थियेटर का आरंभ सभ्यता के आरंभ के साथ ही हो गया था - पद्मश्री डीपी सिन्हा

वरिष्ठ पत्रकार अमित कुमार को मिला बेस्ट क्रिटिक अवार्ड

थियेटर का आरंभ सभ्यता के आरंभ के साथ ही हो गया था - पद्मश्री डीपी सिन्हा

नई दिल्ली । थियेटर का आरंभ सभ्यता के आरंभ के साथ ही हो गया था। जब बच्चा आंख खोलता है उसी के साथ अभिनय करना शुरू कर देता है। इसलिए यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि थियेटर का जन्म सभ्यता के जन्म के साथ ही हुआ है। यह बात साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता पद्मश्री दया प्रकाश सिन्हा  (डीपी सिन्हा) ने दिल्ली के मुक्तधार सभागार में आयोजित '14वे नटसम्राट थियेटर अवार्ड' वितरण समारोह में विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े प्रतिष्ठित विभूतियों को सम्मानित करते वक्त कही। इस मौके पर हिंदी दैनिक 'राष्ट्रीय सहारा' के वरिष्ठ संवाददाता अमित कुमार को वर्ष 2022 के लिये बेस्ट क्रिटिक अवार्ड से नवाजा गया तो दूसरी ओर राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) की पूर्व निदेशक कृति जैन आदि को सम्मानित किया गया। इस मौके पर जयवर्धन (जेपी सिंह) द्वारा रचित हिंदी राजनीतिक व्यंग्य नाटक 'खैरातीलाल का कुर्सी तंत्र'   का विमोचन भी किया गया।

इस मौके पर कृति जैन ने नटसम्राट के निदेशक श्याम कुमार को पिछले 19 वर्षों से लगातार अपने बल बूते थियेटर करने के लिए बधाई दी तो दूसरी ओर वैसे लोगों को सम्मानित करने के लिए भी बधाई दी जो पर्दे के पीछे रहते हुए लगातार रंगमंच को समृद्ध कर रहे हैं। अमित कुमार ने कहा कि यह हर किसी को अपना काम लगन और ईमानदारी से करते रहना चाहिए एक न एक दिन उसका फल जरूर मिलता है। यह नही सोचना चाहिए कि कोई आपके काम का आंकलन नही कर रहा है। कही न कही कोई न कोई आपके काम  का आंकलन करता है और उसका प्रतिफल इस तरह के पुरस्कार का मिलना है। वैक स्टेज संगीत के लिए पुरस्कार पाने वाले जमील खान ने कहा ने बताया कि उनकी पांच पीढियां 'नक्कारे' बजाने का काम करती आ रही है। पहले नौटंकी में बजाते थे तो वहां बंदिशें नही थी लेकिन थियेटर में आने के बाद पता चला कि यहां आपको एक सीमा में ही काम करना है और इसे मैने एक छात्र की तरह सीखता रहा।

राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय रंगमंडल के प्रमुख और सहायक प्राध्यापक शान्तनु बोस को इस साल का सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का सम्मान मिला है। श्री बोस ने सम्मान ग्रहण करने के बाद इतने भावुक हो गए कि उनकी आंखों से आंसू इस लिये निकल गए कि वर्षो से रंगमंच करते आने के बाद भी आज तक बंगाली थियेटर से कोई पुरस्कार नही मिला। पुरस्कार के लायक हिंदी थियेटर वालों ने समझा और सम्मान दिया। इस मौके पर सर्वश्रेष्ठ लेखक का सम्मान अनीस आजमी को, सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए मनीष मनोजा, सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए दक्षा शर्मा को तथा डॉ. जीतराम भट्ट को थियेटर प्रमोटर के लिए सम्मानित किया गया। सम्मान स्वरूप प्रत्येक को शॉल, प्रतीक चिन्ह और बुके भेंट किया गया।