45वें दिन में पहुंचा सुपवा शिक्षकों का प्रदर्शन
- शिक्षक संघ ने लगाया विवि प्रशासन पर भ्रमित करने का आरोप।
रोहतक, गिरीश सैनी। पीएलसी सुपवा के प्राध्यापकों ने लगातार 45वें दिन वीरवार को भी यूजीसी वेतनमान, सातवें सीपीसी और पदोन्नति की मांग को लेकर कड़ी धूप में शांतिपूर्वक प्रदर्शन जारी रखा। शिक्षक संघ के प्रधान इंद्रनील घोष ने आरोप लगाया कि सुपवा के कुछ प्रशासनिक अधिकारी लगातार विरोधाभासी बयान देकर शिक्षकों के शांतिपूर्ण प्रदर्शन को भ्रमित कर तोड़ना चाहते है। प्रशासन के भ्रमित करने वाले बयानों का शिक्षक संघ ने खंडन करते हुए कहा कि ज्यादातर प्राध्यापक शैक्षणिक कार्यों में निष्ठावान तरीके से लगकर सुबह से शाम तक शैक्षणिक परीक्षाओं, ज्यूरी और विद्यार्थियों की प्रदर्शनी में जुटे हुए हैं। अपने दोपहर के भोजन के समय और फिर शैक्षणिक कार्यों के बाद शाम को प्रदर्शन कर रहे हैं ताकि शैक्षणिक कार्यों में बाधा न पहुंचे।
शिक्षकों के 45 दिनों से चल रहे प्रदर्शन के बाद कुलपति ने खुद ही एक वरिष्ठ प्राध्यापक से शिक्षक संघ के साथ बैठक का आग्रह किया था। लेकिन इस संदर्भ में द्विपक्षीय वार्ता के सामान्य नियम है कि दोनों पक्षों की सहमति एवं एक कॉमन टाइम पर बैठक की जाए। जबकि इस नियम को नजरअंदाज करके प्रशासन अपना भ्रमित करने वाला रवैया शिक्षकों पर चलाना चाहते हैं जिसे शिक्षक संघ कतई बर्दाश्त नहीं करेगा।
उन्होंने बताया कि इस संदर्भ में प्रशासन ने बिना शिक्षक संघ से बात किए बिना अचानक सुबह दस बजे बैठक का टाइम अखबारों में संप्रेषित करवा दिया। जबकि उस वक्त ज्यूरी परीक्षाएं चल रही थी। प्रशासन ने बिना शिक्षक संघ से निश्चित किए, अग्रिम खबर छपवाई और अचानक सुबह 9:44 पर ई-मेल से 10 बजे बैठक की सूचना दी। शिक्षक संघ की तरफ से समय रहते रजिस्ट्रार से शाम 3 बजे मीटिंग करने का आग्रह किया गया। जबकि मौखिक और लिखित रूप में शिक्षक संघ ने कुलसचिव को अग्रिम पत्र लिखकर कहा था कि अधिकतर प्राध्यापक परीक्षाओं के शैक्षणिक कार्यों में लगे हुए हैं। लेकिन प्रशासन ने जानबूझकर इसे अनदेखा किया और इस बारे में कोई अग्रिम सूचना शिक्षक संघ को नहीं दी।
शिक्षक संघ ने कहा कि कर्मठ और मेहनती शिक्षकों ने इस विश्वविद्यालय को अपने खून पसीने से सींचा है। जिसे विवि प्रशासन लगातार नजरअंदाज कर रहा है। पिछले 12 सालों से वेतन विसंगति को दूर नहीं किया जा रहा और साथ ही बिना किसी पदोन्नति के शिक्षकों के करियर को रोक दिया गया है। शिक्षक संघ ने जोर देकर कहा कि प्रशासन अपना अड़ियल और रूढ़िवादी रवैया छोड़ कर शिक्षकों के साथ न्याय करे।