पूर्णिमा के चांद की तरह फैलती जा रही है चांदी की दुनिया
दुनिया भर में चांदी की मांग बढ़ रही है और इसकी वजहें कई सारी हैं। महामारी के कारण वर्क फ्रॉम होम एक आवश्यकता बनता गया, जिससे काम करने के तरीके भी बदलने लगे। दफ्तर के काम जब घर से होने लगे तो मोबाइल फोन, लैपटॉप और अन्य इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स के उपयोग में वृद्धि होती गई, जिनमें चांदी का काफी मात्रा में उपयोग होता है। पिछले पांच साल से विश्व में चांदी की डिमांड बढ़ी है, जबकि कोरोना काल में इसकी सप्लाई में बाधा पड़ी है। चांदी की माइनिंग कम हो रही है और मांग बढ़ रही है। अभी एक किलो चांदी का दाम 61 हजार रुपए है, जो इस साल बढ़कर 74 हजार रुपये होने का अनुमान है। इंडस्ट्री के जानकारों का मानना है कि चांदी का दाम तीन साल में एक लाख रुपए प्रति किलो तक पहुंच सकता है। चांदी ने पिछले चार सालों में निवेश पर लगभग 63 प्रतिशत रिटर्न दिया है। भारत में पिछले साल ही सेबी ने सिल्वर ईटीएफ (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड) की मंजूरी दी। ईटीएफ की बिक्री और खरीदारी एक्सचेंज पर होती है और शेयरों की तरह इनके दाम ऊपर नीचे होते रहते हैं।
वैश्विक स्तर पर अर्थव्यवस्थाओं में हो रहे बदलावों के मद्देनजर चांदी की मांग बढ़ रही है और आगे और बढ़ेगी। तकनीकी क्षेत्र में चांदी के अनेक उपयोग हैं, जिसकी वजह से इसकी मांग दुनिया भर में बढ़ रही है। 5जी के कई उपकरणों में चांदी का उपयोग होता है और अगले चार सालों में 5जी टैक्नोलॉजी में 500 टन तक चांदी की खपत होने का अनुमान है। इसी तरह, अगले चार वर्षो में कारों सहित ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में सालाना 22 प्रतिशत की वृद्धि के हिसाब से 2800 टन चांदी की खपत हो सकती है। सांस की समस्याओं और कोविड के इलाज में प्रयोग होने वाले कुछ चिकित्सा उपकरणों में चांदी का इस्तेमाल होता है। ग्रीन इनर्जी का महत्व सबको समझ आने लगा है, इसलिए सोलर इनर्जी की मांग में इजाफा हो रहा है और उसके उपकरणों में सिल्वर का खूब सारा इस्तेमाल होता है। चांदी उच्चतम तापीय चालकता वाली धातु है और सबसे अधिक परावर्तक धातु होने के कारण सौर पैनलों में एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। भारत में फोटोवोल्टिक सेल निर्माण को आकर्षित करने के लिए शुरू की गई उत्पादकता से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाओं के साथ चांदी की घरेलू मांग बढ़ेगी।
इस धातु का उपयोग दुनिया भर में एक और तेजी से बढ़ते सेगमेंट में होने लगा है, यह है जल और वायु शोधन। कुल मिलाकर देखें तो टैक्नोलॉजी की लोकप्रियता के कारण सिल्वर की मांग करीब करीब पूरी ही दुनिया में उठान पर चल रही है और बढ़ती ही जाएगी। चांदी आभूषण बाजार का एक महत्वपूर्ण पहलू है। देश में चांदी की कुल मांग में आभूषणों की हिस्सेदारी 34 प्रतिशत है। साल 2020 में चांदी की मांग 1000 मीट्रिक टन से अधिक थी। चांदी न केवल सोने और प्लेटिनम की तुलना में सस्ती है, बल्कि नए जमाने में इसके डिजाइनों की भी भरमार है। महिलाओं के पैरों की पायल चांदी की ही होती है। विवाहित महिलाओं के लिए चांदी के गहनों में एक और चीज महत्वपूर्ण है- पैर की अंगुली में पहने जाने वाले छल्ले या बिछुए, जिन्हें प्रजनन क्षमता को बेहतर करने में उपयोगी माना जाता है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार व कॉलमिस्ट हैं)