समाचार विश्लेषण/मंदिर के पुजारी और राम रहीम
-कमलेश भारतीय
अखबारों में दो मुद्दे किसान आंदोलन के बीच उछले हैं । मुख्य मुद्दा देश का किसान आंदोलन है लेकिन इसके बीच बदायूं के निकट एक गांव के मंदिर में पूजा करने गयी तीन बच्चों की मां से न केवल महंत बल्कि उसके सहायक और ड्राइवर तक ने जो किया उससे शर्मनाक कुछ नहीं हो सकता । यही नहीं निर्भया कांड जैसी बर्बरता भी सामने आई । यह हमारे योगी आदित्यनाथ का सुशासन है । राम मंदिर बनाया जायेगा और दिन प्रज्जवलन का कीर्तिमान भी बनायेंगे । पर मंदिर के अंदर क्या हुआ , कैसे हुआ , इसकी जांच में इतनी देरी क्यों ? मंदिर में ऐसा घिनौना कांड या किसी भी धार्मिक स्थल मे ऐसा काम तो कौन जायेगा इनमें ? क्या यहां भगवान् या खुदा या कोई भी और शक्ति जो दुनिया को चला रही है ,कहां थी ? फिर ?
इसी तरह का मामला राम रहीम के वीडियो के वायरल होने का है । जो राम रहीम सुनारिया जेल में बंद है उसे कब पैरोल मिली और क्यों मिली ? किसके इशारे पर ? एक दिन के कुछ घंटों के लिए किस लिए सुनारिया से गुरुग्राम ले जाया गया, दुनिया भर की नज़रों से छुपा कर ? अब वीडियो वायरल हुआ तो सरकार बोल रही कि इसमें हर्ज़ क्या है ? कितना खर्च हुआ ? किस पर ? किसलिए ? कुछ घंटों के लिए इतनी खर्चीली व्यवस्था? मुख्यमंत्री से लेकर जेलमंत्री तक बचाव की मुद्रा में दिख रहे हैं । क्यों ? कभी इन्हें जेल में माली का काम दिखा कर पैरोल देने को कोशिश होती है और विपक्ष व रामचंद्र छत्रपति के परिवार से विरोध होने पर इसे रद्द कर दिया जाता है या ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है । खेती करने के नाम पर पैरोल या मां को देखने की पैरोल । वोट की राजनीति क्या क्या खेल नहीं दिखा रही ? कहां तो वोट के लिए इनकी शरण में जाते थे राजनेता और कहां राजनेता की शरण में खुद राम रहीम ।
जैसे मैंने शुरू में कहा था कि चाहे मंदिर के पुजारी की बर्बरता हो या फिर राम रहीम का कृत्य, इनमें कितनी समानता है ? है न । बोलो बोलो । क्या कहोगो?