जीवन में मां-बाप के महत्व को प्रभावी ढंग से दर्शकों के मन-मस्तिष्क पर अंकित कर गया नाटक ‘साइकिल आफ लाइफ’

जीवन में मां-बाप के महत्व को प्रभावी ढंग से दर्शकों के मन-मस्तिष्क पर अंकित कर गया नाटक ‘साइकिल आफ लाइफ’

रोहतक, गिरीश सैनी। जीवन यात्रा के उतार-चढ़ाव तथा बाप-बेटे के संबंधों की मार्मिक कथा एमडीयू में रंग रास थिएटर इवेंट में नाटक- साइकिल आफ लाइफ में मंचित की गई। विश्व रंगमंच दिवस पर जीवन के यथार्थ को भाव प्रवण ढंग से नाटक के माध्यम से अभिव्यक्त कर यह कार्यक्रम दर्शकों को भाव विभोर कर गया।

उदीयमान नाटकार गिन्नी बब्बर द्वारा निर्देशित साइकिल ऑफ नाटक में ललित प्रकाश ने बुजुर्ग बाप, अविनाश तोमर ने बेटे तथा अभिनेत्री सिम्पी ने मां की भूमिका निभाते हुए नाटक में जीवन चक्र के उद्घाटन का बखूबी चित्रण किया। बाप-बेटे की नोकझोंक से शुरू होकर नाटक बाप की मृत्यु उपरांत बेटे के जीवन में बदलाव तथा इस पूरे परिदृश्य में मां की स्थिति का चित्रण अभिनेताओं ने जीवंत कर दिया। नाटक में लाइटिंग का दायित्व निर्वहन उन्जवल ने किया।

कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने अध्यक्षीय भाषण में विश्व रंगमंच दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं व्यक्त की। कुलपति ने कहा कि नाटक जीवन के यथार्थ को प्रस्तुत करता है। मनुष्य की भावनाओं की सशक्त अभिव्यक्ति नाटक के जारी की जाती है।
रंग रास इवेंट के संयोजक प्रो. हरीश कुमार ने स्वागत भाषण दिया। उन्होंने विश्व रंगमंच दिवस के महत्व तथा साहित्य में नाट्य परंपरा के इतिहास को उल्लेखित किया। रंग महोत्सव के संयोजक डीन स्टूडेंट वेलफेयर प्रो. रणदीप राणा ने रंग महोत्सव के उद्देश्य पर प्रकाश डाला।

रंग रास इवेंट में हरियाणा के प्रतिष्ठित संस्कृति कर्मी, नाट्य कर्मी रघुविन्द्र मलिक बतौर विशिष्ट अतिथि उपस्थित रहे। इस दौरान रंगकर्मी डा. आनंद शर्मा, अविनाश सैनी, मनीषा हंस, अरूण शर्मा, कृष्ण नाटक, दुष्यंत को सम्मानित किया गया। कुलसचिव डा. कृष्णकांत की गरिमामयी उपस्थिति कार्यक्रम में रही। मंच संचालन शोधार्थी प्रिया ने किया। आभार प्रदर्शन निदेशक जनसंपर्क सुनित मुखर्जी ने किया। आयोजन व्यवस्था संबंधित दायित्व निर्वहन निदेशक युवा कल्याण डा. प्रताप राठी ने किया।

इस दौरान रंग बहार इवेंट की संयोजिका प्रो. विनीता हुड्डा, रंग कलम की संयोजिका प्रो. सुनीता सैनी, रंग सुर संयोजिका प्रो. विमल सहित विभिन्न विभागाध्यक्ष, प्राध्यापक, सेवानिवृत शिक्षक, रोहतक के नाट्य प्रेमी नागरिक, गैर शिक्षक कर्मी, विद्यार्थी मौजूद रहे। इस भाव प्रवण नाटक मंचन ने उपस्थित जन को हंसाते, रुलाते हुए जीवन में मां-बाप के महत्व को प्रभावी ढंग से दर्शकों के मन-मस्तिष्क पर अंकित कर दिया।