तरसेम गुजराल लिखित `पानी और पत्थर की कविताएँ' - एक संवेदनशील काव्य संग्रह

तरसेम गुजराल का काव्य संग्रह "पानी और पत्थर की कविताएँ" एक अद्भुत रचना है जो पाठक को जीवन के सूक्ष्म पहलुओं और गहरे अनुभवों से जोड़ती है। यह संग्रह उनकी कविताओं के माध्यम से जीवन के विरोधाभासों, मानवीय संवेदनाओं और समाज की जटिलताओं को सरल लेकिन प्रभावशाली भाषा में प्रस्तुत करता है।  

तरसेम गुजराल लिखित `पानी और पत्थर की कविताएँ' - एक संवेदनशील काव्य संग्रह

तरसेम गुजराल का काव्य संग्रह "पानी और पत्थर की कविताएँ" एक अद्भुत रचना है जो पाठक को जीवन के सूक्ष्म पहलुओं और गहरे अनुभवों से जोड़ती है। यह संग्रह उनकी कविताओं के माध्यम से जीवन के विरोधाभासों, मानवीय संवेदनाओं और समाज की जटिलताओं को सरल लेकिन प्रभावशाली भाषा में प्रस्तुत करता है।  

संग्रह में पानी और पत्थर जैसे प्रतीकों का बखूबी उपयोग किया गया है। "पानी" को लेखक ने प्रवाह, संवेदनशीलता और परिवर्तन का प्रतीक माना है, जबकि "पत्थर" स्थायित्व, कठोरता और अपरिवर्तनीयता का प्रतिनिधित्व करता है। इन दोनों प्रतीकों के माध्यम से कविताएँ हमें जीवन में संतुलन और संघर्ष के महत्व को समझाने की कोशिश करती हैं।  

तरसेम गुजराल की भाषा सरल, प्रवाहमयी और दिल को छूने वाली है। उनकी शैली में मानवीय भावनाओं को उकेरने का एक विशेष कौशल है। कविताएँ पाठकों को गहराई से सोचने पर बाध्य  करती हैं, लेकिन साथ ही वे अपने सहज और सरल शब्दों से सीधे हृदय तक पहुँचती हैं।  

उनकी काव्य रचनाओं में अन्य विशेषताओं के अतिरिक्त प्रतीकात्मकता, सामाजिक सरोकार और साहित्यिक सौंदर्य स्पष्ट तौर पर दिखाई देता है। यह एक ऐसा काव्य संग्रह है जो जीवन और समाज को नए दृष्टिकोण से देखने का अवसर प्रदान करता है। तरसेम गुरजल की यह रचना उनके काव्यात्मक कौशल और गहन चिंतन का उत्कृष्ट प्रमाण है। यह संग्रह हिंदी कविता प्रेमियों के लिए एक अनमोल उपहार है।

इस काव्य संग्रह का कैनवास 97 पृष्ठों पर उकेरा गया है जिस में कुल 97 कविताओं का संग्रह है। संग्रह की शुरुआत `गार्गी के सवाल' से होती है और अंत `खाली जेब' से होता है। `गार्गी के सवाल' के सवाल में एक ऐसी लड़की की कहानी को काव्यात्मक अंदाज़ में ब्यान किया गया है रोज मरने की जगह इंकार चुना जिस का परिणाम यह हुआ कि उसे अपनी गार्डन पर वार सहना पड़ा।  फिर उस लड़की के साथ क्या हुआ यह तो पाठक काव्य रचना पढ़ कर ही अनुमान लगा सकते हैं। काव्य संग्रह की अंतिम काव्य रचना "खाली जेब" भी बहुत सारे सवालों को जन्म देती है। अंत में यही उत्तर निकल कर आता है कि `जेब का भरना जरुरी है'। ऐसे ही संग्रह की प्रत्येक काव्य रचना कोई न कोई प्रश्न उत्पन्न करती है। हर रचना पाठक को सोचने पर मजबूर करती है। उनकी काव्य रचनाओं में  गरीब, वंचित और शोषित जन की आवाज उठायी गई है, जिसे पूंजीवाद के शोर में कहीं दबाने का प्रयास किया जा रहा है।  

पुस्तक को नई वर्ल्ड पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित किया गया है। पुस्तक का मूल्य 225 रूपए है। पुस्तक की साज-सज्जा बहुत सुंदर, आकर्षक और टाइटल के बिलकुल अनुरूप है। 

"पानी और पत्थर की कविताएँ" से पूर्व तरसेम गुजराल की 75 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं जिन में कविता, कहानी, उपन्यास, आलोचना, व्यंग, सम्पादन और अनुवाद शामिल हैं।

तरसेम गुजराल का मानना है कि कविता का जमीन से गहरा नाता है जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण उनका नवीनतम काव्य संग्रह है।

नई पुस्तक से कवि के लिए नई संभावनाएं बनती भी दिखाई दे रही हैं।   

-मनोज धीमान।