सर्वे, एग्जिट पोल, सट्टा और सत्ता

सर्वे, एग्जिट पोल, सट्टा और सत्ता

-*कमलेश भारतीय
बस, दो दिन बाकी और फिर लोकसभा चुनाव की मतगणना। इससे पहले विभिन्न सर्वे, एग्जिट पोल और सट्टे की बातें सामने आ रही हैं । ‌यह  भी कमाल है, यहां हवा किस ओर बहेगी, इस बात पर भी सट्टा लगाने वाले लोग हैं। क्रिकेट ने सट्टे को और लोकप्रिय बनाया है और सरकार की धरपकड़ भी किसी काम नहीं आती। खेल अपनी जगह और सट्टे का खेल अपनी जगह। इसी तरह चुनाव सर्वे या एग्जिट पोल हैं।  चुनाव, मतदान और परिणाम अपनी जगह लेकिन सर्वे अपनी जगह ! फिर भी क्या यह विश्वास करने लायक है कि कांग्रेस सिर्फ और सिर्फ ताश के बावन पत्तों की तरह बावन सीटों पर सिमट जायेगी? यदि आपको इस सर्वे पर भरोसा है तो कुछ नहीं कहना है। आप खुश रहिये और मस्त रहिये। ऐसे सर्वे क्या राजनीतिक प्रेरित नहीं लगते आपको? क्या दक्षिण में ऐसी ही स्थिति है जैसी बताई गयी है ? दक्षिण में सीटें कम आने की आशंका में ही तो उत्तर भारत में भाजपा ने सारी ताकत झोंक दी और सर्वे पर कैसे विश्वास हो सकता है ? क्या गोदी मीडिया इस हद तक गिर सकता है कि सर्वे के नाम पर भी झूठ परोस दे? मीडिया पर कितना विश्वास आमजन का बच रहा है? बहुत से लोगों ने टीवी के स्विच स्थायी तौर पर ऑफ कर रखे हैं। कपिल शर्मा शो से भी ज्यादा हंसी इन नम्बर‌ वन‌ चैनलों के समाचारों व बहसों पर आती है।  कांग्रेस ने पता नहीं ठीक किया या गलत जो इस सर्वे‌ में भाग ही न लेने का फैसला किया। वैसे बहस के शो में भी भाग न लेने का फैसला कांग्रेस ने किया था लेकिन बाद में बदल लिया। बहस के शो में हर चैनल के एंकर का रवैया कांग्रेस प्रवक्ता के प्रति आक्रामक होता है और वे उंगली खड़ी कर बोलने का समय मांगते ही रह जाते हैं कि बहस का समय खत्म होने की दुहाई देते बहस खत्म कर दी जाती है। कांग्रेस प्रवक्ता बेबस से नज़र आते हैं तो फिर जाना ही किसलिए? 
सत्ता के लिए मनमाफिक सट्टे का सहारा भी लिया जाता है और यही नहीं भविष्यवाणियों का भी। किसी न किसी प्रसिद्ध भविष्यवक्ता से अपने पक्ष में भविष्यवाणी करवा ली जाती है और‌ अंधविश्वासी लोग इस पर आंख मूंदे विश्वास कर लेते हैं। बाद में ये भविष्यवक्ता कहीं नज़र नहीं आते। सच में, यह हमारा देश और लोग ऐसे ही हैं क्या? सोशल मीडिया पर मज़ेदार बात आती है कि डाॅक्टर और वैज्ञानिक भी शुभ मुहूर्त निकलवाने किसी भविष्यवक्ता के पास जाते हैं। 
अरूण यह मधुमय देश हमारा! 
सट्टे, सर्वे और एग्जिट पोल का मारा! 

-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी।