ध्यान रहे, जैव-संतुलन न बिगड़े

ध्यान रहे, जैव-संतुलन न बिगड़े

दुनिया की जनसंख्या इस समय करीब 8 अरब के आसपास है। जिस गति से विश्व के देशों में मानव आबादी बढ़ रही है, उसको देखते हुए अनुमान है कि साल 2050 तक विश्व की कुल आबादी बढ़कर 10 अरब तक हो जाएगी। यह एक बहुत विशाल संख्या है, जो भोजन और अन्य जरूरतों के हिसाब से बहुत अधिक है। पृथ्वी पर मानव आबादी का बोझ बढ़ता जा रहा है, जबकि मनुष्य अपने लालच और अपने जीवन को आरामदायक बनाने के लिए प्रकृति के अन्य जीवों और वृक्षों को नष्ट करता जा रहा है। प्रकृति में सभी जीव-जंतुओं का जीवन एक-दूसरे पर निर्भर होता है। इनमें से किसी भी जीव या वनस्पति की संख्या घटने या बढ़ने पर पृथ्वी का जैव-संतुलन गड़बड़ाता है। फलस्वरूप तमाम किस्म की प्राकृतिक आपदाएं और समस्याएं जन्म लेती हैं।

मनुष्य अपनी आबादी तो बढ़ाता जा रहा है, लेकिन वृक्षों, वनस्पतियों, कीट-पतंगों, पक्षियों, जानवरों और वन्यजीवों को तरह-तरह से नष्ट करने पर तुला हुआ है। यह एक बहुत बड़ी चिंता का विषय है। कोई एक देश नहीं, बल्कि दुनिया के सभी देशों में इस कारण से समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। जनसंख्या के हिसाब से चीन दुनिया में पहले नंबर पर है, भारत दूसरे नंबर पर, जबकि अमेरिका तीसरे स्थान पर है। जनसंख्या बढ़ती जाने से शिक्षा, स्वास्थ्य और आवास जैसी सुविधाओं में गिरावट आती है। दुनिया के सामने ईंधन से लेकर भोजन तक की उपलब्धता का संकट खड़ा हो जाता है। आबादी धड़ाधड़ बढ़ते जाने से विश्व के तमाम देशों का पर्यावरण, खाद्य आपूर्ति, जल संकट, ऊर्जा, बेरोजगारी से जुड़ी समस्याएं आ खड़ी होती हैं। आबादी बढ़ने से जीवन स्तर गिरता जाता है और समस्याएं बढ़ती हैं। विश्व की करीब 17 प्रतिशत आबादी भारत में रहती है, जहां जनसंख्या वृद्धि की मुख्य वजह निरक्षरता है।

विश्व की करीब 8 अरब आबादी में से 50 प्रतिशत आबादी सोशल मीडिया पर मौजूद है। यानी करीब 4 अरब लोग सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं। इनमें से 30 प्रतिशत सोशल मीडिया यूजर्स वे हैं जिनकी उम्र 30 साल से कम है। इन युवाओं को अपनी और आकर्षित करने और अपने गैंग में शामिल करने के लिए, दुनिया भर के आतंकवादी सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते हैं। हालत यह है कि 90 प्रतिशत आतंकी गतिविधियां सोशल मीडिया के जरिए चलाई जा रही हैं। दुनिया का सबसे खतरनाक आतंकी संगठन आईएस को माना जाता है, ट्विटर पर जिसके सात करोड़ फॉलोअर्स हैं। तालिबान और आईएस जैसे आतंकी संगठन अपने यहां नए सदस्यों की भर्ती के लिए सोशल मीडिया का सहारा लेते हैं, जिसमें फेसबुक, यूट्यूब और व्हाट्सएप जैसे प्लेटफार्म प्रमुख हैं। ये लोग आतंकी घटनाओं के वीडियो बनाते हैं और सोशल मीडिया पर पोस्ट करके उन्हें वायरल कर देते हैं। इनके सोशल मीडिया अकाउंटों पर चलने वाले विज्ञापनों से भी इन्हें भारी भरकम आय होती है।

विश्व की जनसंख्या के सामने जलवायु, और प्राकृतिक आपदाओं के अलावा जो अन्य समस्याएं मुंह बाए खड़ी हैं उनमें विभिन्न देशों के बीच युद्ध, तनातनी और आर्थिक या राजनीतिक खींचतान भी उल्लेखनीय हैं। उदाहरण के लिए, श्रीलंका में इस समय बहुत बुरे हालात हैं। वहां लोगों के पास खाने को भोजन नहीं है, और आवागमन के लिए पेट्रोल-डीजल नहीं है। देश  राजनीतिक रूप से अस्थिर बना हुआ है। चीन पर निर्भर रहने के कारण श्रीलंका और पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था ध्वस्त हो चुकी हैं। श्रीलंका जैसे हालात किसी भी दिन पाकिस्तान में भी बन सकते हैं, ऐसा राजनीतिक विशेषज्ञों का अनुमान है।

श्रीलंका में जनता को खाने-पीने की वस्तुओं की भारी किल्लत हो रही है। देश में बेहद अराजकता का माहौल है। इस समस्या के पीछे बड़ा कारण यह बताया जा रहा है कि वहां की सरकार ने अचानक से देश को ऑर्गेनिक खेती की ओर मोड़ दिया, और बाहर से फर्टिलाइजर्स मंगवाने पर पूरी तरह से रोक लगा दी। श्रीलंका की जनता इतने बड़े परिवर्तन के लिए तैयार नहीं थी। इससे कृषि पैदावार का संकट खड़ा हो गया। आज वहां हालात ऐसे हैं कि टमाटर, आलू और चावल जैसी आवश्यक खाद्य वस्तुएं 500 रुपए से एक हजार रुपए प्रति किलो तक के रेट में मिल रही हैं। पाकिस्तान के हालात भी ऐसे ही हो रहे हैं। उस मुल्क को अपने कर्ज पर लगे ब्याज को चुकाने के लिए नए लोन लेने पड़ रहे हैं। वहां की जनता भी बहुत परेशान है। चीन ने अपनी अनेक परियोजनाएं लागू कराने के लिए इन दोनों देशों को भारी भरकम कर्ज दिए। अब चीन इनकी मदद के लिए आगे नहीं आ रहा है।

बारिश के दिनों में असम में बाढ़ जिस तरह से तांडव मचाती है, लगभग वैसी ही तबाही उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी राज्यों में हर साल होती है। इन पहाड़ी प्रदेशों में अधिक बारिश की वजह से बहुत अधिक नुकसान होता है। अन्य कई प्रदेशों में भी नदियों में बाढ़ के चलते दुर्घटनाएं होती रहती हैं। हाल ही में, अमरनाथ गुफा के पास बादल फटने से करीब डेढ़ दर्जन श्रद्धालुओं की मौत हो गई, जबकि बहुत सारे लोग लापता हैं। उत्तराखंड में केदारनाथ मार्ग पर पत्थर गिर रहे हैं। हाल ही में हिमाचल प्रदेश के कसौली क्षेत्र में भारी पत्थर गिरने से एक कार बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई। बारिश के मौसम में पहाड़ों की ओर यात्रा करने वालों को बहुत सावधानी बरतनी चाहिए। जहां तक संभव हो खतरे वाले मार्गों पर यात्रा करने से बचना चाहिए। पर्यटन के महत्व वाले स्थानों पर भी अधिक बरसात के दिनों में जाना खतरे से खाली नहीं है।

भारत में करीब-करीब प्रत्येक व्यक्ति के पास मोबाइल फोन है, जबकि बहुत बड़ी आबादी के पास स्मार्टफोन हैं। भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) की रिपोर्ट के मुताबिक, देश में 60 प्रतिशत लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं। शहरी इलाकों में यह संख्या 70 प्रतिशत है, जबकि ग्रामीण इलाकों में करीब 40 प्रतिशत लोग इंटरनेट का उपयोग करते हैं। पिछले एक साल में, देश में टेलीफोन और इंटरनेट उपभोक्ताओं की संख्या में बढ़ोतरी हुई है, जबकि दूरसंचार कंपनियों की आय में कमी आई है। देश में इंटरनेट का उपयोग करने वालों में सबसे अधिक संख्या मोबाइल फोन के जरिए इंटरनेट चलाने वालों की है, और यह आंकड़ा करीब 97 प्रतिशत है।

(लेखक एक वरिष्ठ पत्रकार एवं कॉलमिस्ट हैं)