समाचार विश्लेषण /परनीत कौर का निलम्बन
बड़ी देर की मेहरबान आते आते
-*कमलेश भारतीय
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह की धर्मपत्नी व पूर्व विदेश मंत्री परनीत कौर को कांग्रेस ने पार्टी विरोधी गतिविधियो के चलते निलंबित कर तीन दिन के भीतर जवाब देने को कहा है । मज़ेदार बात कि कैप्टन अमरेंद्र सिह भाजपा में शामिल हो चुके हैं और उन्हें किसी राज्य का राज्यपाल बनाये जाने की बहुत जोरों से चर्चायें हैं । पंजाब के विधानसभा चुनाव के समय कैप्टन ने अलग पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस बनाकर चुनाव लड़ा था लेकिन सफलता हाथ न लगी । फिर उन्होंने भाजपा में शामिल होना बेहतर समझा । कांग्रेस में ऐसी अपमानजनक विदाई की कैप्टन को उम्मीद नहीं थी लेकिन राहुल और प्रियंका के बचपने ने सारा खेल बिगाड़ दिया और पंजाब भी हाथ से खो दिया । कैप्टन अब भगवा रंग में हैं । नवजोत सिद्धू के बल पर यह खेल किया और सिद्धू भी अभी जेल में है ।
कांग्रेस को चाहिए तो यह था कि परनीत कौर को कैप्टन के साथ ही कांग्रेस से बाहर का रास्ता दिखाया होता । लेकिन काग्रेस की ऐसी ही ढुलमुल कार्रवाही से ही तो कांग्रेस में वो बात नहीं रही । कांग्रेस ने तब परनीत कौर पर कोई कार्यवाही नहीं की । जैसे समय रहते ज्योतिरादित्य सिंधिया पर नहीं की , जतिन पर नहीं की , कपिल सिब्बल और यहां तक कि गुलाम नबी आजाद पर नहीं की और ये सभी कांग्रेस को नुकसान पहुंचा कर डंके की चोट कांग्रेस हाईकमान को बुरा भला कह कर चलते बने ! क्या कांग्रेस हाईकमान को अपनी कार्यशैली बदलनी नहीं चाहिए ? पंजाब विधानसभा चुनाव तक परनीत कौर का कांग्रेस में क्या काम रह गया था जो निलम्बन नहीं किया ? अब क्या फायदा ? यदि समय रहते सिंधिया , सिब्बल या आजाद को बाहर का रास्ता दिखाया होता तो कांग्रेस बड़े नुकसान से बच जाती ! हाईकमान को बहुत पहले यह कदम उठाना चाहिए था । हरियाणा में भी कुछ नेताओं पर लगाम कसने की जरूरत है । अनुशासनात्मक कार्यवाही होनी चाहिए । यदि इनको बयानबाजी से न रोका गया तो विधानसभा चुनाव तक सजा भुगतनी पड़ेगी !
बड़ी देर की मेहरबान आते आते ...!
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।