घग्घर नदी किनारे बसे रतिया में सुनीता दुग्गल दूसरी बार चुनाव में

घग्घर नदी किनारे बसे रतिया में सुनीता दुग्गल दूसरी बार चुनाव में

-कमलेश भारतीय
घग्घर नदी किनारे बसे रतिया विधानसभा क्षेत्र से सन् 2014 में भाजपा से राजनीति में अपनी बड़ी नौकरी छोड़कर शामिल हुईं सुनीता दुग्गल ने पहली बार विधानसभा चुनाव में कदम रखा था और वे खूब लड़ी लेकिन इनेलो के प्रो रवींद्र बलियाल से कड़े मुकाबले में मात्र 453 मतों से पराजित रहीं । फिर उन्हें भाजपा ने सन् 2019 में सिरसा लोकसभा क्षेत्र से अवसर दिया और सुनीता दुग्गल ने भाजपा को इस बार निराश नहीं किया और वे कांग्रेस के प्रत्याशी अशोक तंवर से जीत गयीं, संसद पहुंच गयीं। सन् 2019 में फिर भाजपा की ओर से विधानसभा चुनाव में भाजपा ने लक्ष्मण नापा को रतिया से प्रत्याशियों बनाया, जो जीत गये । उन्होंने कांग्रेस के जरनैल सिंह को हराया। सन् 2024 के लोकसभा चुनाव में सुनीता दुग्गल का टिकट काट कर उन्हीं अशोक तंवर को भाजपा ने थमा दिया, जिन्हें सुनीता दुग्गल ने हराया था। टिकट कटने के सिर ही सुनीता दुग्गल को यह भरोसा दिया गया था कि रतिया विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने की तैयारी करो! भाजपा ने इस भरोसे को निभाते दुग्गल को टिकट दे दी, भले ही पूर्व विधायक लक्ष्मण नापा की नाराजगी मोल लेनी पड़ी। 
अब रतिया में नये समीकरण बने हैं । भाजपा ने लक्ष्मण नापा की टिकट काट कर सुनीता दुग्गल को दे दी, जिससे नाराज होकर वे कांग्रेस में शामिल हो गये और इस बार वे उसी जरनैल सिंह की मदद कर रहे हैं, जिन्हें सन् 2019 में हराया था ! यह एक रोचक, रोमांचकारी बदलाब देखने को मिला है रतिया विधानसभा क्षेत्र में । वैसे कुल सात प्रत्याशियों में श्रीमती सुनीता दुग्गल एकमात्र महिला प्रत्याशी हैं और अब तो दस साल का राजनीतिक अनुभव भी उनके साथ है। अरविंद केजरीवाल की तरह आईआरएस जैसी नौकरी छोड़कर राजनीति में उतरीं सुनीता दुग्गल कबड्डी खिलाड़ी भी रहीं अपने काॅलेज के दिनों में और मिलनसार होने के साथ साथ आसानी से मतदाता तक अपनी पहुंच बनाये हुए हैं। 
इनेलो एक ऐसी पार्टी है जिसने रतिया से चार बार चुनाव में जीत हासिल की यानी कहा जाये तो यह रतिया उन  चंद सीटों में है जहां इनेलो मुख्य मुकाबले में रही है और यहां तिकोने मुकाबले के आसार भी लग रहे हैं । इनेलो प्रत्याशी को अभय चौटाला की परिवर्तन यात्रा का तो भाजपा प्रत्याशी को वही मोदी मेजिक का तो कांग्रेस प्रत्याशी को किसान आंदोलन से उम्मीद है ।  सुनीता दुग्गल से बातचीत में यह बात सामने आई कि कल प्रसिद्ध अभिनेत्री हेमामालिनी ने अनाज मंडी  में आकर रोड शो करना था और लोग एक बजे से अनाज मंडी में आकर जम गये थे लेकिन छह बजे तक हेमामालिनी का अता पता नहीं था और आखिर में उनका रोड शो नहीं हो पाया। वे शाम का अंधेरा हो जाने से रतिया के लिए उड़ान नहीं भर सकीं । सुनीता दुग्गल माफी मांगने गयीं तब जनता ने कहा-कोई नहीं बहन, आप ही हमारी हेमामालिनी हो ! फिर भी सुनीता दुग्गल ने वादा किया कि वे रतिया में हेमामालिनी को चुनाव के बाद जरूर लायेंगीं। इस तरह सुनीता दुग्गल ने हौंसला नहीं हारा और चल पड़ीं फिर से प्रचार अभियान में अपने काफिले के साथ। पूर्व विधायक लक्ष्मण नापा अनेक विकास कार्य गिनवा रहे हैं कांग्रेस प्रत्याशी की जनसभाओं में लेकिन फतेहाबाद को जोड़ने वाली रतिया की मुख्य सड़क की दुर्दशा देखी नहीं जाती। सिर्फ उन्नीस किलोमीटर का रतिया तक का रास्ता पार करने में ड्राइवरों के पसीने छूट जाते हैं और पिछले डेढ़ साल से यह सड़क निर्माणाधीन है । अभी तक काम चल रहा है। इसके उद्घाटन का अवसर किसे मिलेगा, कह नही सकते। सुनीता दुग्गल के लक्ष्य हैं -शिक्षा, स्वास्थ्य व नशाखोरी बंद करना ! पंजाब के साथ लगता यह विधानसभा क्षेत्र पंजाबी बाहुल्य है और यहां पंजाबी निर्णायक हो सकते हैं । रतिया में दीपेन्द्र हुड्डा भी कांग्रेस प्रत्याशी के लिए आ चुके हैं और आज तक तो प्रचार का अंतिम दिन है, सभी प्रत्याशी अपना पूरा पूरा दम लगायेंगे ! देखते हैं, मुकाबले में किसका कितना है दम?