसर एवं अध्यक्ष डॉ. सुनीता शर्मा, डॉ. सपना शर्मा, डॉ. लवलीन कौर, एच.एम.वी., जालंधर से डॉ. ज्योति गोगिया, पवन यादव, हिंदू कन्या महाविद्यालय,धारीवाल से डॉ. पवन कुमार, जालंधर से शिरोमणि साहित्यकार डॉ. अजय शर्मा, लुधियाना से सिटी एयर न्यूज़ डॉट कॉम के संपादक श्री मनोज धीमान, जम्मू केंद्रीय विश्वविद्यालय,जम्मू से डॉ. विनय कुमार शुक्ला, राजकीय महिला महाविद्यालय, अमृतसर से डॉ. संजय चौहान, मोहनलाल सुखाडिया विश्वविद्यालय, उदयपुर से डॉ. कुंजन, लेडी श्रीराम कॉलेज,दिल्ली से डॉ. सारिका, गुरदासपुर से डॉ. रश्मि, संस्कृत विभाग से डॉ. विशाल भारद्वाज, डॉ. सलोनी, पंजाबी विभाग के अध्यक्ष डॉ. मनजिंदर सिंह, विदेशी भाषाएं विभाग से प्रोफेसर मोहन कुमार, डॉ. रमनदीप कौर, मैडम सुनयना, उर्दू एवं फ़ारसी विभाग से सैय्यद रेहान हसन रिजवी, श्री मनप्रीत सिंह, केंद्रीय हिंदी संस्थान, दिल्ली से श्री वीरेंद्र कुमार, भारतीय रेलवे में कार्यरत कवि उपेंद्र यादव, पठानकोट से डॉ. कुसुम डोगरा, डॉ. शैलजा, श्री रविन्द्र पठानिया, विश्वविद्यालय के डीन, छात्र कल्याण डॉ. प्रीत मोहिंदर सिंह बेदी तथा स्थायी लोक अदालत, अमृतसर के चेयरमैन श्री नरेश मोदगिल इत्यादि प्रमुख रहे। संगोष्ठी का विशेष आकर्षण विभाग के शोधार्थियों और विद्यार्थियों द्वारा मंच संचालन रहा। इसके लिए सभी ने विभागाध्यक्ष डॉ. सुनील के प्रेरक नेतृत्व की खूब सराहना की। इस शुभ अवसर पर प्रोफेसर सुनील कुमार  को 'अखिल भारतीय साहित्य परिषद' के पंजाब प्रांत का अध्यक्ष बनाए जाने की भी उद्घोषणा की गई। जिससे न केवल हिंदी- विभाग में बल्कि पूरे विश्वविद्यालय परिसर के साथ-साथ समूचे पंजाब में खुशी की लहर दौड़ गई। इस महत्वपूर्ण जिम्मेदारी के लिए परिषद के अधिकारियों का धन्यवाद देते हुए डॉ. सुनील ने अपना दायित्व बखूबी निभाने का आश्वासन दिया। सचमुच यह दो दिवसीय आयोजन हिंदी- विभाग की बहुत बड़ी उपलब्धि रही। जिसने हिंदी साहित्य को एक नया विचार, विजन और दिशा दिया है। पंजाब में हिंदी लेखन की दशा और दिशा से प्रतिभागी परिचित हुए‌। पंजाब में हिंदी लेखन की चुनौतियों और संभावनाओं पर भी विस्तारपूर्क चर्चा हुई।कई मायनों में यह संगोष्ठी साहित्येप्रेमियों के दिलों पर अद्भुत छाप छोड़ गयी। देश के अलग-अलग हिस्सों से बड़ी संख्या में प्रतिभागी शामिल हुए। सभी ने मुक्तकंठ से इस साहित्यिक समागम और विभाग के प्रयासों की पुरजोर सराहना की है तथा सफल आयोजन के लिए विभागाध्यक्ष डॉ. सुनील का आभार जताते हुए निरंतर ऐसे आयोजनों की आवश्यकता पर बल दिया।