टी ट्वंटी विश्व विजेता: देश कागज़ पर बना नक्शा नहीं होता
-*कमलेश भारतीय
भारत टी ट्वंटी क्रिकेट में कल रात विश्वविजेता बन गया। न जाने कितने करोड़ भारतीय देर रात तक जागकर इसे रुकी सांसों से देख रहे थे वो। फाइनल मैच हुआ ही कुछ ऐसा कि सबकी सांसें रुक गयीं। भारत हार की कगार पर पहुंच चुका था कि सूर्य कुमार यादव के अद्भुत कैच ने इसे वापस जीत की राह पर ला दिया। कल सूर्य कुमार यादव बेशक बल्ले से कमाल न दिखा पाये लेकिन उनके कैच ने भारत की उम्मीद जगा दी और दूसरा कैच भी किया।वह टर्निंग प्वाइंट था विश्व कप के फाइनल मैच का। हार्दिक पंड्या ने भी आखिरी ओवर बहुत समझदारी से किया, सिर्फ एक वाइड बॉल को छोड़कर। मुम्बई की आईपीएल की कप्तानी की कड़वाहट दोनों भूलकर देश के लिए मिलकर खेले -रोहित और हार्दिक। यह संतुलन कोच राहुल द्रविड़ ने बनाया, यह समझ कोच ने दी। जब तीन विकेट गिर गये तब विराट कोहली का साथ दिया अक्षर पटेल ने और वे कोहली से रनों में आगे निकल गये थे, यदि बदकिस्मती से रन आउट नहीं होते तो और भी रन बना देते पर यही तो क्रिकेट का खेल है -अनिश्चितता का खेल। यही अनिश्चितता तो दक्षिण अफ्रीका को ले बैठी। जो दक्षिण अफ्रीका बिल्कुल जीत की दहलीज पर आन पहुंची थी, जीत उससे चार साल दूर छिटक कर भारत की झोली में आ गिरी। सच कहा कप्तान रोहित शर्मा ने कि यह नये लड़कों की जीत है। शिवम् दुबे, ऋषभ पंत, सूर्य कुमार यादव, अर्शदीप और किस किस की जीत नहीं है। बूमराह ने भी अपने आखिरी ओवर में भारत को जीत दिलाने में अहम् योगदान दिया। विराट पिछले दो मैचों में नहीं चल पाये, कमाल नहीं दिखा पाये बल्ले से लेकिन कोच से लेकर कप्तान तक और देश को उम्मीद थी कि फाइनल में कोहली का बल्ला चलेगा और वे सबकी उम्मीद पर खरे उतरे। बेशक तेज़ गति से रन नहीं बनाये लेकिन एक छोर संभाले अक्षर पटेल को बड़े हिट लगाने के लिए प्रोत्साहित करते रहे। इसे ही बड़ा खिलाड़ी कहते हैं।
रोहित शर्मा और विराट कोहली ने टी ट्वंटी विश्व विजेता बनते ही टी ट्वंटी फार्मेट से संन्यास लेने की घोषणा करते कहा कि यही सही समय है अलविदा कहने का, जीत के साथ। यह बहुत सही कदम कहा जा सकता है। नये खिलाड़ियों के लिए दोनों ने संन्यास ले लिया। पहला विश्व कप कपिल देव ने जीता था, हीरो बन गये थे पर समय पर संन्यास न लेने से आलोचना के शिकार भी हुए। महेंद्र सिंह धोनी ने भी कप्तानी में तीन तीन विश्व कप जीते लेकिन ग्रेसफुली रिटायरमेंट नहीं ली। रोहित और विराट ने चोटी पर पहुँच कर, विश्व विजेता बन कर संन्यास लेकर बहुत अच्छा उदाहरण प्रस्तुत किया। पिछली हार का हिसाब किताब भी आस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और सबसे पूरा चुकता कर लिया भारत ने। अजेय, अपराजित और विश्व विजयी होकर क्रिकेट टीम घर वापसी करेगी। रोहित विराट और राहुल द्रविड़ के लिए यह जीत बहुत मायने रखती है। तीनों ने जीत के साथ अंत किया। द्रविड़ का कोच के रूप में यह आखिरी विश्व कप था और नये, युवा खिलाड़ी उनकी खोज थे। कैसी शानदार गुरु दक्षिणा मिली अपने शिष्यों से! और क्या चाहिये किसी गुरु को। और देशवासी, जिन्होंने हौंसला नहीं छोड़ा, दुआयें करते रहे आखिरी वाॅल छूटने तक।
हम न रहेंगे, तुम न रहोगे
फिर भी रहेंगी कहानियां!!
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी।