शिक्षण पद्धति को हैंड्स ऑन ट्रेनिंग और प्रैक्टिकल लर्निंग के जरिए अधिक प्रभावी बनाने की जरूरतः कुलपति प्रो. राजबीर सिंह
एमडीयू में दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला प्रारंभ।
रोहतक, गिरीश सैनी। विद्यार्थी नई स्किल्स प्राप्त करें और वास्तविक जीवन के संदर्भों में उनका अनुप्रयोग करें। हैंड्स ऑन ट्रेनिंग और प्रैक्टिकल लर्निंग के जरिए शिक्षण पद्धति को अधिक प्रभावी बनाने की जरूरत है। यह उद्गार महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने वीरवार को सेंटर फॉर बायोइंफॉर्मेटिक्स तथा सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी के संयुक्त तत्वावधान में- मॉलिक्युलर मॉडलिंग, ड्रग डिजाइनिंग एंड प्री-क्लिनिकल इवैल्यूएशन विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का शुभारंभ करते हुए व्यक्त किए।
कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने एजुकेशन में मल्टी डिसिप्लिनरी एप्रोच की बात कही। उन्होंने कहा कि कोलैबोरेटिव लर्निंग से समस्या का समाधान निकालें। कुलपति ने कस्टमाइजेशन ऑफ एजुकेशन, ट्रांजैक्शन ऑफ एजुकेशन, असेसमेंट ऑफ स्टूडेंट्स पर बल देने की बात कही। उन्होंने इस कार्यशाला के आयोजन के लिए आयोजकों को बधाई और शुभकामनाएं देते हुए विश्वास जताया कि कि इस कार्यशाला से विद्यार्थियों को विषय का व्यावहारिक ज्ञान मिलेगा, उनके कौशल में अभिवृद्धि होगी।
कार्यशाला के प्रारंभ में सेंटर फॉर बायो इंफोर्मेटिक्स के निदेशक डॉ. अजीत कुमार ने स्वागत भाषण देते हुए कार्यशाला की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डाला। डायरेक्टर सीबीटी डॉ. रितु गिल ने कार्यशाला की रूपरेखा बारे जानकारी देते हुए इस दो दिवसीय कार्यशाला में आयोजित की जाने वाली गतिविधियों बारे बताया।
डीन, फैकल्टी ऑफ लाइफ साइंसेज प्रो. राजेश धनखड़ ने फैकल्टी ऑफ लाइफ साइंसेज की विकास यात्रा से अवगत करवाया। उन्होंने फैकल्टी की शैक्षणिक एवं शोध गतिविधियों और उपलब्ध सुविधाओं बारे जानकारी दी और इस कार्यशाला के आयोजन को महत्वपूर्ण बताया। प्राध्यापिका डॉ.महक डांगी ने आभार प्रदर्शन किया। शोधार्थी दीक्षा ने मंच संचालन किया।
इस दौरान डीन, आर एंड डी प्रो. अरुण नंदा, प्रो. विनीता शुक्ला, प्रो. मीनाक्षी वशिष्ठ, प्रो. जे.एस. लौरा, प्रो. अनिल के. छिल्लर समेत फैकल्टी ऑफ लाइफ साइंसेज के विभिन्न विभागों के अध्यक्ष, प्राध्यापक, शोधार्थी और विद्यार्थी मौजूद रहे।