डिजिटल टीचिंग-लर्निंग से नहीं जुड़ने वाले शिक्षक भविष्य में अप्रासंगिक हो जाएंगेः कुलपति प्रो राजबीर सिंह
रोहतक, गिरीश सैनी। भविष्य टेक्नोलॉजी एनेब्लड टीचिंग-लर्निंग, भविष्य प्रभावी एजुकेशनल डिजिटल क्रिएटरस का है। जो शिक्षक डिजिटल टीचिंग-लर्निंग से नहीं जुड़ेंगे, वे भविष्य में अप्रासंगिक हो जाएंगे। ये विचार महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (मदवि) के कुलपति प्रो राजबीर सिंह ने -क्रिएशन ऑफ ई-कंटेट्स एंड डेवलपमेंट ऑफ मूक्स विषयक तीन दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए साझा किए।
कुलपति प्रो राजबीर सिंह ने कहा कि डिजीटल टीचिंग लर्निंग में असीम संभावनाएं है। डिजीटल प्लेटफार्म के जरिए शिक्षक लाखों -करोड़ों विद्यार्थियों तक पहुंच सकते है। उन्होंने कहा कि प्रभावी शैक्षणिक विडियोज के लिए मल्टी मीडिया, ग्राफिक्स, एनीमेशन का इस्तेमाल किया जा सकता है। कुलपति ने कहा कि मदवि प्रशासन शिक्षकों की कैपेसिटी बिल्डिंग के लिए भविष्य में भी कार्यशालाओं का आयोजन करेगा।
निदेशक, डिजीटल लर्निंग सेंटर प्रो नसीब सिंह गिल ने डिजिटल टीचिंग-लर्निंग इनीशिएटिव बारे विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि डिजिटल टीचिंग-लर्निंग इक्कीसवीं सदी की जरूरत है।
निदेशक, फैकल्टी डेवलपमेंट सेंटर प्रो संदीप मलिक ने स्वागत भाषण दिया। मंच संचालन उप-निदेशिका (एफडीसी) डॉ माधुरी हुड्डा ने किया।
कार्यशाला के तकनीकी सत्र में प्रतिष्ठित आईसीटी विशेषज्ञ, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशनल प्लानिंग एंड एडमिनिस्ट्रेशन (नई दिल्ली) के विभागाध्यक्ष (आईटीसी तथा प्रोजेक्ट मैनजमेंट) प्रो के श्रीनिवास ने नई शिक्षा नीति (एनईपी 2020) के तहत ऑनलाइन शिक्षण पद्धति के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने विभिन्न टेक्निकल टूल्स की जानकारी तथा प्रभावी आनलाईन कंटेट्स सृजित करने की प्रविधि साझा की।
कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में डीन, सीडीसी प्रो ए एस मान, लाइब्रेरियन डॉ सतीश मलिक, निदेशक आईक्यूएसी तथा सीआईक्यूए प्रो बी नरसिम्हन, निदेशक आईएचटीएम प्रो आशीष दहिया, विभागाध्यक्ष पत्रकारिता एवं जनसंचार प्रो हरीश कुमार समेत प्राध्यापक, कार्यशाला प्रतिभागी प्राध्यापक शामिल रहे। कार्यशाला आयोजन फैकल्टी डेवलपमेंट सेंटर, डिजिटल लर्निंग सेंटर तथा सेंटर फॉर इंटर्नल क्वालिटी एस्युरेंस ने किया।