डिजिटल युग और बच्चे 

डिजिटल युग और बच्चे 

-डाॅ सुमन बहमनी (मनोवैज्ञानिक),रिसेट यूअरसेल्फ , सेक्टर पंद्रह, हिसार। 
आज के डिजिटल युग में तकनीक ने हमारी ज़िंदगी को आसान तो बना दिया है लेकिन तकनीक के अधिक इस्तेमाल से बच्चों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है । विशेष रूप से 'वर्चुअल ऑटिज्म'  नामक एक नहीं समस्या तेज़ी से बढ़ रही है । इस समस्या को गंभीर समझने के साथ-साथ बचाव के उपाय भी मौजूद हैं । वर्चुअल ऑटिज्म एक ऐसी स्थिति है जो छोटे बच्चों में अत्यधिक स्क्रीन समय के कारण विकसित होती है बच्चे वास्तविक दुनिया के साथ-साथ बातचीत करने की बजाय वर्चुअल स्कीम स्क्रीन पर ज्यादा समय बिता रहे हैं ! इससे उनके सामाजिक और संघात्मक विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है उसके लक्षण आंखों को बुरी तरह  प्रभावित करते हैं, व्यावहारिक तौर पर संपर्क की कमी ,भाषा विकास में देरी,सार्वजनिक संपर्क और खेल में रुचि की  कमी, चिड़चिड़ापन ,गुस्सा ,ध्यान और एकाग्रता की कमी आ जाती है । यही गंभीर समस्या है । माता-पिता बच्चों को इस समस्या से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं । 
कुछ मुख्य सुझाव हैं । यह विषय बहुत संवेदनशील है  क्योंकि यह बच्चों के मानसिक, भावात्मक और सामाजिक विकास का महत्त्वपूर्ण समय होता है ! इस उम्र में जो अनुभव उनकी आदतों में आते हैं वह उनके भविष्य के व्यक्तित्व और व्यवहार को गंभीर से गहराई से प्रभावित करते हैं वर्चुअल ऑटिज्म बच्चों की विकास पर कई नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है ।
बच्चे संवेदनशील होते हैं और उन्हें यह सुरक्षित और प्रोत्साहन देने वाला माहौल चाहिए ! वर्चुअल ऑटिज्म से बचने के लिए हमें बच्चों के साथ अधिक समय बिताना होगा, स्क्रीन की जगह उन्हें प्यार से ध्यान और संवाद को प्राथमिकता देनी होगी बच्चों का मानसिक और सामाजिक स्वास्थ्य हमारी जिम्मेदारी है ! 
# बच्चों के फोन स्क्रीन पर समय को सीमित करें । छोटे बच्चों के लिए स्क्रीन समय को एक घंटे से अधिक न होने दें । यह सुनिश्चित करें कि बच्चा स्क्रीन से अधिक वास्तविक दुनिया में समय बताएं ।
# गुणवत्ता समय बितायें, बच्चों के साथ बातचीत करें उन्हें कहानी सुनाएं उनके साथ खेलें । यह उनके भाषा, कल्पाशीलता और सामाजिक कौशल को बेहतर बनाने में मदद करेगा ।
# शारीरिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करें । बच्चों को बाहर खेलने कूदने और अन्य सारी गतिविधियों में शामिल करें । यह उनके मानसिक और शारीरिक विकास के लिए आवश्यक है । 
 # डिजिटल डिटॉक्स अपने पूरे परिवार के लिए एक दिन तय करें जब कोई भी डिजिटल डिवाइस का इस्तेमाल न करें इस डिजिटल फ्री डे के रूप में बनाएं ।
यदि आपके लगे कि बच्चा वर्चुअल ऑटिज्म के लक्षण दिख रहा है तो जल्द से जल्द किसी विशेषज्ञ से संपर्क करें ।
बच्चों का भविष्य हमारे हाथों में है तकनीक का सही प्रयोग करके बच्चों को एक स्वस्थ कुशल और वास्तविक दुनिया से जोड़ने के लिए प्रोत्साहित रहे ।वर्चुअल ऑटिज्म से बचाव केवल जागरूकता और जिम्मेदारी के साथ ही संभव है । 
ये सुझाव बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए महत्वपूर्ण कदम हो सकते हैं ।