समाचार विश्लेषण/लीजिए , ड्रेस कोड उत्तराखंड से
-*कमलेश भारतीय
समय समय पर ड्रेस कोड आते रहते हैं । खासतौर पर महिलाओं के पहनावे को लेकर । बलात्कार जैसे कांड को लेकर भी महिला को दोषी ठहरा दिया जाता है कि उसने पहनावा ऐसा पहन रखा था कि युवक उत्तेजित हो गये या हो जाते हैं । ऐसे पहनावे न पहनें । इस मामले में तो उत्तर प्रदेश व हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भी अपने बयानों से विवाद में आ चुके हैं । इस बार जो ड्रेस कोड आया है वह उत्तराखंड के बागेश्वर जिले के कलेक्टर विनीत कुमार की ओर से आया है सरकारी कर्मचारियों के लिए कि वे सरकारी कर्मचारी के तौर पर टी शर्ट व जींस पहन कर कार्यालय न आएं , नहीं तो कार्यवाही होगी । बताइए अब इतने सालों के प्रचलन के बाद जींस में क्या खराबी आ गयी और वह भी सिर्फ एक राज्य उत्तराखंड में ? प्रशासनिक अधिकारी कर्मचारियों के पहनावे के कोड क्यों जारी करने लगे ? किसने अधिकार दिया उन्हें ? कर्मचारियों की अपनी इच्छा पर यह ड्रेस कोड लादने का अधिकारी किसने दिया ? पहले भी उत्तराखंड के एक मुख्यमंत्री ने जींस को निशाना बनाया था लेकिन आलोचना होने पर चुप्पी साध ली ।
मनुष्य अपनी प्रकृति व इच्छा से कपड़ों का चुनाव करता है । रंग की पसंद भी उसकी अपनी होती है । फिर कोई कलेक्टर क्यों अपनी इच्छा लादे ?
कहा जाता है -
खाइए मन भांदा
पहनिए जग भांदा ।
यानी जो मन आए वह खाइए और जैसा प्रचलन हो वैसा कपड़ा पहनिए । प्रचलन में जींस आ चुकी है और चंडीगढ़ के सेक्टर सत्रह में आप जाइए और एक घंटे के भीतर आपकी मनपसंद जींस तैयार मिलेगी । जिन दिनों चंडीगढ़ जाॅब की तब मैंने भी प्रचलन में जींस देखकर बाकायदा सेक्टर सत्रह जाकर बनवाई एक घंटे के भीतर । कोई खराबी नहीं दिखी बल्कि एक चुस्त सा व्यक्ति नज़र आने लगता है । क्यों न पहनें जींस? हां जिस जींस का आजकल प्रचलन बढ़ रहा है वह ज्यादा चर्चा का विषय बन रही है । सोशल मीडिया पर ऐसी जींस के लिए आ रहा है कि यदि अमीर फटी जींस पहने तो फैशन और यदि गरीब फटे कपड़े पहने तो बहुत गरीब होने का ठप्पा । जींस ऐसा भेदभाव पैदा न करे । कहीं न कहीं से फटी जींस का प्रचलन बढ़ा है जो थोड़ा हास्यास्पद है लेकिन फैशन तो फैशन है उस पर किसी कलेक्टर या नेता का क्या बस चलता है , कहां बस चलता है ? एक समय साधना कट बालों का फैशन आया तो एक समय राजेश खन्ना ने कुर्ते के साथ पैंट का फैशन ला दिया । आजकल ब्याह शादियों में राजस्थानी पगड़ियां पहनने का फैशन है तो फैशन तो आते और जाते रहते हैं । इसलिए कलेक्टर महोदय अपने आदेश वापस ले लीजिए क्यों अपने आपको हास्यास्पद बना रहे हो ?
-*पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।