जिया जले, जीभ जले और क्या क्या जले? 

जिया जले, जीभ जले और क्या क्या जले? 

-*कमलेश भारतीय
आखिरकार जिया भी जला, जीभ भी जली और केस भी दर्ज हुआ । अभी तक भाजपा कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर यत्र तत्र सर्वत्र केस दर्ज करवाती आ रही थी और एक मामले में तो सांसदी भी चली गयी थी, बंगला तक खाली करवा लिया था आनन फानन में । अब यह कला कांग्रेस भी सीख गयी और जैसे को तैसा जवाब भी दे दिया अमरावती में राज्यसभा सांसद अनिल बोंडे पर । अनिल बोंडे ने राहुल गांधी के अमेरिका में आरक्षण पर दिये बयान पर कहा कि यह बहुत खतरनाक है, इसलिए राहुल गांधी की जीभ काटनी नहीं बल्कि जला देनी चाहिए । इस बयान पर कांग्रेस सांसद बलवंत वानखेड़े ने अमरावती में केस दर्ज करवाते आरोप लगाया कि इस बयान से दंगे भड़कने की आशंका है ।  यह बयान इसी मंशा से दिया गया है ।  हालांकि भाजपा महाराष्ट्र प्रमुख चंद्रशेखर बावनकुले ने इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते कहा कि वे बोंडे की टिप्पणी का समर्थन नही़ं करते लेकिन राहुल गांधी को विदेश में भारत विरोधी बयान से संकोच करना चाहिए । दूसरी ओर पंजाब से भाजपा के पहली बार सांसद बने रवनीत सिंह बिट्टू ने इससे भी आगे बढ़कर बयान देते कहा कि राहुल गांधी 'देश का नंबर वन आतंकी' है । वहीं शिवसेना विधायक संजय गायकवाड़ ने राहुल गांधी की जीभ काटकर लाने वाले को ग्यारह लाख रुपये का इनाम देने की घोषणा कर इंतहा ही कर दी । इन्हीं बयानों और इनामों की जानकारी देते कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर इन नेताओं पर कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है । 
यह उस देश के सांसदों की भाषा है जो अहिंसा का पुजारी है और महात्मा गांधी ने भी वैष्णव जन तो तैने ने कहिये, पीर पराई जाने रे । जबकि ये बयानबाजी क्या इशारे कर रही है? हम किस देश के वासी हैं ? 
जब से सत्ता का संघर्ष बढ़ा है तब से ये एक दूसरे पर बात बात पर कोर्ट केस करने का प्रचलन भी बढ़ा है और खासतौर पर इनके निशाने पर राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल रहते हैं । यदि आरटीआई लगाई जाये तो पता चले कि इन दोनों पर कितने कितने केस दर्ज हैं, सब सामने आ जायेंगे । लगातार राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल को कोर्ट्स के चक्करों में उलझाये रखना ही इसका एकमात्र उद्देश्य नज़र आता है । विपक्ष को भ्रष्टाचारी साबित करते रहना भी एक फंडा है् । बाकी जो बचे वह तीन तोतों के हवाले कर दिया जाता है । अब बार बार तोतों की जानकारी देना अच्छा नहीं । अभी तो सुप्रीम कोर्ट के माननीय जज ने भी कहा कि सीबीआई की छवि पिंजरे में बंद तोते  सी क्यों बनी हुई है, यह सोचिये । इस तरह यह कोर्टबाजी का खेल बंद कर, मीठी वाणी बोलनी चाहिए । सभ्य शब्दों में भी बहुत कुछ कहा जा सकता है। जैसे एक बार हरियाणा में कांग्रेस में रहते चौ भजनलाल ने चाय के प्रोग्राम बनाये तब इस पर चुटकी लेते नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि ज्यादा चाय सेहत के लिए ठीक नहीं । इस तरह की भाषा भी अपना सकते हैं बजाय बिष भरी वाणी के । हरियाणवी में कहते हैं: 
 रहिमन जिह्वा बावरी 
कह गयी सरग पाताल
आप कहै भीतर गयी
जूती खात कपाल !!

-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी।