मोबाइल व तकनीक ने सुलभ कर दिया आर्थिक लेनदेन
टैक्नोलॉजी ने पैसों के लेनदेन और प्रबंधन को किस कदर आसान कर दिया है। अब तो बिना नकदी, बिना इंटरनेट और बगैर मोबाइल के भी पेमेंट करने की व्यवस्था संभव होती दिख रही है।
टैक्नोलॉजी ने पैसों के लेनदेन और प्रबंधन को किस कदर आसान कर दिया है। अब तो बिना नकदी, बिना इंटरनेट और बगैर मोबाइल के भी पेमेंट करने की व्यवस्था संभव होती दिख रही है। भारतीय रिजर्व बैंक जल्द ही एक ऐसी व्यवस्था करने जा रहा है, जिसके माध्यम से बिना इंटरनेट और बिना नकदी के भी 200 रुपये तक का भुगतान करना संभव होगा। इसके लिए नियम कायदे बनाने का काम चल रहा है। बैंक का कहना है कि इस तरह के लेनदेन सिर्फ आमने सामने ही किये जा सकेंगे। यानी पैसा देने वाले और लेने वाले की मौजूदगी में ही यह पेमेंट करना संभव हो पायेगा। इसे ऑफलाइन डिजिटल पेमेंट कहा जा सकता है। इसके लिए न तो इंटरनेट की जरूरत होगी, और न ही मोबाइल फोन कनेक्टिविटी की। यह पेटीएम जैसी सुविधा से आगे का एक कदम होगा। भारत में 2014 तक एटीएम पर निर्भरता बहुत अधिक थी। कुछ भी खरीदना होता, तो एटीएम से कैश निकाल कर भुगतान करना पड़ता था। इंटरनेट की सुलभता की वजह से, धीरे-धीरे मोबाइल बैंकिंग का चलन बढ़ने लगा। नोटबंदी के बाद, 2017 से एटीएम का प्रयोग 10 प्रतिशत वार्षिक दर से घटता गया। कैश लेनदेन की जगह मोबाइल वॉलेट से भुगतान का चलन शुरू हो गया।
भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, 2020 में लॉकडाउन के चलते मोबाइल बैंकिंग के ट्रेंड पे जोर पकडा और मार्च 2021 तक बैंक खातों से हुए कुल लेनदेन में मोबाइल बैंकिंग की हिस्सेदारी 65.8 प्रतिशत हो गयी। एटीएम का इस्तेमाल घट कर 15.9 प्रतिशत हो गया और 10.4 प्रतिशत के साथ मोबाइल वॉलेट तीसरे स्थान पर चला गया। एटीएम कार्ड स्वैप करके होने वाले भुगतान 8 प्रतिशत से भी कम हो गये। एक अध्ययन के अनुसार, वर्ष 2020 में महामारी के दौरान इंस्टेंट पेमेंट की दर में 41 प्रतिशत वृद्धि हुई। देश में करीब 26 अरब रुपये की धनराशि का भुगतान रीयल टाइम पेमेंट विधियों से हुआ। अब आंकड़ों के लिए किसी सर्वेक्षण की जरूरत नहीं रही। डिजिटल माध्यमों से ही सारा डेटा फटाफट मिल जाता है, जिसकी मदद से सरकारों और बैंकों को आगे की रणनीति बनाने में बड़ी सहूलियत हो गयी है। देर से आंकड़े मिलने का मतलब होता है योजनाओं में फेरबदल करने या नुकसान होने से बचाने में विलम्ब।
क्रेडिट कार्ड का प्रयोग भी बढ़ा है, लेकिन इसका समझदारी से उपयोग करना जरूरी है। यह एक तरह से फटाफट मिलने वाला लोन है, जिससे तत्काल खरीदारी की जा सकती है। इस पर 30 से 45 दिन तक ब्याज से छूट मिलती है, लेकिन कैश निकालने पर यह सुविधा नहीं है। इमर्जेंसी हो और क्रेडिट कार्ड के जरिए पैसा निकालना ही पड़े तो जल्द से जल्द उसे चुका देना चाहिए। याद रहे कि नगदी निकालने पर क्रेडिट कार्ड जारी करने वाला बैंक अगले ही दिन से ब्याज काटना शुरू कर देता है। ब्याज भी छोटा-मोटा नहीं होता, यह 50 प्रतिशत सालाना होता है, वो भी चक्रवृद्धि यानी बढ़ता जाता है। इसलिए सतर्क रहना जरूरी है। ऑनलाइन लेनदेन बढ़ने के साथ ही ऑनलाइन अथवा साइबर अपराधों में भी वृद्धि हो रही है। इससे बचने के लिए पुलिस ने कुछ उपाय एवं सावधानियां बतायीं हैं, जैसे कि किसी अनजान व्यक्ति से प्राप्त लिंक पर क्लिक नहीं करना चाहिए। न ही इस तरह से प्राप्त हुए किसी क्यूआर कोड को स्कैन करना चाहिए।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार व कॉलमिस्ट हैं)