हरियाणा के लेखकों /कलाकारों को प्रोत्साहन देना लक्ष्य: धीरा खंडेलवाल
-कमलेश भारतीय
हरियाणा की अतिरिक्त मुख्य सचिव व जनसम्पर्क व भाषा धीरा खंडेलवाल का लक्ष्य है हरियाण के लेखकों/कलाकारों को प्रोत्साहन देना । इसके लिए वे नयी से नयी योजनाएं बनाती रहती हैं । उत्तरप्रदेश के उन्नाव में जन्मी धीरा खंडेलवाल ने कानपुर यूनिवर्सिटी से एम ए इतिहास किया और फिर पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ से एल एल बी । वैसे उन्होंने ज्योति प्रवीण और ज्योतिष विशारद भी किया है । टैरो रीडर भी हैं। यानी बहुमुखी प्रतिभा । हरियाणा के ही वरिष्ठ आईएएस अधिकारी डॉ कृष्ण कुमार खंडेलवाल की वे धर्मपत्नी हैं और अपने उपाध्यक्षके कार्यकाल के दौरान इनको समझने और मुलाकातों का सिलसिला रहा और इनके हंसमुख व मिलनसार व्यक्तित्व के चलते यह साहित्यिक संबंध बना हुआ है ।
-पहली जॉब कौन सी ?
-दिल्ली के सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की प्रोबेशनरी ऑफिसर । छह सात माह ।
-आईएएस कब ?
-सन् 1986 अगस्त माह में । कैडर था यू टी। दो साल नई दिल्ली की एसडी एम ।
-हरियाणा में कब से ?
-सन् 1990 से । कभी सी ई ओ तो कभी एडीसी । फिर संयुक्त सचिव शिक्षा और अब अतिरिक्त सचिव सूचना जनसंपर्क व भाषा तथा पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन ।
-साहित्य में रूचि कब से ?
-बचपन से ही । ग्रेजुएशन में संस्कृत पढ़ी । आईएएस परीक्षा में भी हिंदी साहित्य और इतिहास विषय रखे । कविताएं भी बचपन से ही लिखती आ रही हूं ।
-कितने काव्य संग्रह?
-मुखर मौन , सांझ संकारे, मेघ मेखला , तारों की तरफ , मन मुकुर, और कितने ही संयुक्त संकलनों में कविताएं संकलित । क्षनिकायें। कविता ,अकविता गज़ल ,हाईकु ,सायली छंद,,वर्ण पिरामिड , धनुषाकार पिरामिड, तॉंका, त्रयावली, लोकगीत , मुकरियॉं इत्यादि विधाओं में लिखा।
-आप बहुत छोटी रचनाएं लिखती हैं । कोई खास वजह ?
-नहीं । ऐसी कोई वजह नहीं । लम्बी कविताएं भी हैं मेरी । आठ नौ शब्दों से लेकर दो दो , तीन तीन पृष्ठ की भी । जैसे विचार आया , शुरू लिखना और कहां खत्म ये तो भाव ही जानता है ।
-आपके प्रिय कवि ?
-ज्यादातर छायावादी काल के कवि । जैसे जयशंकर प्रसाद , निराला , पंत और महादेवी वर्मा ।
-हरियाणा में रहते आपको लगभग तीस वर्ष हो गये यानी जीवन के स्वर्ण काल आपने हरियाणा को दिया । हरियाणा के साहित्य पर क्या कहेंगी ?
-मेरी कर्मभूमि हरियाणा है । इसलिए बहुत प्यार और लगाव है । हरियाणा के साहित्यकारों में बहुत पोटेंशियल है । पर नयी प्रतिभाओं को अवसर की जरूरत है । ऐसे में महसूस करती हूं । अभी अकादमी में बैठक की और कहा कि रचनाकारों की जिलावार सूचियां बनाइए ।
-इसके अतिरिक्त कोई नयी योजना ?
-हरियाणा सरकार की ओर से ‘कला मेधा ‘तीस वर्ष तक कलाकारों के लिए, ‘कला प्रवीण ‘चालीस साल तक , ‘कलाश्री ‘पचास वर्ष, ‘कला रत्न ‘अवार्ड शुरू किये गये हैं इनमें लगभग सभी ऑडियो व विजुअल आर्ट विधायें शामिल है । इसमें प्रतिवर्ष लगभग एक सौ तीस पुरस्कार दिये जाने हैं। प्रथम वर्ष के चयनित कलाकारों का पुरस्कार वितरण समारोह कोविड के कारण नहीं हो पा रहा है । ऐसे ही एज वाइज साहित्य में भी पुरस्कार होने चाहिएं जिससे नयी प्रतिभाओं को प्रोत्साहन मिल सके ।
-हरियाणा के राष्ट्रीय स्तर पर योगदान पर क्या कहेंगी?
-राष्ट्रीय संस्थाओं में हरियाणा का प्रतिनिधित्व बढ़ाने की दिशा में काम करना है । उनमें प्रतिनिधित्व कम है ।
-आपने अकादमी की बैठक ली है। कुछ बतायेंगी । यह विचार कैसे आया ?
साहित्य इतिहास का पूर्वगामी है। साहित्य से लगाव व्यक्तित्व में आदर्शवादिता और संवेदनशीलता बढ़ाता है । साहित्य और कला राजा के प्रश्रय से ही पनपते हैं। सरकार की तरफ से उदारवादिता है। अत: आप सभी के सहयोग से लेखन प्रतिभा को प्रोत्साहन मिले यही प्रयास रहेगा। सुधीजनों के सुझाव आमंत्रित हैं।
-नया क्या?
-मेरी चार किताबें प्रकाशनाधीन हैं ।
-लक्ष्य ?
-साहित्य में मन रमा रहे और क्या चाहिए? कलम जिधर ले जाए ।
हमारी शुभकामनाएं धीरा खंडेलवाल को ।