साल में 13 महीने चाहिए तो 5 सेकेंड का रूल अपनाएं
कहने को तो साल में 365 दिन होते हैं और 12 महीने, लेकिन कुछ लोग चतुराई से एक साल में 13 महीने निकाल लेते हैं। ये हैं टेलीकॉम कंपनियों के मैनेजर, जो आपसे हर साल 13 महीने की वसूली करते हैं। कई बार तो इनका एक साल 15 महीने का भी होता है। जियो, एयरटेल, आइडिया या वोडा, सबकी कहानी एक जैसी है। ये अपने टैरिफ प्लान इतनी चालाकी से बनाती हैं कि आपसे साल में 13 महीने का पैसा वसूल लेती हैं और आपको भनक भी नहीं लगती। विश्वास न हो रहा हो तो इनके टैरिफ प्लान्स पर एक निगाह डाल लीजिए। कलेंडर में एक महीना भले ही 30 या 31 दिन का होता है, लेकिन इनके मासिक रिचार्ज प्लान सिर्फ 28 दिन के होते हैं। कुछ प्लान 24 दिनों के, तो कुछ 21 के भी होते हैं। सबसे अधिक प्लान 28 दिनों के होते हैं। तीन माह का बड़ा प्लान लेना हो तो वो 84 दिन का होता है, न कि 90 दिन का। ऐसे ही, इनका दो माह का प्लान 60 दिन के बजाय 56 दिन का होता है। हैं न ये माहिर खिलाड़ी, ऊपर से ईमानदारी के पुतले भी।
ये तो हुई चालाकी की बात, लेकिन समझदारी से प्लानिंग करके कोई भी अपने साल को 13 माह का बना सकता है। जानना चाहेंगे, कैसे? हम यदि अच्छे से प्लान करें, तो हर दिन को 24 घंटे से ज्यादा समय का बना सकते हैं। रोज कुछ अतिरिक्त समय निकालने का मतलब होगा साल में 13 से भी अधिक महीने बना लेना। समय प्रबंधन को लेकर इस साल मुझे दो किताबें पढ़ने का अवसर मिला। पहली है रॉबिन शर्मा की 'दि 5 एएम क्लब', और दूसरी है मेल रॉबिंस की किताब 'दि 5 सेकेंड रूल'। व्यक्तित्व विकास के मशहूर लेखक रॉबिन शर्मा ने सुबह 5 बजे उठने की महत्ता को समझते हुए बीस साल पहले एक नियम विकसित किया, जिसे उन्होंने अपने क्लाइंट्स पर आजमाया और उनके जीवन में क्रांतिकारी बदलाव उत्पन्न किये। फिर यह किताब लिखी, जिसमें सुबह 5 बजे उठकर अपने लिए कुछ निजी समय निकालने के फायदे बताये गये हैं। दिन भर की आपाधापी में व्यक्ति को अपने लिए ठीक से समय नहीं मिल पाता, परंतु यदि सुबह जल्दी उठकर व्यायाम, योग, मेडिटेशन और दिन की योजना बना ली जाये तो पूरा दिन अधिक उत्पादक बन जाता है और रेस में आप अन्य सभी से आगे रह सकते हैं।
मेल रॉबिंस की किताब 'दि 5 सेकेंड रूल' में, रॉकेट छोड़ते समय की जाने वाली उल्टी गिनती को आधार बनाया गया है। यूट्यूब पर राकेट लांचिंग का कोई वीडियो देखिए तो आपको मिलेगा कि पांच, चार, तीन, दो, एक बोलते ही रॉकेट अंतरिक्ष की ओर बढ़ जाता है। ऐसे ही यदि हम कुछ करने का सोचते समय पांच से एक तक की उल्टी गिनती गिनें और खटाक से बिस्तर छोड़ दें, तो न व्यायाम मुश्किल लगेगा, न किसी काम की तत्काल शुरुआत करना। व्यक्ति के मन में जब कुछ नया करने का विचार आता है तो वह हिचकिचाता है या आलस कर जाता है। परंतु यदि रॉकेट के अंदाज में तुरंत काम शुरू कर दिया जाये तो सोचिए जिंदगी में आपकी रफ्तार क्या होगी। पांच सेकेंड का नियम विभिन्न स्थितियों में इस्तेमाल किया जा सकता है और चमत्कार कर सकता है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार व कॉलमिस्ट हैं)