संवैधानिक मूल्यों को सुदृढ़ करने की दिशा में सामूहिक प्रयास किए जाने की जरूरतः कुलपति प्रो. सुदेश
संविधान दिवस पर क्विज में नैना व कशिश की टीम प्रथम।
खानपुर कलां, गिरीश सैनी। हमें अपने अधिकारों के साथ-साथ कर्तव्यों के प्रति भी जागरूक रहना चाहिए। भारत का संविधान जहां हमें अपने मौलिक अधिकारों के संरक्षण का अधिकार देता है, वहीं हमें राष्ट्र के प्रति कर्तव्यों के पालन की प्रेरणा भी देता है। ये विचार भगत फूल सिंह महिला विवि की कुलपति प्रो. सुदेश ने विधि विभाग द्वारा मंगलवार को भारतीय संविधान की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आयोजित संविधान दिवस कार्यक्रम को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए कहे। उन्होंने इस कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए उपस्थित जन को संविधान दिवस की शुभकामनाएं दी।
अपने प्रभावशाली संबोधन में कुलपति प्रो. सुदेश ने संविधान निर्माण की प्रक्रिया और इसमें निहित साधनों से अवगत कराया। संविधान निर्मात्री सभा के महत्व को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि अलग-अलग पृष्ठभूमि से आए संविधान सभा के सदस्य सबसे विविध हितों का प्रतिनिधित्व करते थे। सभी सदस्यों ने संविधान निर्माण के दौरान जटिल मुद्दों पर ईमानदारी और दृढ़ विश्वास के साथ चर्चा और बहस की। कुलपति ने कहा कि कानून, नीति और शासन के जटिल मुद्दों पर एक साथ आने, चर्चा करने और बहस करने की यह क्षमता संविधान सभा की पहचान थी।
संविधान निर्मात्री समिति के अध्यक्ष डॉ. भीमराव अंबेडकर को नमन करते हुए कुलपति प्रो. सुदेश ने उनके अभूतपूर्व योगदान को स्मरण किया। संविधान निर्मात्री सभा में शामिल महिला शक्ति को भी उन्होंने याद किया। उन्होंने संवैधानिक मूल्यों को सुदृढ़ करने की दिशा में सामूहिक प्रयास किए जाने की जरूरत पर बल दिया। कुलपति कुलपति ने उपस्थित जन को संविधान शपथ भी दिलवाई।
वक्ता के रूप में विधि विभाग से डॉ. पवन कुमार ने संविधान के ऐतिहासिक प्रारूप सहित वर्तमान में संविधान के विभिन्न पहलुओं से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि संविधान में दिए गए अधिकारों के चलते महिलाएं शिक्षा, खेल, राजनीति सहित प्रत्येक क्षेत्र में अहम भूमिका निभा रही हैं।
प्रारंभ में विधि विभागाध्यक्षा डॉ. सीमा दहिया ने स्वागत संबोधन किया तथा कार्यक्रम की रूपरेखा साझा की। इस मौके पर संविधान पर आधारित एक क्विज कंपटीशन भी आयोजित किया गया, जिसमें नैना व कशिश की टीम प्रथम, बूंद व माधवी की टीम दूसरे तथा कविता शर्मा व बरखा जैन की टीम तीसरे स्थान पर रही। इस दौरान विधि विभाग के प्राध्यापक, शोधार्थी एवं छात्राएं मौजूद रही।