समाचार विश्लेषण/किसान आंदोलन को गंभीरता से लें
-कमलेश भारतीय
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी जिस तरह से किसान आंदोलन को लेकर बयान दे रहे हैं उससे किसान नाराज हो रहे हैं और कह रहे हैं कि हमारा अपमान न कीजिए । ऐसा क्या कह दिया? यह कहा कि कुछ आंदोलनजीवी जमात हर जगह दिख जायेगी ।विपक्ष मेहरबानी कर भ्रम न फैलाये । बेशक प्रधानमंत्री ने सिखों पर गर्व किया और पंजाब की रोटी खाने की याद भी आई । यह भी कहा कि किसान धरना खत्म करें , वार्ता होगी । प्रधानमंत्री ने विपक्ष की तुलना इस सारे मामले में नाराज फूफी से की ।
किसान मोर्चा ने इसके जवाब में यही कहा कि प्रधानमंत्री जी , आपने सारे देश के किसानों का अपमान किया है । यह भी कहा कि भाजपा या इसके पूर्वजों ने कभी अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन नहीं किया । ये आंदोलनकारी ही थे जिन्होंने भारत आजाद करवाया । इसलिए हमें आंदोलनकारी होने पर गर्व है ।सरकार ने अब भी हमारी मांगें स्वीकार करती है तो हम वापस चले जायेंगे । सरकार अपना अड़ियल रवैया छोड़ दे , इस रवैये के चलते आंदोलनजीवी पैदा हो रहे हैं ।
प्रधानमंत्री जी की तरह केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर भी बड़े मुगालते में जी रहे हैं । उनका कहना है कि छिटपुट राज्यों और कुछ किसानों तक सीमित है यह आंदोलन । सिर्फ पंजाब , हरियाणा और राजस्थान । पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक । यही भ्रभ बात को किसी निष्कर्ष तक पहुंचने नहीं दे रहा । यह भूल महंगी साबित हो सकती है । अभी तक आंदोलन के लम्बा खिंचने के पीछे शायद यह भी एक बड़ा कारण हो । सरकार जब तक इसके प्रति गंभीर ही नहीं तब तक इसे समाप्त करवाने की कोशिशें भी नहीं । वार्ताओं का दौर समाप्त । किसान कह रहे हैं कि हमें वार्ता का कोई ऑफर नहीं और प्रधानमंत्री कह रहे हैं कि मैं सिर्फ एक फोन काॅल दूर हूं। फिर आप ही कर लीजिए न फोन काॅल । यह पहले आप , पहले आप में कहीं गाड़ी ज्यादा दूर न निकल जाये ,,,