समाचार विश्लेषण/शब्द बाण से घायल होता मन
-*कमलेश भारतीय
शब्द की महिमा अनंत है । शब्द को ब्रह्म कहा जाता है । सही उपयोग हो तो सचमुच ब्रह्म ! और यदि सही उपयोग न हो तो मन घायल हो जाता है । बुरी तरह आहत । बुरी तरह अपमानित ! यह बात नीदरलैंड के शोधकर्त्ताओं ने दिमाग की रीडिंग के बाद खोज निकाली है । शोध में यह बात सामने लाई गयी है कि मौखिक अपमान का असर बहुत गहरा होता है । इसका असर लम्बे समय तक रहता है । लोग प्रशंसा तो जल्दी भूल जाते हैं लेकिन अपमान कभी भुला नहीं पाते ! अपमानजनक बातें दिल में चुभती रहती हैं । ये बातें जोरदार तमाचे जैसी महसूस होती रहती हैं !
शोधकर्ताओं का मानना है कि शब्दों का हमारे जीवन पर काफी प्रभाव पड़ता है । शब्दों के माध्यम से किया गया अपमान हमारे मुंह पर मारे गये तमाचे जैसा लगता है । इससे दिमाग में नकारात्मक भाव पैदा होते हैं । शब्द ही है जो भाषा और भावनाओं के बीच इंटरफेस करने का अनूठा अवसर प्रदान करता है । व्यक्ति इसके बारे में बार बार सोचता रहता है ।
वैसे हमारे देश में शब्दों के बाणों का सबसे बड़ा उदाहरण महाभारत के रूप में सामने आया है । यदि द्रौपदी ने उपहास उड़ाते हुए दुर्योधन को 'अंधे की संतान अंधी ही होगी' न कहा होता तो क्या महाभारत होती ? कभी नहीं । दुर्योधन के दिल में ये शब्द बाण ऐसे चुभे कि फिर द्रौपदी चीरहरण तक हुआ । उसके बाद पांडवों को एक साल का अज्ञातवास और फिर सुई की नोक बराबर जमीन न देने पर एक प्रकार से न्याययुद्ध यानी महाभारत हुआ । ऐसे अनेक प्रसंग हैं । आज के युग में भी । राजीव गांधी और अभिताभ बच्चन की देहरादून के कान्वेंट स्कूल से दोस्ती ने अभिताभ बच्चन को राजनीति में लाने का काम किया लेकिन बोफोर्स कांड में दलाली का आरोप लगने पर अभिताभ बच्चन इसलिए राजनीति छोड़कर चले गये कि गांधी परिवार ने उन दिनों उनका साथ नहीं दिया और कहा भी कि वे राजा हैं और हम रंक ! इस तरह यह वाक्य भी गांधी परिवार नहीं भूला और दोस्ती खत्म । जिस अभिताभ बच्चन के घर आकर सोनिया गांधी रहीं , जिस अभिताभ की मां तेजी बच्चन ने सोनिया को भारतीय तौर तरीके सिखाये , साड़ी बांधना तक सिखाया , उसी भाभी से फिर अमिताभ बच्चन दूर हो गये ! गुजरात के ब्रांड एम्बेसेडर बन गये और, राजनीति में न होते हुए भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ढाल बने हुए हैं ।
उत्तर प्रदेश के एक विधानसभा चुनाव में कैसे कैसे शब्द बाण चले कि बात गुजरात के गधों तक जा पहुंची जो बहुत शोचनीय नहीं कही जा सकती । ऐसे ही श्मशान व कब्रिस्तान की बात भी कोई पचाने जैसी नहीं थी । पश्चिमी बंगाल में 'दीदी ओ दीदी' की पुकार ने भी पद की गरिमा को क्षति पहुंचायी ही बल्कि पराजय भी मिली । पश्चिमी बंगाल की जनता ने इसे बंगाल की अस्मिता के साथ जोड़कर देखा !
अभी सोनाली फौगाट के अंतिम संस्कार के समय मंडी आदमपुर से ताजा ताजा इस्तीफा देने वाले नेता ने एक यूट्यूब चैनल से बातचीत करते करते समय कह दिया कि मुझे उम्मीद है कि सोनाली फौगाट अपने वर्करों को मेरे बारे में जरूर कह कर गयी होगी ! यह वीडियो बहुत वायरल हुआ और सबने इसको बहुत ही अशोभनीय माना कि आप कहां खड़े होकर क्या कह रहे हो ! यह संसार ही झूठा है और सबसे बड़ा यही तो आश्चर्य है कि वो जा रहा है और हम तो सदा रहेंगे ! ऐसी जगह पर शांत रहते तो ज्यादा अच्छा रहता !
शब्दों की महिमा के अनेक उदाहरण दिये जा सकते हैं ! बस इतना समझ लीजै कि शब्द ही ब्रह्म है और सोच समझ कर ही बोलना शोभा देता है । सोशल मीडिया पर किसी के विचार बार बार आते हैं कि चुप रहो । यदि बोलना बहुत जरूरी हो तभी बोलो! शब्दों को बेकार खर्च न करते रहो !
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।