संविधान शब्द बड़ा पवित्र
-*कमलेश भारतीय
यह भी एक दुखद स्थिति है कि अभी तक पच्चीस जून को आपातकाल के रूप में मनाया जाता रहा। इस साल भी लेकिन अगले साल से इस दिन को 'संविधान हत्या दिवस' के रूप में मनाये जाने की केन्द्र सरकार ने घोषणा की है। यह दोनों शब्द एकसाथ किसी भी तरह आपस में मेल नहीं खाते। कहां संविधान जैसी पवित्र, पावन जैसी रचना, जिसे बाबा अम्बेडकर, चौ रणबीर सिंह हुड्डा और पूरी टीम ने कितने सोच विचार के बाद रचा और हमारे देश का भाग्य विधाता बना और कहां हत्या जैसा शब्द। कोई मेल नहीं इनका। मेल है तो यह कि इंडिया गठबंधन ने संविधान बचाओ को लोकसभा चुनाव में मुद्दा बनाया और शपथ लेने के बाद संसद के बाहर आकर संविधान की प्रतियों के साथ फोटो खिंचवाई। यह संविधान इस तरह मुद्दा बनकर उछला क्यों और कैसे? बस, राजनीति में इसका कोई उपाय ढूंढ निकालना चाहिए। यह उपाय सामने आया कि पच्चीस जून को अब संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाया जाये।केंद्रीय मंत्री अमित शाह का कहना है कि 25 जून, सन् 1975 को इंदिरा गाँधी ने तानाशाही मानसिकता का प्रदर्शन करते हुए आपातकाल लागू करके लोकतंत्र की आत्मा का गला घोंट दिया था।
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस तरह से संविधान हत्या दिवस मनाये जाने को बाबा साहब अम्बेडकर का अपमान करने के बराबर माना है। उन्होंने यह भी कहा कि अपने दस वर्ष के शासनकाल में आपकी सरकार ने प्रतिदिन संविधान हत्या दिवस मनाया। मध्यप्रदेश में भाजपा नेता आदिवासियों पर पेशाब कर देता है, हाथरस की दलित बेटी का पुलिस जबरन अंतिम संस्कार करवाती है, नोटबंदी, लाॅकडाउन... ये सब संविधान की हत्या ही तो है।
वैसे विशेषज्ञों का कहना है कि आपातकाल लागू करने का प्रावधान भी संविधान में ही था तो फिर संविधान की हत्या कैसे हुई? हां, आपातकाल को लागू करना इंदिरा गांधी की बहुत बड़ी भूल थी और कांग्रेस ने इसका भरपूर नुकसान भी झेला। यह नैतिक रूप से कांग्रेस की हार थी।
वैसे उत्तराखण्ड की सरकार गिराने को तो उत्तराखण्ड हाईकोर्ट ने भी संविधान सम्मत न मान कर हरीश रावत की सरकार को बहाल कर दिया था। महाराष्ट्र की अघाड़ी सरकार को गिराये जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने भी माना था कि यदि उद्धव ठाकरे ने समय पूर्व इस्तीफा न दिया होता तो उनकी कुर्सी भी बहाल हो सकती थी। तो सरकार किस संविधान सम्मत नियम से गिराई थी? मणिपुर में सिर्फ दो विधायकों वाली भाजपा सत्ता में कैसे आ गयी थी? गोवा में संविधान के अनुसार पहले बड़े दल कांग्रेस को न्यौता क्यों नहीं देकर, रातों रात भाजपा की सरकार कैसे बन गयी थी? एक आपातकाल से ही संविधान की हत्या हुई, यह जो जनमत को दबाकर सरकारें बनाई गयीं, विधायकों की खरीद फरोख्त और खुली मंडी लगाई जाने लगी, यह संविधान को अनदेखा व अनसुना करने के समान नहीं है।
ये लुभावने शब्दों में लिपटे नारे अब कारगर नहीं रहेंगे। अमृत महोत्सव में बिहार में बने पुल क्यों ढह रहे हैं? क्या इसीलिए नीतिश कुमार समर्थन दे रहे हैं कि उनके शासनकाल पर कोई उंगली न उठ सके?
नीट पेपर लीक का क्या जवाब है और अब संविधान हत्या दिवस घोषित करना, यह संविधान बचाओ का जवाब है। बस, और इससे ज्यादा कुछ नहीं।
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी।